गर्भावस्था का समय न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी संवेदनशील होता है। इस दौरान पूजा-पाठ और धार्मिक गतिविधियों में मन लगाना शुभ माना जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि माता का आचरण और मानसिक स्थिति बच्चे पर भी सकारात्मक प्रभाव डालती है। इसी कारण शास्त्रों में गर्भवती महिलाओं को मंत्रोच्चारण, गीता पाठ और नियमित पूजा में शामिल होने की सलाह दी गई है।
क्या प्रेग्नेंसी में शिवलिंग पूजा कर सकती हैं महिलाएं?ज्योतिषाचार्य के अनुसार, शिवजी की भक्ति और पूजा से हर तरह की समस्या का समाधान संभव है। भोलेनाथ भक्त के सच्चे मन की भक्ति से ही प्रसन्न होते हैं, अतः गर्भवती महिलाएं भी शिवलिंग पूजा कर सकती हैं। शास्त्रों में गर्भवस्था के दौरान शिवलिंग पूजन पर कोई निषेध नहीं है।
यदि आप अपनी सेहत और सुविधा का ध्यान रखें तो सरल विधि से भी शिवलिंग पूजा संभव है। उदाहरण के लिए, एक लोटा शुद्ध जल शिवलिंग पर अर्पित करना भी महादेव की कृपा पाने का पर्याप्त तरीका है।
गर्भावस्था में शिवलिंग पूजन के लाभमानसिक शांति – गर्भावस्था के दौरान महिला कभी तनावग्रस्त तो कभी अधिक भावुक हो जाती है। इस समय शिवलिंग पूजन से मानसिक शांति मिलती है और चिंता कम होती है।
नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा – शिवलिंग पूजन से नकारात्मक ऊर्जा और ग्रह-दोषों का प्रभाव कम होता है। यह माता और शिशु दोनों की मानसिक और शारीरिक स्थिति को बेहतर बनाता है।
पूजा करते समय ध्यान रखें ये बातेंलंबे समय तक खड़े रहकर पूजा न करें; आराम से बैठकर पूजा करें।
अगर जमीन पर बैठना कठिन हो, तो कुर्सी या छोटी टेबल पर बैठकर भी पूजा कर सकती हैं।
प्रेग्नेंसी के दौरान कठिन उपवास या निर्जला व्रत की आवश्यकता नहीं है।
घर से मंदिर दूर होने या सीढ़ियों की अधिकता के कारण, घर पर छोटी शिवलिंग स्थापित कर पूजा करना सुरक्षित और प्रभावकारी है।
डिस्क्लेमर: यह लेख धार्मिक मान्यताओं और पंचांग आधारित जानकारी पर आधारित है। किसी विशेष निर्णय या अनुष्ठान से पहले योग्य पंडित या ज्योतिषी से परामर्श अवश्य लें।