आठ दिन तक रहता हैं होलाष्टक, भूलकर भी ना करें इन कार्यों को

10 फरवरी को फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी से 17 मार्च को होलिका दहन तक होलाष्टक का समय रहता हैं जो बेहद अहुभ माना जाता हैं। इन दिनों में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य किए जाना वर्जित हैं और पूजा-पाठ से भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार इन दिनों में सूर्य, चंद्रमा, शनि, शुक्र, गुरु, बुध, मंगल और राहु उग्र रहते हैं जिसका मांगलिक कार्यों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता हैं। होलाष्टक के दिनों में नकारात्मकता ज्यादा सक्रिय रहती है। इस वजह से हमारे विचारों में भी नकारात्मकता बढ़ जाती है। होलाष्टक में मन को शांत और सकारात्मक रखने के लिए ध्यान करें और भगवान का ध्यान करेंगे तो जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। आज इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे है कि होलाष्टक में क्या किया जाना चाहिए और किन-किन कार्यों को नहीं करना चाहिए।

होलाष्टक से जुड़ी पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, प्रहलाद को उनके पिता हिरण्यकश्यप ने भक्ति को भंग करने और ध्यान भंग करने के लिए लगातार 8 दिनों तक कई तरह की यातनाएं और कष्ट दिए थे। ऐसे में कहा जाता है कि इन 8 दिनों तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। यही 8 दिन होलाष्टक कहे जाते हैं। 8वें दिन हिरण्यकश्यप की बहन होलिका, प्रहलाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाती है लेकिन प्रहलाद बच जाते हैं और होलिका जल जाती हैं। प्रहलाद के जीवित बचने की खुशी में दूसरे दिन रंगों की होली मनाई जाती है।

होलाष्टक में क्या जरूर करें


- इन दिनों में ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते रहना चाहिए।
- अगर आप शिव जी के भक्त हैं तो शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें।
- हनुमान जी के भक्त हैं तो हनुमान मंदिर में दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- इन दिनों भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप बालगोपाल की भी विशेष पूजा करनी चाहिए। दक्षिणावर्ती शंख से भगवान का अभिषेक करें। कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जाप करें।

भूलकर भी न करें ये काम

- होलाष्टक में कभी भी विवाह, मुंडन, नामकरण, सगाई समेत 16 संस्कार नहीं करने चाहिए।
- फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से लेकर पूर्णिमा के मध्य किसी भी दिन नए मकान का निर्माण कार्य प्रारंभ न कराएं और न ही गृह प्रवेश करें।
- होलाष्टक के दिनों में नए मकान, वाहन, प्लॉट या दूसरे प्रॉपर्टी की खरीदारी से बचने की सलाह दी जाती है।
होलाष्टक कब से, क्या है होलाष्टक का महत्व, क्यों मानते हैं इसे अशुभ समय
- होलाष्टक के समय में कोई भी यज्ञ, हवन आदि कार्यक्रम नहीं करना चाहिए। उसे होली बाद या उससे पहले कर सकते हैं।
- ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, होलाष्टक के समय में नौकरी परिवर्तन से बचना चाहिए। नई जॉब ज्वाइन करनी है, तो उसे होलाष्टक के पहले या बाद में करें। यदि अत्यंत ही आवश्यक है, तो कुंडली के आधार पर किसी ज्योतिषाचार्य की सलाह ले सकते हैं।
- होलाष्टक के समय में कोई भी नया बिजनेस शुरु करने से बचना चाहिए। इस समय में ग्रह उग्र होते हैं। नए बिजनेस की शुरुआत के लिए यह समय अच्छा नहीं माना जाता है। ग्रहों की उग्रता के कारण बिजनेस में हानि होन का डर रहता है।