गौरी केदारेश्वर मंदिर : भोलेनाथ खुद यहाँ खिचड़ी खाने आते हैं
By: Ankur Mundra Thu, 23 Aug 2018 4:40:48
काशी शहर को अपनी भक्ति के लिए जाना जाता हैं, यहाँ पर अनगिनत मंदिर हैं और उसमें दर्शन करने वाले भक्तों की संख्या भी अनगिनत ही होती हैं। आज हम आपको काशी में स्थित एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां शिवलिंग दो भागों में बनता हुआ हैं और माना जाता है कि शिवलिंग के एक हिस्से में शिव जी, मां पार्वती के साथ वास करते हैं। इस मंदिर का नाम गौरी केदारेश्वर मंदिर है। इसी के साथ माना जाता है कि भोलेनाथ खुद यहाँ खिचड़ी खाने आते हैं।
इस मंदिर में पूजा-अर्चना भी बेहद अलग ढंग से होती है। यहाँ के पंडित बिना सिला कपड़ा पहन कर चार समय शिवलिंग की आरती करते हैं और बेलपत्र, दूध गंगाजल के साथ खिचड़ी चढ़ाते हैं। माना जाता है कि भगवान शिव स्वयं यहां भोग ग्रहण करने आते हैं।
पहले यह मंदिर भगवान विष्णु का हुआ करता था, तब यहां मान्धाता ऋषि कुटिया बना कर रहते थे। माना जाता है कि वे बंगाली होने के नाते केवल चावल ही पकाते थे। साथ ही वह शिव जी के भी परम भक्त थे और रोज पूजा करने के बाद इसी मंदिर में आ कर खिचड़ी बना कर पत्तल पर निकाल कर दो भाग में बांट कर पहले गौरी केदारेश्वर को खिलाने हिमालय जाते और फिर आधी खिचड़ी आ कर दो हिस्सों में बांट कर अतिथि को देते और एक खुद भी खाते।
जब ऋषि मान्धाता बीमार हुए तब वहां केदारेश्वर प्रकट हुए। उन्होंने कई बार प्रयास किया लेकिन वे खिचड़ी बना कर हिमालय जाने में असमर्थ महसूस करने लगे। तब शिव जी और माता पार्वती खुद हिमालय से आ कर यहां प्रकट हुए और उन्होंने खुद को खिचड़ी का भोग लगाया।
इसके बाद उन्होंने आधे हिस्से वाली खिचड़ी ऋषि के महमानों को तथा उन्हें खुद खिलाई। जिसके बाद उन्होंने ऋषि मान्धाता को आर्शीवाद दिया कि आज के बाद से उनका एक स्वरूप काशी में ही वास करेगा।