बच्चों के घर में आने से खुशी का माहौल तो बनता ही है साथ ही जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है। सभी पेरेंट्स चाहते है कि उनका बच्चा हेल्दी और सेल्फ डिपेंडेंट बने। बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं। उन्हें जैसा रूप देना चाहें, दे सकते हैं। उनके अच्छे भविष्य और उन्हें बेहतर इंसान बनाने के लिए सही परवरिश जरूरी है। बच्चे के साथ आपका व्यवहार कैसा हो ताकि वो नटखट तो बनें पर बिगड़े बच्चे नहीं। अच्छी परवरिश देकर ये सब हासिल किया जा सकता है। वैसे तो यह सच है कि 'सही परवरिश' की कोई एक परिभाषा या कोई एक तरीका नहीं है, फिर भी परवरिश के कुछ नुस्खे आपके बच्चे को खुशहाल रखने में बड़े मददगार साबित हो सकते हैं। आइए बच्चों की परवरिश के कुछ नुस्खों पर नजर डालें।
*
सीमाएं तय करें : बच्चों को यह पता होना चाहिए कि उन्हें किस चीज की अनुमति है और किस चीज की नहीं। बेहतर परवरिश के लिए यह सबसे ज्यादा जरूरी कदम है, क्योंकि सीमाएं हमें हमारा दायरा बताती हैं। बच्चों को यह पता होना चाहिए कि उन्हें कितनी देर के लिए खेलने की इजाजत है। वे कितना फास्टफूड खा सकते हैं या कंप्यूटर और टीवी पर कितनी देर गेम खेल सकते हैं आदि। पर सीमाएं हमेशा सोच-समझकर ही तय करें।
*
उन्हें शुरू से ही अनुशासन में रहना सिखाएं : बच्चा जब बड़ा होने लगता है तब ही से उसे नियम में रहने की आदत डालें। 'अभी छोटा है बाद में सीख जाएगा' यह रवैया खराब है। उन्हें शुरू से अनुशासित बनाएं। कुछ पेरेंट्स बच्चों को छोटी-छोटी बातों पर निर्देश देने लगते हैं और उनके ना समझने पर डांटने लगते हैं, कुछ माता-पिता उन्हे मारते भी हैं। यह तरीका भी गलत है। वे अभी छोटे हैं, आपका यह तरीका उन्हें जिद्दी और विद्रोही बना सकता है।
*
सच्चा प्यार दें, हर मांगी हुई चीज नहीं : लोग गलती से यह समझते हैं कि अपने बच्चों को प्यार करने का मतलब है उनकी हर मांग पूरी करना। अगर आप उनकी मांगी हुई हर चीज उनको देते हैं तो बड़ी बेवकूफी करते हैं। अगर आप अपने बच्चे से प्यार करते हैं तो उसे वही दें जो जरूरी है। जब आप किसी से सचमुच प्यार करते हैं तो उसका दुलारा होने की फिक्र किए बिना आप वही करते हैं जो उसके लिए बिलकुल सही है।
*
अपनी चीजों की सफाई : अक्सर बच्चे अपने कपड़े, खिलौने, किताबें और दूसरे सामान बिखेरकर रखते हैं लेकिन, इन आदतों को बचपन में ही सुधारने की जरुरत है। माता-पिता को चाहिए कि वो बच्चों को अपनी चीजों को सफाई और सहेजकर रखना सिखाएं। ये आदत आगे चलकर उसके व्यक्तित्व के विकास में सहायक साबित होगी।
*
उनके साथ क्वॉलिटी टाइम बिताएं : वर्किंग पेरेंट्स के साथ यह समस्या होती है कि उनके पास अपने बच्चों के साथ बिताने के लिए समय नहीं मिल पाता। ऐसे माता-पिता अपने वीकएंड्स अपने बच्चों के लिए रखें। और सामान्य दिनों में भी उनके क्रियाकलापों पर ध्यान दें कि वे क्या करते हैं, उनके दोस्त कौन हैं आदि।
*
गहरी दोस्ती करें : अपने बच्चे पर खुद को थोपना छोड़ दें और उसका बॉस बनने की बजाय उससे गहरी दोस्ती करें। अपने को उससे उपर रख कर उस पर शासन ना चलाएं, बल्कि खुद को उससे नीचे रखें ताकि वह आपसे आसानी से बात कर सके।
*
मेहनत की आदत : ऐसा शायद कई घरों में होता होगा कि बच्चे को ज्यादा होमवर्क मिल जाए तो, घर के बड़े उसकी मदद कर देते हैं। हालांकि ये पूरी तरह गलत नहीं है। अच्छी बात है कि बच्चे के पास कोई मददगार है लेकिन, ये ठीक नहीं कि बच्चे को आराम देकर आप ही उसका काम कर दें। बच्चे को शुरु से ही मेहनत की आदत डलवानी चाहिए ताकि, वो आगे चलकर मेहनत करने से कतराए नहीं।