विवादों में आई ‘आर्टिकल 15’, फिल्म को लेकर उप्र ब्राह्मणों में नाराजगी

आयुष्मान खुराना अभिनीत और अनुभव सिन्हा निर्देशित बहुचर्चित और बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘आर्टिकल 15’ अपने विषय को लेकर अब विवादों में घिर गई है। मूल रूप से बदायूं दुष्कर्म और हत्या से जुड़े मामले पर बनी इस फिल्म को लेकर उत्तरप्रदेश का ब्राह्मण समाज इसके विरोध में आ गया है। 28 जून को प्रदर्शित होने वाली फिल्म ने उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण समुदाय की नाराजगी मोल ले ली है। आयुष्मान खुराना की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म की शूटिंग लखनऊ और उसके आसपास हुई है। ब्राह्मण इस तथ्य से परेशान हैं कि कहानी के आरोपी पुरुषों को ब्राह्मण के रूप में चित्रित करने के इरादे से तोड़-मरोडक़र पेश किया गया है। उन्हें लगता है कि इससे समुदाय की बदनामी होगी। दो सप्ताह पहले प्रदर्शित हुए इस फिल्म के ट्रेलर में एक गांव की दो युवा लड़कियों का बेरहमी से दुष्कर्म और हत्या करते हुए दिखाया गया है, उनके शव एक पेड़ से लटके हुए हैं। यह दिखाता है कि लड़कियों के परिवार जो हाशिए पर हैं और जिन्हें मजदूरों के रूप में काम करने के लिए मजबूर किया जाता है, उन्हें निशाना बनाया गया क्योंकि उन्होंने अपने दैनिक वेतन में 3 रुपये की बढ़ोतरी की मांग की थी। फिल्म में दर्शाया गया है कि क्षेत्र में जातिगत समीकरण कितना हावी है। ट्रेलर में यह भी उल्लेख किया गया है कि अपराध एक ‘महंतजी के लडक़े’ द्वारा किया गया है। महंतजी को ब्राह्मण समुदाय के प्रतिष्ठित व्यक्ति के रूप में दर्शाया गया है और इससे ब्राह्मण समुदाय नाराज हो गया है।

फिल्म में आयुष्मान खुराना इस मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारी की भूमिका में हैं जो एक ब्राह्मण है। बदायूं दुष्कर्म और हत्या का मामला 2014 में हुआ था। उस समय उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव सरकार सत्ता में थी। आरोपियों के नाम पप्पू यादव, अवधेश यादव, उर्वेश यादव, छत्रपाल यादव और सर्वेश यादव थे। छत्रपाल और सर्वेश पुलिसकर्मी थे। पुलिस विभाग पर आरोप लगाया गया था कि वह इस मामले में आरोपियों के प्रति समाजवादी पार्टी के राजनीतिक दबाव के कारण नरमी दिखा रही है। ब्राह्मण संगठन परशुराम सेना के सदस्य व एक युवा छात्र नेता कुशल तिवारी ने कहा, ‘अगर फिल्म बदायूं की घटना पर आधारित है, तो आरोपियों को ब्राह्मणों के तौर पर दिखाने की आवश्यकता कहां थी। यह स्पष्ट है कि इरादा ब्राह्मण समुदाय को बदनाम करना है। हमने इस मुद्दे के बारे में जागरूकता पैदा करना शुरू कर दिया है और हम यहां फिल्म की रिलीज की अनुमति नहीं देंगे।’

तिवारी ने कहा कि अगर ठाकुर ‘पद्मावत’ की रिलीज को रोक सकते हैं, तो ब्राह्मण इस फिल्म को लेकर अपने सम्मान के लिए क्यों नहीं लड़ सकते हैं? हम सोशल मीडिया पर एक अभियान शुरू कर रहे हैं और हम फिल्म निर्देशक अनुभव सिन्हा से भी संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वह फोन नहीं उठा रहे हैं। जब फिल्म की शूटिंग मार्च और अप्रैल में लखनऊ में हो रही थी, तब उन्हें कहानी की जानकारी नहीं थी और इसलिए उन्होंने विरोध नहीं किया। फिल्म निर्देशक अनुभव सिन्हा ने तो इस मुद्दे को लेकर अब तक कोई बयान जारी नहीं किया है, लेकिन फिल्म में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मनोज पाहवा ने एक समाचार एजेंसी को बताया, ‘फिल्म पूरी तरह से बदायूं में हुए जघन्य अपराध पर आधारित नहीं है, जहां दो लड़कियों का दुष्कर्म हुआ था और फंदे से लटका दी गईं। यह फिल्म केवल उस घटना से प्रेरित है और इसका नाम ‘आर्टिकल 15’ है, जो सभी को समानता का अधिकार देता है।’