बॉलीवुड की ये 10 फ़िल्में नहीं देख पाई सिनेमा हाल

बॉलीवुड अर्थात फ़िल्मी दुनिया जिसमें हर साल सैकड़ों फिल्मों आती हैं। हर फिल्म अपने कंटेंट के आधार पर चलती हैं कुछ फ्लॉप होती है तो कुछ हिट। लेकिन फिल्म रिलीज़ से पहले सेंसर बोर्ड के पास जाती है और उसे उसके कंटेंट के आधार पर सर्टिफिकेट दिया जाता हैं। लेकिन कुछ फ़िल्में बॉलीवुड में ऐसी भी आई हैं जो कि अपने आप में ही बिलकुल नया विषय थी और अपने विवादित कंटेंट के चलते जिनको सेंसर बोर्ड ने पास ही नहीं किया और उन पर बैन लगा दिया गया। तो आइये जानते हैं उन फिल्मों के बारे में जिन पर बेन लगा।

* पांच : अनुराग कश्यप और सेंसर बोर्ड की दुश्मनी मानों काफी पुरानी है। उनकी फ़िल्म 'पांच' जोशी अभ्यंकर के सीरियल मर्डर पर बेस्ड थी। सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को इसलिए पास नहीं किया क्योंकि इसमें हिंसा, अश्लील लैंग्वेज और ड्रग्स की लत को दिखाया गया था।

* बैंडिट क्वीन : शेखर कपूर द्वारा निर्देशित फिल्म बैंडिट क्वीन मश्ाहूर डकैत फूलन देवी के जीवन पर आधारित थी। इस फिल्म को सेंसर बोर्ड ने यह कहकर बैन कर दिया की इसमें वल्गर कंटेट हैं।

* फायर : डायरेक्टर दीपा मेहता की फिल्म ‘फायर’ में हिंदू फैमिली की दो सिस्टर-इन-लॉ को लेस्बियन बताया गया है। फिल्म का शिवसेना समेत कई हिंदू संगठनों ने काफी विरोध किया था। यहां तक कि फिल्म की डायरेक्टर दीपा मेहता और एक्ट्रेस शबाना आजमी व नंदिता दास को जान से मारने की धमकी तक मिली थी। काफी विवाद के बाद आखिरकार सेंसर ने इसे बैन कर दिया।

* उर्फ़ प्रोफेसर : निखिल आडवाणी की उर्फ प्रोफेसर फिल्म इसे भी सेंसर बोर्ड ने अपने चंगुल में लिया। इसके जानेमाने सितारे मनोज पाहवा अंतरा माली और शर्मन जोशी जैसे सितारे थे लेकिन फिल्म में अश्लील और अभद्र भाषा होने के कारण सेंसर बोर्ड ने इसे बैन किया।

* कामासूत्र : कामासूत्र का जन्म भारत में ही हुआ है। खजुराहो की कलाकृतियां जा कर देखो तो पता चलेगा। लेकिन जब इस विषय पर फ़िल्म बनाई गयी तो वो सेंसर बोर्ड को समझ नहीं आई। उनके अनुसार ये फ़िल्म अश्लील और अनैतिक थी। मीरा नायर ने इस फ़िल्म में १६वीं शताब्दी के चार प्रेमियों की कहानी बताई थी। फ़िल्म समीक्षकों को तो ये मूवी बहुत पसंद आई थी, लेकिन सेंसर बोर्ड को नहीं।

* द पिंक मिरर : श्रीधर रंगायन की फिल्म 'द पिंक मिरर' सेंसर बोर्ड को इसलिए पसंद नहीं आई क्योंकि इसमें समलैंगिक लोगों के हितों की बात बताई गई है। दुनिया के दूसरे फेस्टिवल्स में इस फ़िल्म को सराहा गया था लेकिन भारत में सेंसर बोर्ड ने इसे बैन कर दिया था।

* ब्लैक फ्राइडे : 1993 में मुंबई में हुए सीरियल बम धमाकों पर लिखी गई एक किताब पर ये फिल्म बेस्ड थी। अनुराग कश्यप द्वारा बनाई गई इस फिल्म पर सेंसर ने ये कहकर बैन लगा दिया था कि ये बहुत ही संवेदशील टॉपिक है। उस समय ये बम ब्लास्ट का केस कोर्ट में भी चल रहा था इसीलिए हाई कोर्ट ने इसए फिल्म की रिलीज पर तब तक रोक लगा दि जब तक इसपर कोई फैसला ना आ जाए।

* परजानिया : यह फिल्म गुजरात दंगों पर बेस्ड थी। कुछ लोगों ने इसे सराहा तो कई ने इसे क्रिटिसाइज भी किया। फ़िल्म की कहानी में अज़हर नाम का लड़का 2002 दंगों के समय गायब हो जाता है। वैसे तो परज़ानिया को अवॉर्ड मिला। लेकिन गुजरात दंगे जैसे सेंसेटिव सब्जेक्टर कीवजह से इस फ़िल्म को गुजरात में बैन कर दिया गया था।

* अनफ्रीडम : यह कहानी लैसबियन जोड़े की प्रेम कहानी पर आधारित थी। इनका सामना आतंकवादियों से होता है और उनकी जिंदगी मैं कैसा बदलाव आता है यही कहानी का विषय है। एक ही फिल्म में दो विवादस्पद विषय और इसमें कई भड़काऊ सेक्स सीन भी। शायद यही वजह रही की इस फिल्म को भी सेंसर बोर्ड ने रिलीज़ नहीं होने दिया।

* सिंस : ये फ़िल्म केरेला के एक क्रिस्चियन प्रीस्ट के ऊपर थी जिसे एक औरत से प्यार हो जाता है। दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी बन जाते हैं। कैसे ये प्रीस्ट, समाज और धर्म की मर्यादाओं को लांघ कर अपने प्यार कायम रखता है, ये फ़िल्म इसी पर आधारित है। कैथलिक लोगों को ये फ़िल्म एकदम पसंद नहीं आई थी क्योंकि इसमें कैथलिक धर्म को बहुत ही अनैतिक तरह से दर्शाया था। सेंसर बोर्ड को भी इस फ़िल्म के नग्न दृश्यों से परेशानी थी और इसीलिए उन्होंने सिंस को बैन कर दिया।