Movie Review : कमजोर और कन्फ्यूजिंग लगी 'डैडी'

फिल्म: डैडी
डायरेक्टर: आशिम अहलुवालिया
स्टार कास्ट: अर्जुन रामपाल, ऐश्वर्या राजेश, निशिकांत कामत, फरहान अख्तर, राजेश श्रृंगारपुरे, आनंद इंगले
अवधि: 2 घंटा 15 मिनट
सर्टिफिकेट: U /A
रेटिंग: 2 स्टार

कई सारी शार्ट फिल्म्स बनाने के बाद साल 2006 में डायरेक्टर आशिम अहलुवालिया ने 'जॉन एंड जेन' नामक फिल्म बनाई थी। अब साल 2017 में उन्होंने डैडी फिल्म डायरेक्ट की है। उन्होंने मुंबई के पूर्व गैंगस्टर और पॉलिटिशियन अरुण गवली के जीवन की घटनाओं को दिखाने की कोशिश की है।

कहानी: यह कहानी अरुण गुलाब गवली (अर्जुन रामपाल ) की है। उसकी कहानी किस तरह से मुंबई के भायखला इलाके की एक चॉल से शुरू होती है जिसे अंडरवर्ल्ड में 'डैडी' के नाम से पुकारा जाता है। यही इस फिल्म के माध्यम से दिखाने की कोशिश की गई है. अरुण के ऊपर चल रहे आपराधिक मामलों के साथ ही परिवार की स्थिति और इलाके के लोगों के साथ उसके तालमेल को दिखाया गया है। फिल्म में इंस्पेक्टर विजयकर नितिन (निशिकांत कामत) और मक़सूद (फरहान अख्तर) का भी अहम रोल है। कहानी के केंद्र में मुंबई का अंडरवर्ल्ड है. अंततः क्या होता है, इसका पता आपको थिएटर जाकर ही चल पायेगा।

मूवी रिवियु :
#फिल्म की कहानी काफी कमजोर है, उसे दिखा दिखाने का तरीका भी बहुत कन्फ्यूजिंग लगता है।

#80 और 90 के दशक की कहानी के साथ-साथ मौजूदा हिस्सों को भी दिखाया गया है जो कहानी की रफ्तार पर प्रभावी हो गया और कन्फ्यूजन पैदा कर रहा है।

# फिल्म की कास्टिंग को देखा जाये तो कह सकते है की मिस्कास्टिंग हुई है। एक तरफ तो इंस्पेक्टर के रूप में डायरेक्टर निशिकांत कामत है जो कि कई सीन में अपने किरदार को सटीक निभाते नजर आते हैं, पर फरहान अख्तर को मक़सूद के रूप में लेना, पूरी तरह से मिसकास्टिंग लगती है।

# दरअसल, फिल्म में अरुण गवली का ना ही गैंगस्टर और ना ही रॉबिनहुड वाला रोल न्यायसंगत बन पाया है। स्क्रीनप्ले पर और भी ज्यादा काम किया जाता तो फिल्म और भी बेहतर लगती।