घर के निर्माण में ध्यान रखे वास्तु के ये नियम, हमेशा बनी रहेगी सुख-समृद्धि

वास्तु शास्त्र भारतीय ज्योतिष (Jyotish) विद्या का एक ऐसा भाग है जिसके अनुसार दिशाओं का हमारी जिंदगी में बड़ा महत्व होता है। खासतौर से घर के निर्माण में वास्तु (Vastu) का बड़ा योगदान होता है क्योंकि सही वास्तु जीवन में सकारात्मकता लेकर आता है और सुख-समृद्धि का वास होता है। ऐसे में जरूरी है कि अपने नए घर का वास्तु संगत निर्माण किया जाए। इसलिए आज हम आपके लिए कुछ ऐसे वातु टिप्स (Vastu Tips) लेकर आए है जो आपके घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मकता लेकर आएँगे।

* चौकोर तथा आयताकार मकान उत्तम होता है। आयताकार मकान में चौड़ाई की दुगुनी से अधिक लंबाई नहीं होनी चाहिए। कछुए के आकार वाला घर पीड़ादायक है। कुंभ के आकार घर कुष्ठ रोग प्रदायक है। तीन तथा छ: कोन वाला घर आयु का क्षयकारक है। पांच कोन वाला घर संतान को कष्ट देने वाला है। आठ कोन वाला घर रोग उत्पन्न करता है।

* दरवाजे और खिड़कियों की कुल संख्या हर मंजिल के लिए भी संख्या में होना चाहिए, लेकिन जैसे 10, 20, 30 के दरवाजे की चौड़ाई शून्य में खत्म नहीं करना चाहिए।

* आप जिस तिजोरी या अलमारी में कैश व ज्वेलरी रखते हैं उस तीजोरी या अलमारी को हमेशा कमरे के दक्षिण दिशा की दीवार से लगाकर रखना चाहिए। जिससे अलमारी का मुंह उत्तर की ओर खुलेगा। इस दिशा के स्वामी देवताओं के खजांची कुबेर हैं। तिजोरी का दरवाजा उत्तर दिशा की ओर खुलने से धन में बढ़ोतरी होती है।

* घर का मुख्य द्वार पूर्व में स्थित द्वार पूर्व में मध्य में न होकर उत्तर पूर्व की ओर या दक्षिण पूर्व की ओर होना चाहिए।

* जो लोग खुद ग्राउंड फ्लोर पर रहते हैं और किरायेदारों को ऊपरी मंजिल पर रखते हैं उन्हें मुख्य द्वार के सामने सीढ़ियों का निर्माण नहीं करना चाहिए। वास्तु विज्ञान के अनुसार इससे किरायेदार दिनोदिन उन्नति करते और मालिक की परेशानी बढ़ती रहती है।

* हमेशा ही चार पैर के बिस्तर (बेड ) का उपयोग करें। कभी बॉक्स टाइप बेड का इस्तेमाल न करे क्योंकि यह बिस्तर स्वास्थ्य के लिए बुरा है, और इसके तहत हवा का संचलन बंद हो जाता है।

* वास्तु के अनुसार मास्टर बैडरूम को घर के दक्षिण पश्चिम या उत्तर पश्चिम की ओर बनाना चाहिए। यदि घर दो मंजिला है तो मास्टर बैडरूम ऊपरी मंजिल के दक्षिण पश्चिम कोने में होना उचित माना जाता है।