हाथ और पैर पर उग आती हैं पेड़ जैसी शाखाएं, दर्द से परेशान शख्स ने कहा - प्लीज, मेरे हाथ काट दो
By: Priyanka Maheshwari Mon, 24 June 2019 10:45:59
बांग्लादेश के अब्दुल बजनदार (Abdul Bajandar) एक अजीब बीमारी का शिकार है। इस बीमारी की वजह से उनके हाथ और पैर पर बार-बार पेड़ की शाखाओं जैसी आकृतियां उभर आती हैं। 2016 से लेकर अब तक अब्दुल बजनदार के 25 ऑपरेशन हो चुके हैं। इस बीमारी से परेशान अब्दुल ने सोमवार को कहा कि वह चाहता है कि उसके हाथ काट दिए जाएं ताकि उसे असहनीय दर्द से छुटकारा मिल सके। बिगड़ती हालत को देखते हुए एक बच्चे के पिता 28 वर्षीय अब्दुल को इसी साल जनवरी में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इस बार उनके हाथ पर पहले से भी लंबी पेड़ जैसी संरचनाएं उभर आईं हैं। उन्होंने कहा, 'मैं और दर्द सहन नहीं कर सकता। मैं रात को सो नहीं पाता हूं। मैंने डॉक्टरों से कहा कि वे मेरे हाथ काट दें ताकि मुझे कुछ राहत मिल सके।' आपको बता दें कि अब्दुल एक अजीब बीमारी एपिडर्मोडिसप्लासिया वेरुसीफॉरमिस (Epidermodysplasia Verruciformis) से जूझ रहे हैं। इस बीमारी को 'ट्री मैन सिंड्रोम' के नाम से भी जाना जाता है।
एएफपी के मुताबिक, डॉक्टरों को लग रहा था कि उन्होंने इस अजीब बीमारी को हरा दिया है लेकिन पिछले साल मई में हुई सर्जरी के बाद अब्दुल फिर ढाका स्थित क्लिनिक पहुंच गए।
अब्दुल की मां अमीना बीबी उनकी इस गुहार का समर्थन करती हैं। उन्होंने कहा, 'कम से कम उन्हें दर्द से तो निजात मिलेगी। यह नर्क जैसी स्थिति है।'
इलाज के लिए जाना चाहते है विदेश
अब्दुल बेहतर इलाज के लिए विदेश जाना चाहते हैं लेकिन उनके पास इसके लिए पैसे नहीं हैं। ढाका मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल की मुख्य प्लास्टिक सर्जन समांथा लाल सेन ने कहा कि सात डॉक्टरों का एक बोर्ड मंगलवार को बजनदार की हालत पर चर्चा करेगा। उन्होंने कहा, 'वह अपने विचार रख चुके हैं। लेकिन हम वही करेंगे जो उनके लिए सबसे अच्छा होगा।'
माना जाता है कि पूरी दुनिया में आधे दर्जन से भी कम लोग इस अजीब बीमारी के शिकार हैं। इससे पहले इसी अस्पताल ने साल 2017 में इस बीमारी से जूझ रही एक बांग्लोदशी लड़की का इलाज भी किया था। डॉक्टरों ने उसके सफल ऑपरेशन का ऐलान किया था। लेकिन बाद में लड़की के पिता का कहना था कि ऑपरेशन के बाद पहले से भी ज्यादा लंबी पेड़ जैसी शाखाएं निकल आईं हैं। इसके तुरंत बाद लड़की के घरवाले इलाज बीच में ही छोड़कर वापस अपने गांव चले गए थे।