B'Day Spcl : मनोज कुमार के जीवन से जुड़े कुछ किस्से..., ऐसे बने 'भारत कुमार'

हरिशंकर गिरि गोस्वामी यानी मनोज कुमार (Manoj Kumar) हिंदी सिनेमा के 'भारत कुमार' के तौर पर जाना जाता है। आज 24 जुलाई को अपना बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे हैं। उनका जन्म पाकिस्तान में हुआ था। मनोज कुमार को फिल्मों का शौक बचपन से था। फिल्मों को लेकर उनकी दीवानगी का अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि दिलीप कुमार की फिल्म शबनम में उनके किरदार के नाम पर ही अपना नाम मनोज कुमार रख लिया। एक लंबे समय तक बॉलीवुड पर राज करने वाले इस शानदार एक्टर को हरियाली और रास्ता, वो कौन थी?, हिमालय की गोद में, दो बदन, उपकार, नील कमल जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है। साल 1992 में उन्हें भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया था। इसके साथ ही उन्हें हिंदी सिनेमा का सबसे सम्मानित अवॉर्ड दादा साहब फाल्के अवॉर्ड भी मिल चुका है। दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से उन्होंने अपनी पढ़ाई की। इसके बाद उनके जहन में फिल्मों में काम करने के ख्याल ने दस्तक दी। मगर फिल्मों के प्रति उनकी रुचि 10 साल की उम्र में ही आ गई थी। मनोज कुमार को केवल उनकी जानदार परफॉर्मेंस के लिए ही नहीं बल्कि बड़े दिल के लिए भी जाना जाता रहा है।

इस एक्ट्रेस के एहसान तले दबे हैं मनोज कुमार

एक समय ऐसा था जब मनोज कुमार को मदद की जरूरत थी लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की। ऐसे में नंदा आगे आई थीं और मनोज को सहारा दिया था। ये किस्सा फिल्म 'शोर' से जुड़ा है। इस फिल्म की लीड एक्ट्रेस के तौर पर जया भादुरी को फाइनल कर लिया गया था। लेकिन एक छोटे रोल के लिए कोई एक्ट्रेस तैयार ही नहीं हो रही थी। क्योंकि इस किरदार की फिल्म शुरू होने के कुछ देर बाद ही मौत होनी थी। ऐसे में मनोज ने कई एक्ट्रेसेज से बात की। लेकिन कोई उनकी मदद करने को तैयार नहीं था। तब नंदा ने इस रोल के लिए हां कहा था। केवल हां ही नहीं नंदा ने मनोज कुमार के सामने एक शर्त भी रखी थी। नंदा ने मनोज से कहा कि वह इस फिल्म के लिए एक भी पैसा नहीं लेंगी। इस तरह नंदा ने मुश्किल वक्त में मनोज कुमार की मदद की थी। एक इंटरव्यू में मनोज कुमार ने कहा था कि आप किसी के एहसान का बदला नहीं चुका सकते। लेकिन फिर भी मैंने कोशिश की कि नंदा जी का एहसान उतार सकूं। लेकिन मैं ऐसा नहीं कर पाया।

अपनी मंगेतर से पूछकर फिल्मों में काम करना शुरू किया

मनोज कुमार का फिल्मों में काम करने से जुड़ा एक रोचक किस्सा है जिसें कम ही लोग जानते है। मनोज ने अपनी मंगेतर शशि गोस्वामी से पूछकर फिल्मों में काम करना शुरू किया था। मनोज कुमार ने राज्यसभा टीवी को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि कैसे वे रिफ्यूजी कैंप में रहते थे और मुश्किलों में जीवन गुजारते थे। इस दौरान उन्होंने अपने छोटे भाई को बेहद कम उम्र में खो दिया था। मनोज कुमार ने अपना आपा खो दिया था और वे मारपीट करने लग गए थे। इस दौरान उन्हें पुलिस के डंडे भी खाने पड़े थे। जब बात हद से आगे बढ़ गई तो उनके पिता ने उन्हें कसम दिलाई कि वे कभी भी मारपीट नहीं करेंगे। दरअसल, जब मनोज को एक फिल्म में लीड एक्टर के रूप में काम करने का ऑफर आया तो उन्होंने कहा कि अपनी मंगेतर की इजाजत के बिना वो फिल्मों में काम नहीं करेंगे। फिर उन्होंने शशि से इस बारे में बात की। जब शशि रजामंद हो गईं तभी मनोज कुमार ने फिल्म में काम करने के लिए हां कहा। बाद में शशि से ही उन्होंने शादी भी कर ली।

लाल बहादुर शास्त्री थे मनोज कुमार के प्रशंसक

मनोज कुमार के प्रशंसकों में पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री भी थे। 1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद लाल बहादुर शास्त्री ने उन्हें जय जवान, जय किसान पर फिल्म बनाने का आग्रह किया। जिसके बाद मनोज कुमार ने उपकार फिल्म बनाई। मनोज कुमार की हिट फिल्मों में वो कौन थी, शहीद, हरियाली और रास्ता, हिमालय की गोद में, गुमनाम, पत्थर के सनम, उपकार, क्रांति, रोटी, कपड़ा और मकान, पूरब और पश्चिम है। फिल्म उपकार के लिए मनोज कुमार को नेशनल अवॉर्ड से भी नवाजा गया।