नेता जिसे नहाने से भी थी नफरत, नहीं किया कभी भी दांतों पर ब्रश
By: Ankur Tue, 16 Feb 2021 2:04:28
हर इंसान अपनी दिनचर्या में दांतों पर ब्रश और नहाने जैसी नित्यक्रिया को शामिल करता ही हैं। स्वच्छ रहना सभी को पसंद आता हैं खासतौर से बड़ी सख्शियत खुद की स्वच्छता का ज्यादा ही ध्यान रखते हैं। लेकिन आज इस कड़ी में हम आपको एक ऐसे नेता के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे नहाने से भी नफरत थी और कभी भी दांतों पर ब्रश नहीं करता था। हम बात कर रहे हैं माओत्से तुंग की जिसे माओ जेडॉन्ग के नाम से भी जानते हैं।
माओ के डॉक्टर रह चुके 'जी शी ली' ने उनके जीवन पर एक किताब लिखी है, जिसका नाम 'द प्राइवेट लाइफ ऑफ चेयरमेन माओ' है। इसमें उन्होंने चीन के इस नेता के बारे में कई हैरान करने वाली बातें बताई हैं। जी शी ली के किताब के मुताबिक, 'माओ जब सोकर उठते थे, तो ब्रश करने के बजाए दांतों को साफ करने के लिए चाय का कुल्ला किया करते थे। यह उनका हर रोज का काम था। उनके दांतों को देखकर ऐसा लगता था, जैसे किसी ने उन्हें हरे रंग से रंग दिया हो।' सिर्फ यही नहीं, माओ नहाया भी बहुत कम ही करते थे। ऐसा कहा जाता है कि उन्हें नहाने से नफरत थी।
माओत्से तुंग सोने और उठने के मामले में दुनिया से बिल्कुल अलग थे। कहते हैं कि उनका दिन रात में शुरू होता था। जब पूरी दुनिया सोती रहती थी तो वो काम करते थे और जब लोगों के उठने का समय होता था, तब जाकर वो सोने जाते थे। उनके बारे में एक बात और जो सबसे ज्यादा मशहूर है, वो ये कि माओ हमेशा अपने ही पलंग पर सोते थे, क्योंकि उन्हें किसी और बिस्तर पर नींद ही नहीं आती थी। यहां तक कि जब वो विदेश यात्रा पर जाते थे, तब भी उनका पलंग हमेशा उनके साथ जाता था।
26 दिसंबर, 1893 को हुनान प्रांत के शाओशान कस्बे में जन्मे माओ को दुनिया के सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में से एक थे। मशहूर टाइम पत्रिका ने उन्हें 20वीं सदी के 100 सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में शामिल किया था। चीन के लोग उन्हें एक महान प्रशासक मानते हैं। उनका मानना है कि माओ ही वो शख्स थे, जिन्होंने अपनी नीति और कार्यक्रमों के माध्यम से आर्थिक, तकनीकी और सांस्कृतिक विकास के साथ चीन को दुनिया की एक प्रमुख शक्ति बनने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
हालांकि, माओ की एक भयानक गलती की वजह से करोड़ों लोग मारे भी गए थे। दरअसल, 1958 में माओ ने एक अभियान शुरू किया था, जिसे 'फोर पेस्ट कैंपेन' के नाम से जाना जाता है। इसके तहत उन्होंने चार जीवों (मच्छर, मक्खी, चूहा और गौरैया चिड़िया) को मारने का आदेश दिया था। हालांकि बाद में उनका ये दांव उल्टा पड़ गया था, जिसकी वजह से चीन में एक भयानक अकाल पड़ा और लोग भूखमरी के शिकार हो गए। माना जाता है कि उस वक्त भूखमरी से करीब 15 मिलियन यानी 1।50 करोड़ लोगों की मौत हो हुई थी।
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