अमिताभ को 'बबुआ' कह कर बुलातें थे शशि कपूर

अपने अंतिम दिनों में 2017 ने बॉलीवुड को झटका दे दिया। यह झटका किसी फिल्म के असफल होने का नहीं बल्कि हिन्दी सिने उद्योग के ख्यातनाम अभिनेता शशि कपूर के निधन का है। मुंबई के कोकिला बेन अस्पताल में 4 दिसम्बर की शाम बलबीर पृथ्वीराज कपूर, जिन्हें दुनिया शशि कपूर के नाम से जानती है, ने अपनी जिन्दगी की अंतिम सांसें ली। बतौर बाल कलाकार अपना फिल्म करियर शुरू करने वाले शशि कपूर ने हिन्दी अंग्रेजी फिल्मों में स्वयं को अभिनेता के साथ-साथ निर्माता निर्देशक के तौर पर स्थापित किया था। वर्ष 1941 से अपना करियर शुरू करने वाले शशि कपूर 1999 तक फिल्मों में सक्रिय रहे। 61 वर्ष की आयु में उन्होंने फिल्मों से संन्यास ले लिया था।

इस खबर से बुरा बॉलीवुड गमगीन है वही महानायक अमिताभ ने दिवंगत अभिनेता शशि कपूर से जुड़ी यादों को ताजा करतें हुए अपने ब्लॉग में लिखा, "एक कैप्शन में पढ़ा - पृथ्वी राज कपूर के बेटे, राज कपूर और शम्मी कपूर के छोटे भाई शशि कपूर आगामी फिल्म से बॉलीवुड में आगाज करने जा रहे हैं। यह पढ़कर मेरे मन में दुविधा पैदा हुई, मैंने अपने आप से कहा कि इनके जैसे लोगों के इर्द-गिर्द होने पर मेरे लिए बॉलीवुड में टिके रहने की संभावना बिल्कुल नहीं है।"

अमिताभ ने कहा कि साल 1969 में जब वह हिंदी फिल्म उद्योग से परिचित हो रहे थे, तो एक सामाजिक समारोह में उनकी मुलाकात शशि कपूर से हुई। उस समय "शशि कपूर ! कहकर अपना परिचय देते हुए उन्होंने अपना गर्माहट भरा नरम हाथ बढ़ाया। उनके चेहरे पर मुस्कान और आंखों में चमक थी। उन्हें ऐसा करने की जरूरत नहीं थी। हर कोई उन्हें जानता था, लेकिन यह उनकी विनम्रता थी। जब उन्होंने बात की तो उनकी आवाज में सज्जनता, शरारतपन और सौम्यता थी।"

अमिताभ ने लिखा कि शशि बीमार चल रहे थे। अपनी प्रिय पत्नी जेनिफर के गुजर जाने के बाद वह कहीं न कहीं अकेला महसूस करते थे। इससे पहली बार अस्पताल में उनके भर्ती होने के दौरान मैं कई बार उन्हें देखने गया लेकिन उसके बाद मैं दुबारा उनको देखने नहीं गया। मैं जा भी नहीं सकता था। मैं कभी भी अपने इस खूबसूरत दोस्त और 'समधी' को उस अवस्था में नहीं देखना चाहता था, जिस अवस्था में मैंने उन्हें अस्पताल में देखा था और मैंने उन्हें आज भी नहीं देखा ..जब मुझे सूचित किया कि वे चल बसे हैं।

दोनों अभिनेताओं ने 'सुहाग', 'दीवार', 'रोटी कपड़ा और मकान', 'सिलसिला', 'नमक हराम' और 'कभी-कभी' जैसी फिल्मों में साथ काम किया। अमिताभ ने कहा कि शशि कपूर प्यार से उन्हें 'बबुआ' बुलाते थे।

बता दे, बाल कलाकार के तौर पर चार फिल्मों - आग (1948), संग्र्राम (1950), आवारा (1951) और दाना पानी (1953) में काम करने वाले शशि कपूर ने फिल्मों में प्रवेश करने से पूर्व सहायक निर्देशक के तौर पर पोस्ट बॉक्स 999, गेस्ट हाउस (1959), दुल्हा दुल्हन और श्रीमान सत्यवादी में काम किया। दुल्हा दुल्हन और श्रीमान सत्यवादी के नायक उनके बड़े भाई राजकपूर थे।