लिम्का बुक में दर्ज हुई सिर से जुड़े दो बच्चों को अलग करने की सर्जरी, दो साल चले इलाज के बाद मिली थी सफलता
By: Priyanka Maheshwari Thu, 14 Nov 2019 4:33:39
करीब साढ़े चार साल पहले जन्मे जग्गा और बलिया दो जुड़वां भाई आम जुड़वां बच्चों से अलग थे क्योंकि उनके सिर आपस में जुड़े थे। दिल्ली के एम्स ने इन दोनों भाइयों को अलग-अलग करके न सिर्फ उन दोनों को नई पहचान दे दी बल्कि कठिन शल्य क्रिया करके रिकॉर्ड भी बना डाला। दिल्ली के एम्स के 125 डॉक्टरों ने 45 घंटों की दो सर्जरी के बाद इन दोनों बच्चों को अलग-अलग किया गया। पहली सर्जरी 28 अगस्त 2017 और दूसरी इसी साल 25 अक्टूबर को हुई। पहली सर्जरी के वक्त दोनों बच्चों की उम्र 28 महीने थी। दोनों बच्चों की तबियत में सुधार के बाद उनको वापस उनके घर ओडिशा भेज दिया गया है। वही अब इस कामयाब सर्जरी को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया है। बुक के 2020 के संस्करण में इसे देश में अपनी तरह के पहले ऑपरेशन के रूप में जगह दी गई है।
#WATCH Delhi: Jaga, one of the conjoined twins, plays football with hospital staff at AIIMS. Jaga&Balia were admitted at AIIMS on 14.07.2017 as Craniopagus (conjoined twins) where they underwent staged separation of surgeries&separated on 25.10.2017. Theyll be shifted to Odisha. pic.twitter.com/8yUw5zSPns
— ANI (@ANI) September 6, 2019
प्रो महापात्रा के मुताबिक, यह हमारे लिए बड़ी चुनौती थी। कपाल से जुड़े बच्चों की यह भारत की पहली सर्जरी थी। इस सर्जरी की बड़ी विशेषता यह भी थी कि इसमें एम्स की वेन बैंक से नस लेकर बलिया के सिर में लगाई गई थी, क्योंकि दोनों बच्चों के सिर में एक ही नस थी।
प्रोफेसर महापात्रा ने दावा किया कि यह वेन ग्राफ्टिंग की दुनिया में पहली सर्जरी थी। इसके लिए न्यूयॉर्क के अल्बर्ट आइंस्टीन कॉलेज ऑफ मेडिसिन में पीडियाट्रिक न्यूरोसर्जन प्रोफेसर जेम्स टी गुडरिच की सलाह ली गई थी, जो दो ऐसी ही सर्जरी कर चुके थे और दुनिया में इस क्षेत्र के विशेषज्ञ माने जाते हैं। वास्तविक सर्जरी से पहले तीन बार डमी ऑपरेशन किए गए। पिछले 33 सालों में दुनिया में बमुश्किल 12-13 सर्जरी हुई हैं। जग्गा और बलिया एम्स दिल्ली में करीब दो साल रहे। अब दोनों ओडिशा लौट चुके हैं और स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं।
बता दे, जग्गा और बलिया का जन्म ओडिशा के कंधमाल में अप्रैल 2015 में हुआ। उनका शुरुआती इलाज भुवनेश्वर में कराया गया। वहां जब नाउम्मीदी दिखी तो जुलाई 2017 में उन्हें एम्स लाया गया। यहां उनकी दो जटिल सर्जरी की गईं और सफलता मिल गई।