बॉलीवुड की एसी फिल्मे जिन्होंने इंदिरा गाँधी के जीवन को उतारा परदे पर

सत्ता में आने से लेकर हत्या तक इंदिरा गांधी की कहानी काफी विवादास्पद रही है। फिल्मों ने भी या तो उनकी ज़िंदगी से प्रेरणा लेकर परदे पर राजनीति का चरम दिखाने की कोशिश की या फिर एक महिला किरदार को सत्ता का सिंहासन सौंप कर कहीं न कहीं उनकी छवि पेश की। हालांकि कुछ फिल्मों ने तो सीधे सीधे उन्हें ही परदे पर उतारने की कोशिश की।

*इंदु सरकार (2017)

मधुर भंडारकर की बॉलीवुड फिल्म इंदू सरकार इस वर्ष के शुरू में रिलीज हुई, इस फिल्म में इमरजेंसी युग को दर्शाया गया है। फिल्म के रिलीज़ होने से पहले ही इसका विरोध और आंदोलन हुए थे । भंडारकर को मौत की धमकी भी मिली। फिल्ममें किरति कुलहिरी, नील नितिन मुकेश, अनुपम खेर, टोटा रॉय चौधरी और सुप्रिया विनोद अहम भूमिका में थे।

*आंधी (1975)

आंधी के विवाद और इंदिरा गांधी के डर ने यह साबित कर दिया था कि इस फिल्म ने उन्हें बहुत कुछ याद दिलाया है। वहीं 1975 की इमरजेंसी के वक्त उन्होंने पूरी तरह से फिल्म को बैन कर दिया था। उन्हें डर था कि यह फिल्म ऐसा बहुत कुछ खोल जाएगी जो उनके हित में कतई नहीं होगा। फिल्म के कुछ पोस्टरों में तो यहां तक छपा था कि अपने प्रधानमंत्री की असली कहानी परदे पर देखिए। इंदिरा ने तो अपने स्टाफ को यह फिल्म देखकर यह डिसाइड करने का ऑर्डर दिया था कि फिल्म रिलीज़ होनी चाहिए या नहीं। हालांकि उन्होंने खुद यह फिल्म कभी नहीं देखी। इसके बाद 1975 की इमरजेंसी में इंदिरा ने फिल्म बैन कर दी। बाद में जनता पार्टी की सरकार आने के बाद यह बैन हटाया गया।

*किस्सा कु्र्सी का (1977)

इस फिल्म के रिलीज़ होने से पहले ही बहुत कंट्रोवर्सी बटोरी। फिल्म में संजय गांधी और इंदिरा गांधी का खूब मज़ाक उड़ाया गया। इतना ही नहीं फिल्म ने उनपर करारे व्यंग्य कसे थे। सेंसर बोर्ड ने फिल्म को पास नहीं किया था और फिल्म 1975 की इमरजेंसी के कारण लटका दी गई। बाद में सेंसर बोर्ड ने इसे केंद्र सरकार के हवाले कर दिया। केंद्र ने फिल्म पर 51 आपत्तियां जताई थीं।
फिल्म में शबाना आज़मी, राज बब्बर, रेहाना सुल्तान, सुरेखा सीकरी, मनोहर सिंह और उत्पल दत्त ने बेहतरीन काम किया था

*31 अक्टूबर (2016)

भारत में घटी कुछ घटनाएं ऐसी हैं, जिनसे आज तक लोगों की संवेदनाएं जुड़ी हुई हैं। 31 अक्टूबर 1984 वैसा ही एक दिन है, जिसे लोग भुलाए नहीं भूल सकते। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उनके दो सिख अंगरक्षकों ने गोली मारकर हत्या कर दी। उसके बाद देखते देखते पूरे देश में दंगा फैल गया।
सड़कों, घरों, गलियों में घुस घुसकर सिखों की हत्याएं की जाने लगीं। सिख मां, बहनों की इज्जत लूटी जा रही थी, लेकिन इन सबके बीच प्रशासन और कानून भी हाथ बांधे बैठी रही। बहरहाल, इसी घटना पर आधारित है यह फिल्म 31 अक्टूबर