नदियों का पानी मीठा होता हैं जबकि समुद्र का खारा, आखिर क्यों?
By: Ankur Thu, 28 May 2020 7:26:57
इस दुनिया के कई रहस्य हैं जिनको जान पाना और समझ पाना इतना आसान नहीं हैं। यह तो सभी जानते हैं कि नदियों का पानी जाकर समुद्र में गिरता हैं। लेकिन नदियों का पानी खारा नहीं होता हैं जबकि समुद्र का पानी खारा होता हैं तो इसके पीछे का रहस्य क्या हैं। इसको लेकर वैज्ञानिकों के अलग तर्क हैं तो कुछ पौराणिक कथाएँ भी इससे जुड़ी हुई हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि समुद्र का जन्म आज से करीब 50 करोड़ साल से 100 करोड़ साल के बीच हुआ होगा, लेकिन इसका अनुमान लगाना मुश्किल है कि आखिर धरती के विशालकाय गड्ढे पानी से कैसे भर गए और इन विशालकाय गड्ढों का निर्माण हुआ कैसे। हालांकि ऐसा माना जाता है कि जब पृथ्वी का जन्म हुआ तो वह आग का एक विशाल गोला थी। जब यह धीरे-धीरे ठंडी होने लगी तो चारों तरफ गैस के बादल फैल गए। यही गैस के बादल जब भारी हो गए तो वो बारिश के रूप में बरस पड़े। लाखों साल तक ऐसे ही बारिश होती रही, जिससे धरती के विशालकाय गड्ढों में पानी भर गए, जिसे आज हम समुद्र के नाम से जानते हैं।
समुद्र के पानी में जीवों की लाखों प्रजातियां रहती है। इनमें कुछ विशालकाय जीव भी होते हैं, जैसे- व्हेल मछली, शार्क मछली, ऑक्टोपस, एनाकोंडा सांप आदि। वैसे तो समुद्रों के बारे में अभी पूरी तरह वैज्ञानिक भी नहीं जान पाए हैं। ऐसे में उसके कई रहस्य अब भी अनसुलझे ही हैं।
आपको शायद ही ये पता हो कि नदियों और झरनों में भी समुद्र का ही पानी रहता है। दरअसल, समुद्र से भाप उठती है, जिससे बादलों का निर्माण होता है और इसी से बारिश होती है। यही पानी नदियों और झरनों में जाता है। इसमें लवण भी घुले होते हैं, लेकिन उनकी मात्रा कम होती है, इसलिए नदी और झरनों का पानी अक्सर मीठा होता है।
जब बारिश का पानी वापस समुद्र में पहुंचता है तो वहां थोड़े-थोड़े करके लवण जमा होते जाते हैं। हजारों-लाखों साल तक समुद्र में लवणों के जमा होने के कारण उसका पानी खारा हो जाता है। ये लवण हैं सोडियम और क्लोराइड, जिससे नमक का निर्माण होता है।
समुद्र का पानी खारा होने के पीछे एक पौराणिक कहानी भी है। कहते हैं कि एक बार समुद्र देव ने देवी पार्वती से विवाह करने का प्रस्ताव रखा, लेकिन चूंकि माता पार्वती पहले ही भगवान शिव को अपना पति मान चुकी थीं, इसलिए उन्होंने समुद्र देव के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। इससे समुद्र देव क्रोधित हो गए और माता पार्वती के सामने ही भगवान शिव को भला-बुरा कहने लगे। इसपर माता पार्वती गुस्सा हो गईं और उन्होंने उन्हें श्राप दिया कि जिस मीठे पानी पर तुम्हें इतना अभिमान है और दूसरों की बुराई करते हो, वही पानी आज से खारा (नमकीन) हो जाए, जिससे कोई पी न पाए।