कॉफी से निकाले गए कचरे के तेल का इस्तेमाल कर लंदन की बसों को सोमवार से ऊर्जा दी जाने लगी है। परिवहन अधिकारियों ने यह जानकारी दी। बीबीसी के अनुसार, कॉफी के कचरे से निकाले गए तेल को डीजल में मिलाकर जैव ईंधन तैयार किया गया है और इसका इस्तेमाल सार्वजनिक परिवहन के लिए ईंधन के रूप में किया जा रहा है। ऐसा अभी प्रयोग के तौर पर किया गया है। प्रयोग सफल रहा तो इस जैव ईंधन का इस्तेमाल धड़ल्ले से होने लगेगा।
लंदन स्थित टेक्नोलॉजी फर्म बायो-बीन लिमिटेड ने कहा है कि एक साल में एक बस को ऊर्जा प्रदान करने के लिए पर्याप्त कॉफी का उत्पादन किया गया है।
ट्रांसपोर्ट फॉर लंदन (टीएफएल) परिवहन के दौरान धुआं उत्सर्जन को कम करने के लिए तेजी से जैव ईंधन के उपयोग की तरफ बढ़ा है।
बायो-बीन के अनुसार, लंदन के लोग कॉफी से एक साल में 200,000 टन कचरा निकालते हैं।
कंपनी कॉफी की दुकानों और तत्काल कॉफी फैक्ट्रियों से कॉफी का कचरा लेती है, और अपने कारखाने में इससे तेल निकालती है, जिसे बाद में मिश्रित बी20 जैव ईंधन में संसाधित किया जाता है।
बायो-बीन के संस्थापक आर्थर केय ने कहा, "यह इसका बेहतरीन उदाहरण है कि हम कचरे को एक संसाधन रूप में इस्तमाल कर सकते हैं।"