धर्म और विज्ञान क्यों रोकते हैं तुलसी पत्ते को चबाने से, वजह जानकर रह जाएंगे हैरान

हिंदू धर्म में तुलसी को देवी लक्ष्मी का स्वरूप मानकर पूजनीय माना जाता है। यह सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि इसे सकारात्मक ऊर्जा और पवित्रता का प्रतीक भी माना जाता है। आयुर्वेद में तुलसी के औषधीय गुणों का ज़िक्र है और इसके कई स्वास्थ्य लाभ बताए गए हैं।

बहुत से लोग यह सोचते हैं कि तुलसी के पत्ते चबाकर खाने से स्वास्थ्य को लाभ होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा करना न केवल धार्मिक नियमों के खिलाफ है, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी नुकसानदेह हो सकता है? आइए जानें धर्म और विज्ञान दोनों की नजर में क्यों तुलसी के पत्ते चबाना सही नहीं माना जाता।

धार्मिक कारण:

पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में तुलसी को देवी का दर्जा प्राप्त है। इसे पवित्र और पूजनीय माना गया है। इसलिए तुलसी के पत्तों को दांतों से चबाना उसे अपमानित करने जैसा माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार तुलसी की हर पत्ती में देवी लक्ष्मी का वास होता है। यही कारण है कि पूजा में तुलसी की पत्तियों को तोड़कर नहीं चढ़ाया जाता।

वैज्ञानिक कारण:

वैज्ञानिक दृष्टि से भी तुलसी के पत्ते चबाने से बचने की सलाह दी जाती है। इसका मुख्य कारण यह है कि तुलसी में मर्क्यूरिक एसिड (Mercuric Acid) या पारद (Mercury) जैसे तत्व पाए जाते हैं। ये तत्व दांतों की ऊपरी परत यानी इनेमल (enamel) को नुकसान पहुँचा सकते हैं। बार-बार तुलसी के पत्ते चबाने से दांतों की सतह धीरे-धीरे घिस सकती है।

साथ ही तुलसी की तासीर गरम और हल्की एसिडिक होती है। बार-बार चबाने पर यह मुंह और पेट में एसिडिटी की समस्या बढ़ा सकती है। तुलसी में बहुत कम मात्रा में आर्सेनिक (Arsenic) भी पाया जाता है, लेकिन अधिक मात्रा में सेवन करने से यह शरीर में धीरे-धीरे टॉक्सिन जमा कर सकता है।

तुलसी का सुरक्षित सेवन कैसे करें?

आयुर्वेद और विज्ञान दोनों ही तुलसी को औषधीय पौधा मानते हैं। इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण पाए जाते हैं। इसलिए खांसी, कफ और इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए इसका सेवन लाभकारी होता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि तुलसी के पत्ते चबाने के बजाय उन्हें निगलना या पानी में मिलाकर पीना सुरक्षित है। आप तुलसी की पत्तियों को सीधे पानी के साथ ले सकते हैं, या चाय, काढ़ा और गुनगुने पानी में डालकर उसका सेवन कर सकते हैं। शहद और अदरक के रस के साथ तुलसी का सेवन रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और स्वास्थ्य को मजबूती देता है।