काफी दिलचस्प है न्यूजीलैंड के खोज की कहानी, आइये जानें
By: Ankur Mon, 01 June 2020 6:30:04
न्यूजीलैंड का नाम तो आपने सुना ही होगा जहाँ की क्रिकेट टीम से भारतीय क्रिकेट टीम का मैच रोमांचक होता हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि न्यूजीलैंड की खोज कैसे हुई थी और इसका इतिहास कैसा रहा हैं। न्यूजीलैंड के खोज की कहानी काफी दिलचस्प हैं जिसके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं। वैसे तो दुनिया के अधिकतर लोग यही जानते हैं कि इस देश की खोज ब्रिटेन के कैप्टन जेम्स कुक ने वर्ष 1769 में की थी, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि यह पूरा सच नहीं है। यूरोपीय इतिहासकार बताते हैं कि कैप्टन जेम्स कुक ने पहली बार न्यूजीलैंड की धरती पर कदम रखा था, लेकिन इसे सबसे पहले डच नाविक एबेल तस्मान ने 13 दिसंबर 1642 को देखा था। अब अगर आप सोच रहे होंगे कि इस देश की खोज की कहानी पूरी हो गई, तो आप गलत हैं। असल में इसके खोज की कहानी तो सदियों पुरानी है, जिसके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।
माना जाता है कि न्यूजीलैंड की खोज माओरी लोगों ने की थी। ये लोग पॉलीनेशिया के द्वीपों पर रहने वाले आदिवासी हैं। वो यहां पर 1250 से 1300 ईस्वी के बीच रहने के लिए आए थे। माओरी लोग इस देश को एओटियारोआ कहते हैं। उनका मानना है कि न्यूजीलैंड की तलाश कुपे नाम के एक मछुआरे ने की थी, जिसकी कहानी बड़ी ही दिलचस्प है।
माओरी समाज की पौराणिक कहानी के मुताबिक, कुपे हवाईकी के रहने वाले थे। कहते हैं कि वो जिस जगह पर मछली पकड़ते थे, वहां ऑक्टोपस पहले से घात लगाए बैठा रहता था और मछलियों के लिए डाले गए चारे को वो खा जाता था। अब कुपे को लगा कि ये ऑक्टोपस एक दूसरी जनजाति के मुखिया मुतुरांगी का है, जो उनका प्रतिद्वंद्वी था। इसलिए उन्होंने मुतुरांगी से कहा कि वो अपने ऑक्टोपस को मछलियों के लिए डाले गए उनके चारे को खाने से रोके, लेकिन मुतुरांगी ने ऐसा करने से मना कर दिया। इसके बाद कुपे ने उसे मारने की कसम खाई और निकल पड़े उसकी तलाश में।
कहते हैं कि समुद्री रास्ते से ऑक्टोपस की तलाश करते-करते कुपे न्यूजीलैंड के द्वीपों पर पहुंच गए। वहां उनका सामना उसी ऑक्टोपस से हुआ और उनके बीच भयंकर लड़ाई हुई। इस लड़ाई में आखिरकार कुपे ने ऑक्टोपस को मार गिराया। इसके बाद उन्होंने न्यूजीलैंड के उत्तरी द्वीप का चक्कर लगाया और कई जगहों के नाम भी रखे।
हालांकि कुपे न्यूजीलैंड के द्वीपों पर कब पहुंचे थे, इसका कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिलता है। ये एक पौराणिक कहानी जैसी है, जो यहां पीढ़ी दर पीढ़ी जबानी तौर पर सुनाई जाती रही है और लोग उसी को मानते भी हैं। हालांकि कुछ लोग न्यूजीलैंड में कुपे के आने का समय 750 ईस्वी बताते हैं, लेकिन यह भी सिर्फ सुनी-सुनाई बात है। इसका कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है।