Haseena Parkar: फिल्म समीक्षा, लेडी डॉन के रूप में दर्शको को अपनी ओर आकर्षित नहीं कर पाई श्रद्धा कपूर

फिल्म का नाम : हसीना पारकर

डायरेक्टर: अपूर्व लाखिया

स्टार कास्ट: श्रद्धा कपूर, अंकुर भाटिया, सिद्धांत कपूर, दधि पांडेय

अवधि: 2 घंटा 04 मिनट

सर्टिफिकेट: U/A

रेटिंग:
2 स्टार


कहानी

यह कहानी मुंबई में 2007 के कोर्ट रूम में शुरू होती है जहां हसीना पारकर (श्रद्धा कपूर) के ऊपर कई केस के तहत सुनवाई हो रही है। वक़ील (प्रियंका सेतिया) के पूछे जाने पर हसीना पारकर अपने पिता (दधि पांडे), भाई दाऊद (सिद्धांत कपूर) और हसबैंड (अंकुर भाटिया) के बारे में कई बातें बताती है। इसी दौरान बाबरी मस्जिद, हिंदू मुस्लिम दंगे, मुंम्बई ब्लास्ट जैसी कई घटनाओं का ज़िक्र होता है। पारिवारिक मुद्दों के साथ ही अहम बातों की तरफ ध्यान आकर्षित किया जाता है। फिल्म को अंजाम क्या मिलता है इसका पता आपको फिल्म देखकर ही चलेगा।

#फिल्म की कहानी और खास तौर पर स्क्रीनप्ले काफी कमजोर है जिसकी वजह से एक वक़्त के बाद काफी बोरियत होने लगती है।

#फिल्म की कास्टिंग भी काफी कमजोर है, जहां एक तरफ श्रद्धा कपूर कहीं ठीक लगती हैं तो कहीं किरदार के साथ न्याय नहीं कर पाती हैं। सिद्धांत कपूर के रूप में हमने सबसे कमजोर अंडरवर्ल्ड डॉन देखा है, उस पर ज़्यादा मेहनत की जाती तो फिल्म और बेहतर लगती।

# फिल्म का सेकेंड हाफ कमजोर लगता है। फिल्म में कोर्टरूम ड्रामा देखकर कई बार हंसी आ जाती है।

# फिल्म की एडिटिंग और दुरूस्त की जा सकती थी। फिल्म के गाने भी कुछ खास नहीं हैं।