यह अनोखा चर्च बना हैं 70 हजार इंसानी कंकालों से, कारण जान रह जाएंगे चकित

By: Ankur Mon, 06 Apr 2020 1:45:08

यह अनोखा चर्च बना हैं 70 हजार इंसानी कंकालों से, कारण जान रह जाएंगे चकित

आपने कई जगहों पर घूमने गए होंगे जहां आपने कई अनोखी तरह की कलाकृति और इंजीनियरिंग देखि होगी। लेकिन क्या आपने कभी कोई ऐसी इमारत देखि हैं जो इंसानी कंकालों से बनी हो और वो भी के चर्च। जी हां, आज हम आपको आज एक ऐसे अनोखे चर्च के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि करीब 70 हजार इंसानी कंकालों या हड्डियों से मिलकर बना हैं। हम बात कर रहे हैं डलेक ऑस्युअरी चर्च की जो कि चेक गणराज्य की राजधानी प्राग में स्थित है।
इसे बेहद ही डरावना और रहस्यमय चर्च माना जाता है, लेकिन इसके बावजूद यहां लाखों की संख्या में लोग घूमने के लिए आते हैं। एक अनुमान के मुताबिक, सालाना इस अनोखे चर्च को देखने के लिए दो लाख से भी ज्यादा लोग आते हैं। बताया जाता है कि इस चर्च को सजाने के लिए 40 हजार से 70 हजार लोगों की हड्डियों का इस्तेमाल किया गया है। यहां छत से लेकर झूमर तक सबकुछ इंसानी हड्डियों से ही बनाए गए हैं। यही वजह है कि इसे 'चर्च ऑफ बोन्स' के नाम से भी जाना जाता है।

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यह चर्च आज से करीब 150 साल पहले यानी 1870 में बना है। दरअसल, इंसानी हड्डियों से इस चर्च को सजाने के पीछे एक बेहद ही रहस्यमय वजह है। सन् 1278 में बोहेमिया के राजा ओट्टोकर द्वितीय ने हेनरी नाम के एक संत को ईसाईयों की पवित्र भूमि यरुशलम भेजा था। दरअसल, यरुशलम को ईसा मसीह की कर्मभूमि कहा जाता है। यहीं पर उन्हें सूली पर भी चढ़ाया गया था।

कहते हैं कि यरुशलम गए संत जब वापस लौटे तो वो अपने साथ वहां की पवित्र मिट्टी से भरा एक जार भी लेकर आए और उस मिट्टी को एक कब्रिस्तान के ऊपर डाल दिया। बस उसके बाद से यह लोगों के दफनाने की पसंदीदा जगह बन गई। कब्रिस्तान में पवित्र मिट्टी होने की वजह से लोग चाहते कि मरने के बाद उन्हें वहीं पर दफनाया जाए और ऐसा होने भी लगा।

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इसी बीच 14वीं सदी में 'ब्लैक डेथ' महामारी फैल गई, जिसकी वजह से बड़ी संख्या में लोग मारे गए। उन्हें भी प्राग के उसी कब्रिस्तान में दफनाया गया, जहां पवित्र मिट्टी को डाला गया था। इसके अलावा 15वीं सदी की शुरुआत में बोहेमिया युद्ध में भी हजारों की संख्या में लोग मारे गए और उन्हें भी वहीं पर दफनाया गया।

अब भारी तादाद में लोगों को दफनाने की वजह से कब्रिस्तान में बिल्कुल भी जगह नहीं बची। इसलिए उनके कंकालों और हड्डियों को निकालकर उनसे चर्च को सजा दिया गया। देखते ही देखते यह चर्च पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो गया और बड़ी संख्या में लोग इसे देखने आने लगे। यह सिलसिला आज भी जारी है।

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