निर्माता : वॉयकॉम 18 मोशन पिक्चर्स
लेखक निर्देशक : संजय लीला भंसाली
कलाकार : दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह, शाहिद कपूर, अदिति राव हैदरी, जिम सर्भ
संगीत : संजय लीला भंसाली
कोरियोग्राफी : रेमो डिसूजा
संजय लीला भंसाली की ‘पद्मावत’ सिनेमाघरों में प्रदर्शित होने जा रही है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद यह फिल्म राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात और हरियाणा में प्रदर्शित नहीं होगी। फिल्म प्रदर्शन से पूर्व इसे मीडिया को विशेष स्क्रीनिंग के जरिये दिखाया गया। बेहद उत्सुकता के साथ देखी गई इस फिल्म को जो रिव्यू मिले हैं उसने इसके विरोध को राजनीतिक इच्छापूर्ति का जरिया सिद्ध कर दिया है।
पद्मावत देखने के बाद शिद्दत से इस बात का अहसास होता है कि संजय लीला भंसाली भारतीय सिनेमा के सबसे बेहतरीन निर्देशक हैं। उन्होंने विषय के साथ पूरा न्याय करने का प्रयास किया है, लेकिन वो पूरी तरह से सफल नहीं हो पाए हैं। फिल्म दर्शकों को बांधे रखती है लेकिन समय के साथ दर्शकों का उत्साह जिस स्तर पर पहुँचना चाहिए था, वो नहीं हो पाता। भंसाली की सबसे बड़ी कमजोरी इसके फिल्माने में रही है। फिल्म के कई दृश्य ऐसे हैं जो दर्शकों के जेहन में बाजीराव मस्तानी की यादें ताजा कर देते हैं। मध्यान्तर के बाद कुछ समय के लिए अपनी राह से पलटी यह फिल्म क्लाइमैक्स के दौरान दर्शकों को अपने मोहपाश में बांधने में सफल होती है। जिस तरह से संजय लीला भंसाली ने इस फिल्म का अन्त फिल्माया है वह काबिल-ए-तारीफ है। इसे देखते हुए ऐसा लगता कि फिल्म एक अलग ही स्तर पर पहुँच गई है लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी होती है।
अदाकारों की बेमिसाल अदाकारी
फिल्म के तीन महत्त्वपूर्ण किरदार—अलाउद्दीन खिलजी, पद्मावती और राव राजा रतन सिंह—हैं, इनकी भूमिकाएँ रणवीर सिंह, दीपिका पादुकोण और शाहिद कपूर ने अभिनीत की हैं। इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं है कि इन तीनों ने अपनी-अपनी भूमिकाओं सशक्तता के साथ परदे पर जीवंत किया है। विशेष रूप से रणवीर सिंह अपनी अदाकारी से अलाउद्दीन खिलजी के किरदार को बड़े परदे पर जीवंत करने में कामयाब रहे हैं। उनके हिस्से में आए कुछ दृश्य ऐसे हैं जहाँ वे बेहद खंूखार दिखते हैं। उनके अभिनय की सफलता में सहायक रहा है उनका मेकअप, जिसके लिए भंसाली की तारीफ करेंगे जो उन्होंने सोचा है।
दीपिका पादुकोण पद्मावती को पूरी तरह से परदे पर उतारने में कामयाब रही हैं। उन्होंने अपने अभिनय से पद्मावती की सुंदरता और वीरता का बखूबी अहसास कराया है। दीपिका ने पद्मावती की भूमिका में जान फूंक दी है। निश्चित तौर पर वे वर्ष 2018 की सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के समस्त पुरस्कार अपनी झोली में डालने में कामयाब होंगी। राव राजा रतन सिंह की भूमिका में शाहिद कपूर जमे हैं। उनका किरदार बेहद शांत है। उनकी अदाकारी संयमित है, जो दर्शकों का दिल जीतने में कामयाब रहती है।
इन तीन अदाकारों के अतिरिक्त फिल्म में दो और ऐसी भूमिकाओं हैं जिन्होंने दर्शकों पर गहरी छाप छोडऩे में कामयाब प्राप्त की है। देखने में तो यह छोटी थी लेकिन इनका असर व्यापक है। अलाउद्दीन खिलजी की पत्नी के रूप में अदिति राव हैदरी और राज्यगुरू सेनानायक के रूप में जिम सर्भ ने अपनी अदाकारी से गहरी छाप छोड़ी है। जिम सर्भ के चेहरे पर उभरे भावों और बोलती आँखों से सब कुछ बयां कर दिया है। इन्हें देखते हुए हमें गुजरे जमाने के खलनायक जयन्त और के.एन. सिंह का ध्यान आता है, जो अपने भावों और आँखों से दर्शकों को डराने में कामयाब होते थे।
गोलियों की रासलीला— रामलीली और बाजीराव मस्तानी के बाद इस फिल्म का संगीत स्वयं संजय लीला भंसाली ने दिया है। उन्होंने पटकथा को ध्यान में रखकर ही संगीत तैयार किया है जो कहीं पर भी फिल्म की गति में बाधक नहीं बनता है। फिल्म का हर गीत कहानी को आगे बढ़ाने में मदद करता है। भंसाली अपनी फिल्मों के गीतों को भव्य पैमाने पर फिल्माते हैं, यहाँ भी उन्होंने यही किया है। गीतों का फिल्मांकन भव्य और खूबसूरत है।
फिल्म के संवाद असरकारक हैं। कई ऐसे दृश्य हैं जो सामान्य होते हुए अपने संवादों के बल पर भारी साबित हो गए हैं। दर्शकों ने कई संवादों पर खुलकर तालियाँ बजाई हैं।
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि संजय लीला भंसाली ने देश के राजपूती मान सम्मान को बखूबी परदे पर उतारा है। इस फिल्म का विरोध करने वालों को भयमुक्त होकर पहले फिल्म देखनी चाहिए उसके बाद कोई प्रतिक्रिया व्यक्त करनी चाहिए थी।