चांद पर दफन है इस इकलौते इंसान की अस्थियों की राख

By: Ankur Sat, 28 Dec 2019 08:48:21

चांद पर दफन है इस इकलौते इंसान की अस्थियों की राख

इस दुनिया में कई इंसान ऐसे हुए हैं जिन्हें अपनी उपलब्धियों और प्रतिभा के लिए जाना जाता हैं। ऐसी प्रतिभा रखने वाले कई इंसान के सपने जीते जी पूरे हो जाते हैं तो कई के उनकी मौत के बाद। ऐसी ही एक शख्सियत थे महान वैज्ञानिक यूजीन मर्ले शूमेकर जो कि इकलौते इंसान हैं जिनकी अस्थियों की राख चांद पर दफ़न हैं। उन्होंने कई अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षित किया है और एक नया विज्ञान स्थापित किया। 28 अप्रैल, 1928 को जन्मे यूजीन 20वीं सदी के महान दिमागों में से एक थे। उनके बेहतरीन योगदान के लिए उन्हें 1992 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज एच. डब्ल्यू बुश द्वारा विज्ञान के राष्ट्रीय पदक से सम्मानित किया गया था।

यूजीन को एरिजोना में बैरिंजर मेटियोर क्रेटर (उल्का पिंड से बना गड्ढा) जैसे स्थलीय क्रेटर (गड्ढे) के अध्ययन के लिए भी जाना जाता था। इसके अलावा वह संयुक्त राज्य भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के खगोल भूविज्ञान अनुसंधान कार्यक्रम के पहले निदेशक भी थे। उनका पहला मिशन यूटा और कोलोराडो में यूरेनियम के भंडार की खोज करना था। इसके बाद उनका अगला मिशन ज्वालामुखी प्रक्रियाओं का अध्ययन करना था, क्योंकि अन्य जांचकर्ताओं ने पहले ही ध्यान दिया था कि यूरेनियम अक्सर प्राचीन ज्वालामुखियों के केंद्र में जमा होता था।

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यूजीन ने यह भी पता लगाने में अन्य वैज्ञानिकों की मदद की थी कि आज से करीब साढ़े छह करोड़ साल पहले धरती पर किस जगह कयामत आई थी। दरअसल, उस समय करीब 12 किलोमीटर में फैला एक उल्कापिंड धरती से आ टकराया था, जिससे डायनासोर ही नहीं, धरती पर रह रहे 80 फीसदी जीव तबाह हो गए थे। यह जगह मेक्सिको का युकाटन प्रायद्वीप है।

यूजीन ने दूर से यानी पृथ्वी पर रहकर चंद्रमा का काफी अध्ययन किया, लेकिन वह अक्सर एक अंतरिक्ष यान में चढ़ने और चंद्रमा की सतह पर चलने का सपना देखते थे। हालांकि उन्हें अपने सपनों को पूरा करने का कभी मौका नहीं मिला। एक गंभीर बीमारी ने उनके अंतरिक्ष यात्री बनने की उनकी उम्मीदों को कुचल दिया। लेकिन साल 1997 में उनकी मौत के बाद नासा ने उनके सपनों को कुछ हद तक पूरा करने का काम किया और उनकी अस्थियों की राख को चांद पर दफन किया गया। वह यह उपलब्धि पाने वाले दुनिया के पहले और एकमात्र इंसान हैं।

यूजीन शूमेकर की मौत 18 जुलाई, 1997 को एक कार दुर्घटना में हो गई थी। इस हादसे में उनकी पत्नी कैरोलीन जीन स्पेलमैन शूमेकर भी गंभीर रूप से घायल हुई थीं। आपको बता दें कि कैरोलीन भी एक खगोलशास्त्री रह चुकी हैं। फिलहाल उनकी उम्र 90 साल है।

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