कर्क संक्रांति का महत्व, पुण्य पाने के लिए यह करें

16 July 2017 से कर्क संक्रांति का योग शुरू हो रहा है। इस दिन सूर्यदेव अपना घर बदलेंगे जिसका आपके जीवन पर भी अनुकूल और प्रतिकूल असर पड़ सकता है। हिन्दू धर्म में कर्क संक्रांति का अलग महत्व है।

कर्क संक्रांति का महत्व

संक्रांति के दिन भगवान सूर्यदेव की सच्चे मन से पूजा करने के बाद ब्राह्मणों और गरीबों को दान करने से कई गुना फल की प्राप्ति होगी। सूर्यदेव को भी दानवीर के रूप में हम जानते हैं। कहते हैं कि यदि सच्चे मन से पूजा करके सूर्य भगवान को प्रसन्न करने से कोई भी मनोकामना अधूरी नहीं रहती है।

कर्क संक्रांति के समय ईश्वर की शक्ति दैत्यों पर भारी

आपको जानकर शायद हैरानी होगी कि जब सूर्य उत्तरायण में होता है, यानि कि मकर संक्रान्ति के आरंभ होने के बाद कर्क संक्रान्ति के आने से पहले तक… ठीक इसी समय चक्र में ईश्वर की शक्ति दैत्यों पर भारी हो जाती है। इसलिए इस दौरान शुभ कार्य करने को हिन्दू धर्म में बहुत महत्व दिया जाता है।

वहीं, मलमास लग जाने पर (अगर किसी वर्ष में मौजूद हो तो), या फिर कर्क संक्रान्ति का आरंभ अगर हो जाए, तब से शुभ कार्यों को ना करने की सलाह दी जाती है। बताते चलें कि यह एक ऐसा समय चक्र है, जब ईश्वरीय शक्ति अपने शयन स्थान पर होती है, जिसकी वजह से ईश्वर की शक्ति कम हो जाती है और आसुरी शक्तियों का प्रकोप बढ़ जाता है।

कहते हैं कि कर्क संक्रांति के समय स्वर्ग के दरवाज़े भी बंद हो जाते हैं। तभी तो कर्क संक्रान्ति शुरू होने से पहले अगर किसी की मृत्यु हो जाती है, तो उसे अच्छा यानि कि शुभ माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह वही समय है जब आत्माएं सीधा स्वर्ग की ओर प्रवेश करती हैं। और यदि यह समय समाप्त हो जाए तो स्वर्ग का द्वार बंद हो जाता है। ऐसे में स्वर्ग जाने का मार्ग कठिनाइयों से भर जाता है। कर्क संक्रान्ति के इस तथ्य से जुड़ा एक पौराणिक कथन काफी जन प्रचलित है, जो महाभारत के एक विशेष पात्र भीष्म पितामह से जुड़ा है।

मनुष्य जाति इस समय में जितना ज्यादा आराधना में लीन होगी उतनी ही ज्यादा ईश्वरीय शक्ति बढ़ेगी। तभी इस समय में पुण्य कमाने की आज्ञा दी जाती है। समय पर पूजा-पाठ करना, जप करना, दान पुण्य करना तथा साथ ही अपने खान-पान में भी विधिपूर्वक बदलाव करने की सलाह दी जाती है।