आखिर क्यों केवल नागपंचमी के दिन ही खुलता हैं उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मंदिर?

By: Ankur Sat, 25 July 2020 6:38:28

आखिर क्यों केवल नागपंचमी के दिन ही खुलता हैं उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मंदिर?

हिन्दू धर्म में नागों का विशेष महत्व माना जाता हैं और इनका पूजन किया जाता हैं। आज सावन शुक्ल पंचमी को नागपचमी का पावन पर्व मनाया जाता हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मंदिर पूरे साल में केवल नागपंचमी के दिन ही खुलता हैं। इस मंदिर को लेकर भी कई रहस्य बने हुए हैं। उज्जैन के महाकाल मंदिर के तीसरी मंजिल पर ही नागचंद्रेश्वर मंदिर स्थित है। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसे सिर्फ नागपंचमी के दिन दर्शन के लिए खोला जाता है।

मान्यताओं के अनुसार, नागराज तक्षक स्वयं इस मंदिर में मौजूद हैं। इस वजह से केवल नागपंचमी के दिन मंदिर को खोलकर नाग देवता की पूजा-अर्चना की जाती है। इसके साथ ही कई मायनों में नागचंद्रेश्वर मंदिर हिंदू धर्म के लोगों के लिए खास है। नागचंद्रेश्वर मंदिर में 11वीं शताब्दी की प्रतिमा मौजूद है, जिसको लेकर दावा किया जाता है कि ऐसी प्रतिमा दुनिया में और कहीं नहीं है। इस प्रतिमा को नेपाल से यहां लाया गया था।

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नागचंद्रेश्वर मंदिर में भगवान विष्णु की जगह शंकर भगवान सांप के शय्या पर विराजमान हैं। मंदिर में जो प्राचीन मूर्ति स्थापित है उस पर शिव जी, गणेश जी और मां पार्वती के साथ दशमुखी सर्प शय्या पर विराजित हैं। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए सर्पराज तक्षक ने घोर तपस्या की थी। सर्पराज की तपस्या से भगवान शंकर खुश हुए और फिर उन्होंने सर्पों के राजा तक्षक नाग को वरदान के रूप में अमरत्व दिया। उसके बाद से ही तक्षक राजा ने प्रभु के सान्निध्य में ही वास करना शुरू कर दिया। लेकिन महाकाल वन में वास करने से पूर्व उनकी यही मंशा थी कि उनके एकांत में विघ्न ना हो इस वजह से सिर्फ नागपंचमी के दिन ही उनके मंदिर को खोला जाता है।

इस प्राचीन मंदिर का निर्माण राजा भोज ने 1050 ईस्वी के आसपास कराया था। इसके बाद सिंधिया घराने के महाराज राणोजी सिंधिया ने साल 1732 में महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। उसी समय इस मंदिर का भी जीर्णोद्धार किया गया था। इस मंदिर में आने वाले भक्तों की यह लालसा होती है कि नागराज पर विराजे भगवान शंकर का एक बार दर्शन हो जाए। नागपंचमी के दिन यहां लाखों भक्त आते हैं।

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