‘उरी’ : लागत 10 करोड़, लाइफ टाइम कमाई 125 करोड़, मुनाफा 115 करोड़

बॉक्स ऑफिस पर गत शुक्रवार को प्रदर्शित हुई निर्देशक आदित्य धर की विक्की कौशल अभिनीत फिल्म ‘उरी’ ने जिस गति से बॉक्स ऑफिस पर 50 करोड़ के आंकड़ें को पार करने में सफलता प्राप्त की है, जो जिस अंदाज में दर्शकों के कदम सिनेमाघरों की ओर उठ रहे हैं उन्हें देखकर इस बात का यकीन हो गया है कि यह फिल्म इस वर्ष की पहली 100 करोड़ी फिल्म होने जा रही है। इस फिल्म की लागत के बारे में कहा जा रहा है कि यह मात्र 10 करोड़ के बजट में बनी फिल्म है। जिस हिसाब से यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कमाई कर रही है, उसे देखते हुए ऐसा महसूस हो रहा है कि आने वाले दूसरे सप्ताह में यह फिल्म 100 करोड़ के आंकड़ें को पार करने में सफल हो जाएगी। इसके साथ ही इसका लाइफ टाइम कारोबार 125 करोड़ का रहने की उम्मीद बंधी है।

आगामी सप्ताह बॉक्स ऑफिस पर ऐसी कोई विशेष फिल्म का प्रदर्शन होने नहीं जा रहा है जिसके चलते ‘उरी’ को दर्शकों का अभाव झेलना पड़े। 18 जनवरी को बॉक्स ऑफिस पर इमरान हाशमी की व्हाय चीट इंडिया और गोविन्दा की ‘रंगीला राजा’ का प्रदर्शन होने जा रहा है। रंगीला राजा से तो किसी प्रकार की उम्मीद नहीं की जा रही है, हाँ चीट इंडिया से जरूर कुछ उम्मीद है कि यह पहले दिन बॉक्स ऑफिस पर 4-5 करोड़ का कारोबार करने में कामयाब होगी। ऐसे में विक्की कौशल की फिल्म को दर्शकों का सहारा मिलेगा और वो अपना 100 करोड़ का आंकड़ा छूने में कामयाब हो जाएगी।

सिर्फ 10 करोड़ के बजट में बनी उरी ने अपने अब तक के सफर में सोमवार तक बॉक्स ऑफिस पर 47 करोड़ के लगभग कारोबार करने में सफलता प्राप्त कर ली है। मंगलवार को अनुमानित कारोबार 10 करोड़ माना जा रहा है, जिसे देखकर यह कहा जा सकता है कि यह फिल्म मंगलवार तक 55 करोड़ के आंकड़े को छूने में सफल होगी।

उरी -सर्जिकल स्ट्राइक, कहानी है तब की जब 18 सितंबर 2016 को पाकिस्तानी आतंकवादियों ने जम्मू और कश्मीर के उरी सेक्टर में भारतीय सेना के मिलिट्री बेस पर अचानक हमला कर दिया था जिसमें 19 जवान शहीद हो गए थे। ग्यारह दिनों के भीतर भारतीय सेना ने पाकिस्तान में घुस कर सर्जिकल स्ट्राइक की और आतंकियों के कई ठिकानों को तबाह कर दिया। सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक कर कैसे आतंकियों के बेस को तबाह किया था, उरी में यही दिखाया गया। कहा जा रहा है कि इस फिल्म को बनाने में सिर्फ 10 करोड़ का खर्च आया है। उस रात सीमा पर वास्तव में क्या हुआ था, यह कहानी अतिशयोक्तिपूर्ण हो सकती है या नहीं भी हो सकती है लेकिन फिल्म उन वास्तविक खतरों की बारीकी से झलक देती है जो सैनिकों के सामने हर दिन आते हैं।