सन्यास के बावजूद मैदान की ओर लौटे ये 5 क्रिकेटर्स

क्रिकेट को दीवानगी का खेल कहा जाता हैं। इसकी दीवानगी इस तरह सर चढ़कर बोलती है कि लोग कुछ भी कर बैठते हैं। इस दीवानगी के चलते किसी भी खिलाडी की संन्यास लेंने की कोई इच्छा नहीं होती। लेकिन संन्यास दुर्भाग्यवश ऐसी चीज़ है जिसका सामना हर खिलाड़ी को करना पड़ता है चाहे वो खेल से कितना ही प्यार करें। इस दीवानगी में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे दिग्गज क्रिकेटर के बारे में जिन्होंने संन्यास लेने के बाद भी खुद को रोक ना पाए और मैदान की ओर रुख किया। आइये जानते हैं उनके बारे में।

* जवागल श्रीनाथ

इंडियन क्रिकेट हिस्ट्री के सबसे बड़े गेंदबाजों में शुमार जवागल श्रीनाथ ने 2002 में ही क्रिकेट को अलविदा कर दिया था। लेकिन 2003 में खेले गए क्रिकेट विश्वकप में सौरव गांगुली के आग्रह पर वे संन्यास तोड़कर एक बार फिर से मैदान में वापसी की और इंडिया को फाइनल तक पहुंचाने में उन्होंने अहम योगदान दिया था।

* केविन पीटरसन

इंग्लैंड के पूर्व कप्तान केविन पीटरसन ने भी साल 2011 में वनडे क्रिकेट से संन्यास ले लिया था। पीटरसन ने इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड और तत्कालीन कोच पीटर मूर्स से विवादों के चलते संन्यास लिया था।कुछ महीनों बाद उन्होंने क्रिकेट के सभी फॉर्मेट में खेलने के ऐलान के साथ वापसी की।

* जावेद मियांदाद

जावेद मियांदाद को पाकिस्तान का सबसे महानतम बल्लेबाज कहा जाता है। उन्होंने पाक टीम की ओर से 6 विश्वकप खेले। मियांदाद के सबसे यादगार क्षणों में एक था 1986 का भारत के खिलाफ मैच जिसमें पाकिस्तान को आखिरी गेंद पर 4 रन बनाने थे। और उन्होंने छक्के मारकर अपनी टीम को जीत दिलाई थी। कहा जाता है कि संन्यास के 10 दिनों के बाद ही उन्होंने पाक के तात्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के आग्रह पर अपना संन्यास वापस ले लिया था।

* कार्ल हूपर

कार्ल हूपर जिन्हें दुनिया के महानतम बल्लेबाजों में से एक कहा गया था। वे दुनिया के पहले क्रिकेटर थे जिन्होंने टेस्ट और एकदिवसीय दोनों में 5000 रन बनाए और साथ ही 100 विकेट, 100 कैच और 100 मैचों का रिकॉर्ड बनाया। आपको बता दें कि 1999 विश्वकप के शुरू होने से मात्र 3 सप्ताह पहले उन्होंने संन्यास की घोषणा कर दी। लेकिन वह 2001 में फिर से मैदान पर वापस आए और 2003 में दक्षिण अफ्रीका में खेले गए क्रिकेट विश्वकप में टीम के लिए कप्तानी की।

* इमरान खान

1987 वर्ल्ड कप के बाद 35 साल की उम्र में क्रिकेट से संन्यास ले लिया था। लेकिन 1992 वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के तब के राष्ट्रपति जिया उल हक चाहते थे कि वह पाक टीम की कमान फिर एक बार संभाले। 1992 वर्ल्ड कप के लिए 39 की उम्र में इमरान खान एक बार फिर वापस मैदान में आए और उन्होंने पाकिस्तान को वर्ल्ड कप की जीत का क्रिकेट में सुनहरा अवसर दिया।