गजब का जूनून : रावण के पुतले के लिए इस शख्स ने बेच दी अपनी साढ़े 12 एकड़ जमीन
By: Priyanka Maheshwari Fri, 19 Oct 2018 4:02:42
दशहरा अर्थात विजयादशमी का त्योहार पूरे देश में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता हैं। यह बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में जाना जाता हैं। आज ही के दिन भगवान श्रीराम ने राक्षस रावण को मारा था। उसी तरह हमारे मन के राक्षस को मारने के लिए भी हर साल रावण-दहन का आयोजन किया जाता हैं। इस दिन कई जगह दशहरे के मेले का आयोजन भी किया जाता हैं। लंकापति रावण का अहं सबसे बड़ा था और उसी प्रतीक के तौर पर इस बार पंचकूला में रावण का सबसे बड़ा पुतला बनाया गया है। दावा किया जा रहा है कि 210 फुट ऊंचा यह पुतला, दुनिया का सबसे बड़ा रावण का पुतला है। इसे लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में भी जगह मिल चुकी है। करीब 30 लाख रुपए की लागत से बने इस पुतले में इको फ्रेंडली आतिशबाजी भी लगाई गई है। 19 अक्टूबर को इस पुतले का रिमोट कंट्रोल के जरिए दहन किया जाएगा। लेकिन इससे भी दिलचस्प है इस पुतले को धरातल पर उतारने वाले शख्श की कहानी, जिसने अपना सब कुछ इस पुतले के लिए दांव पर लगा दिया। अंबाला के बराड़ा के रहने वाले तेजेन्द्र राणा बिना किसी आर्थिक मदद के पिछले करीब 31 सालों से इसी तरह रावण का पुतला बनाते आ रहे हैं। इससे पहले वे बराड़ा में हर साल पुतला बनाते आ रहे थे लेकिन इस बार बराड़ा के मैदान में खाली जगह न मिलने के कारण वे अपना पुतला लेकर पंचकुला आए हैं।
अब तक साढ़े 12 एकड़ जमीन बेच चुके हैं तेजेंद्र
तेजेन्द्र राणा रावण के पुतले को लेकर काफी जुनूनी हैं। उनकी मानें तो रावण का पुतला बनाने के लिए करीब साढ़े 12 एकड़ जमीन बेच चुके हैं। तेजेंद्र लाखों रुपए अपने इस जुनून को पूरा करने के लिए खर्च कर चुके हैं। हालांकि तेजेन्द्र राणा के परिवार ने हमेशा उनका साथ दिया है, उनकी भावनाओं को समझा है।
लोगों की खुशी से मिलती है प्रेरणा
राणा बताते हैं कि उनका पुतला देखकर लोगों को जो खुशी मिलती है वही उनकी असली प्रेरणा है। आज के दौर में जब हर शख्स अपने लिए जीता है वे दूसरों की खुशी के लिए अपना सब कुछ लुटाकर भी खुश हैं।
जमीन बेचने पर घरवालों ने किया था विरोध
तेजेंद्र चौहान के परिवार ने भी उनके जुनून को कबूल कर लिया और जब उन्होंने पहली बार रावण के पुतले को तैयार करने के लिए पैसे की कमी होने की वजह से जमीन बेचने की बात की तो उनकी पत्नी मंजू और बेटे दिलावर ने पहले तो उसका विरोध किया। लेकिन बाद में उन्होंने तेजेंद्र के जुनून के सामने घुटने टेक दिए और उसके बाद से वे लगातार तेजेंद्र के साथ खड़े हैं और उन्हें कभी भी रावण के पुतले तैयार करने के लिए जमीन बेचने या फिर अपनी गाढ़ी कमाई लगाने के लिए मना नहीं किया।
बची खुची संपत्ति की बेटे के हवाले
तेजेंद्र चौहान ने अपनी गाढ़ी कमाई रावण के पुतले को विश्व में सबसे ऊंचा बनाने और दशहरे के आयोजन को भव्य बनाने में लगा दी। लेकिन अब वे अपनी बची-खुची संपत्ति और पैसा अपने बेटे के हवाले कर चुके हैं और अपने बेटे को जिम का बिजनेस और खेतीबाड़ी का काम भी सौंप चुके हैं।
ऐसे में अब उन्हें बस यही चिंता है कि अगर आने वाले सालों में उनके साथ कोई बड़ी संस्था आकर दशहरे के रावण दहन के कार्यक्रम के लिए नहीं जुड़ी तो उनका यह जुनून आर्थिक तंगी की वजह से दम तोड़ देगा। तेजेंद्र चौहान को उम्मीद है कि आने वाले वक्त में कोई संस्था या संगठन उनके साथ जरूर खड़ा होगा। ऐसा होने पर वे कुतुबमीनार से भी ऊंचा रावण का पुतला बनाने के अपने सपने को पूरा कर सकेंगे।