कार्तिक को हंसाने से ज्यादा आता है रुलाने में मजा, पापा के मुश्किल भरे दिनों पर बोले ‘गदर 2’ के एक्टर लव सिन्हा

युवाओं के बीच एक्टर कार्तिक आर्यन का अलग ही क्रेज है। उन्हें जवां दिलों की धड़कन माना जाता है। कार्तिक लुकिंग वाइज तो स्मार्ट हैं ही, साथ ही फैंस उनकी एक्टिंग के भी मुरीद हैं। खास बात ये है कि फिल्मी बैकग्राउंड नहीं होने के बावजूद वे कुछ ही समय में एक खास मुकाम हासिल कर चुके हैं। कार्तिक की पिछली फिल्म ‘सत्यप्रेम की कथा’ थी और वे इन दिनों ‘चंदू चैंपियन’ की शूटिंग में बिजी हैं।

इस दौरान कार्तिक ने एक न्यूज पोर्टल को दिए इंटरव्यू में कई चीजों पर खुलकर बात की। कार्तिक ने ‘चंदू चैंपियन’ के लिए कहा कि आपको फिल्म में मेरे वजन में काफी बदलाव नजर आएगा। मैंने 2 महीने में वजन बढ़ाया है। मैंने लंदन में तेज बुखार के बावजूद कई टेबलेट्स लेकर ठंडे पानी में शूटिंग की।

कार्तिक ने कहा कि मुझे किसी फिल्म में लोगों को हंसाने से ज्यादा रुलाना पसंद है। अगर आप आप ‘सोनू के टीटू की स्वीटी’ देखते हैं, तो फिल्म के पहले 30-40 मिनट शुद्ध नाटक है जिसमें दोस्तों के बीच की प्योर भावनाएं हैं जो आपको रुलाते हैं, लेकिन वो मुख्य रूप से एक कॉमेडी फिल्म है इसलिए आपका ध्यान कॉमेडी पर ही जाएगा। आप फिल्म की भावनाओं या ड्रामा पर उतना ध्यान नहीं देते जितना कॉमेडी पर। चाहे वह ‘लुका छुपी’ जैसी हो, जिसमें इमोशनल सीन पर भी कॉमेडी हावी हो गई थी, लेकिन ‘सत्य प्रेम की कथा’ के साथ ऐसा नहीं हुआ।

कार्तिक की फिल्म ‘शहजादा’ फ्लॉप रही थी। ये फिल्म सुपरहिट तेलुगु फिल्म ‘अला वैकुंठपुरमलो’ का हिंदी रीमेक थी, जिसे 2020 में रिलीज किया गया था। ऐसे में अब इस फिल्म के असफल होने के बाद कार्तिक ने कहा कि मुझे इस फिल्म से यह सीखने को मिला कि मैं अब रीमेक में काम नहीं करूंगा। आपको बता दें कि ये पहली बार था जब कार्तिक ने रीमेक में काम किया था।

लव ने शेयर किए पिता शत्रुघ्न सिन्हा के जीवन में आए उतार-चढ़ाव

‘गदर 2’ जल्द ही सिनेमाघरों में छाने वाली है। इससे पहले मूवी के सभी कलाकार इसके प्रमोशन में जुटे हुए हैं। फिल्म में 70-80 के दशक में लोगों के दिलों पर राज करने वाले दिग्गज एक्टर शत्रुघ्न सिन्हा के बेटे लव सिन्हा भी काम कर रहे हैं। लव ने एक इंटरव्यू के दौरान शत्रुघ्न के मुश्किल दिनों पर खुलकर बात की।

लव ने कहा कि पापा को कई दफा दो चीजों में से एक चीज चुननी पड़ती थी। या तो वो पैसे खर्च करके ट्रेवल कर सकते थे या फिर पेट भर सकते थे। कई बार वे खाना खा लेते, तो मीलों पैदल चलकर जाते। कभी बस की टिकट खरीद लेते तो उनके पास खाना खाने के पैसे नहीं बचते थे। पापा पटना से हैं। उन्होंने बहुत कम उम्र में घर छोड़ दिया और मुंबई आ गए।

कई बार उनके मन में ये बात भी आती थी कि पता नहीं वे एक अच्छे एक्टर बन पाएंगे भी या नहीं। जब पापा करिअर के पीक पर पहुंचे तो हमारा घर हुआ। वहां लोगों की हर समय भीड़ लगी रहती थी। जब पापा की फिल्में एक के बाद एक फ्लॉप होने लगीं तो कोई हमारे घर नहीं आता था। मैंने पापा को उठते-गिरते दोनों समय देखा है।