'पद्मावत' भंसाली पर पत्थर नहीं फूल बरसाने चाहिए : अभिनेत्री आशा पारेख

दिग्गज अभिनेत्री आशा पारेख का कहना है कि "देश पागल हो गया है"। उन्होंने यह बात संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत के संदर्भ में ही है। कुछ दिनों पूर्व भंसाली ने 'पद्मावत' की विशेष स्क्रीनिंग आयोजित की थी, और आशा ने भी उस दौरान फिल्म देखी थी।

भंसाली के काम की प्रशंसा करते हुए आशा ने कहा, "मुझ पर विश्वास करो, मैं सो नहीं पा रही हूं। फिल्म देखने के बाद से मैं उसमें खो गई हूं।" उन्होंने कहा, "उन्होंने कलाकारों से जिस तरह काम कराया है। उसे देख कर मेरे मन करता है कि काश मैं भंसाली की हीरोइन बनने के लिए 30 साल की हो सकती। लेकिन मैं दीपिका पादुकोण को उनके काम के लिए बधाई देना चाहूंगी।" आशा ने गुरुवार को विशेष स्क्रीनिंग के बाद कहा, "अगर आज मुझे रानी पद्मावती पर फिल्म बनानी हो, तो मैं दीपिका को छोड़कर किसी और को फिल्म में नहीं लूंगी।" अभिनेत्री ने कहा, "उनका नृत्य और अभिनय सबकुछ सराहनीय है। रणवीर बुराई का प्रतीक हैं.. फिल्म का हर फ्रेम मोहक है और 'घूमर' नृत्य जिसका सभी ने विरोध किया, वह बहुत सुंदर है!"

उन्होंने कहा, "मैं हैरान हूं कि करणी सेना शोर क्यों मचा रही है। फिल्म में राजपूतों के खिलाफ कुछ भी नहीं है। भंसाली पहले जैसी सभी फिल्मों की तरह समुदाय की महिमा का बखान कर रहे हैं।" उन्होंने कहा, "भंसाली ने 'पद्मावत' में जो हासिल किया है, उसके लिए इतिहास उन्हें हमेशा याद रखेगा।"

आशा ने कहा, "हां, एक गलती उन्होंने जरूर की। उन्होंने एक ऐसी फिल्म बनाने की हिम्मत की है, जिसे दृष्टिकोण और भव्यता के मामले में मुगल-ए-आजम की प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखा जा सकता है।" निर्देशक संजय लीला भंसाली ने दीपिका पादुकोण में वहीदा रहमान को साकार किया है और वहीदा 'पद्मावत' की तारीफ करते नहीं थकतीं। "मैं क्या कहूं। मेरे पास शब्द नहीं हैं। यह फिल्म हमेशा याद रखी जाएगी। प्रत्येक फ्रेम परफेक्ट है।"

उन्होंने कहा, "लगता ही नहीं कि कोई चीज असली नहीं है। जिस तरह हर शॉट्स में लाइट्स हैं, ऐसा लगता है कि उसमें कि सी कृत्रिम प्रकाश का इस्तेमाल ही नहीं किया गया है, बल्कि सूर्य, चांद और टॉर्च की रोशनी का इस्तेमाल किया गया है, जो उन दिनों इस्तेमाल की जाती थी।"

वहीदा विशेष रूप से गीत और नृत्य को लेकर उत्साहित हैं। उन्होंने कहा, "हमारे देश में नाचने और गाने की हमारी समृद्ध परंपरा है। हम हर अवसर पर गाते और नृत्य करते हैं।"

उन्होंने कहा कि हमें भंसाली पर पत्थर नहीं फूल बरसाने चाहिए।

ऑस्कर में आधिकारिक तौर पर भेजा जाना चाहिए

वही जावेद अख्तर की पत्नी शबाना आजमी ने भी फिल्म देखने के बाद अपने विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने कहा है की फिल्म बेहतरीन है और भंसाली ने एक नया आयाम रचा है। हिंदी सिनेमा में ऐसी फिल्में कम बनती हैं। शबाना को तो फिल्म इतनी पसंद आ गई है कि उन्होंने कहा है कि इस फिल्म को भारत की तरफ से ऑस्कर में आधिकारिक तौर पर भेजा जाना चाहिए। शबाना का मानना है कि इस फिल्म को देखकर हर भारतीय को गर्व होगा और यह ऐसी फिल्म है जिसे हर भारतीय को देखना ही चाहिए।