इस 14 साल के बच्चे को मिली थी मौत की सजा, इलेक्ट्रिक चेयर से बांध दिया 2400 वोल्ट का तेज झटका
By: Ankur Wed, 20 Jan 2021 1:19:05
किसी भी अपराधी को मौत की सजा मिलना इतना आसान नहीं हो पाता हैं और उसमें भी कई सालों लग जाते हैं। लेकिन आज इस कड़ी में हम आपको एक ऐसे अपराधी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी उम्र महज 14 साल थी और उसे मौत की सजा दी गई थी। 75 साल पहले अमेरिका में कुछ ऐसा ही हुआ था। इस घटना में सबसे हैरान करने वाली बात ये थी कि अदालत ने महज 10 मिनट में उस बच्चे को मौत की सजा सुना दी थी, जिसके बाद उसे इलेक्ट्रिक चेयर (कुर्सी) में बांधकर बिजली का झटका दिया गया और मौत के घाट उतार दिया गया।
ये खौफनाक घटना साल 1944 में घटी थी। अमर उजाला में प्रकाशित खबर के अनुसार बच्चे का नाम जॉर्ज स्टिनी था, जो अफ्रीकन-अमेरिकन था यानी अश्वेत था। चूंकि उस दौर में श्वेत लोग अश्वेतों से रंग के कारण भेदभाव खूब करते थे, इसलिए कहा जाता है कि बच्चे को सजा-ए-मौत देने का फैसला एकतरफा था। क्योंकि जजों की जिस बेंच ने फैसला सुनाया था, उसमें सभी श्वेत थे।
यह कहानी कुछ इस तरह शुरू होती है। 23 मार्च 1944 का दिन था। जॉर्ज अपनी बहन कैथरीन के साथ अपने घर के बाहर खड़ा था। तभी वहां पर दो लड़कियां 11 वर्षीय 'बैटी जून बिनिकर' और 8 वर्षीय 'मेरी एमा थॉमस' किसी फूल को ढूंढते हुए आईं। उन्होंने उस फूल के बारे में जॉर्ज और उसकी बहन कैथरीन से पूछा। इसके बाद जॉर्ज उन लड़कियों की मदद के लिए साथ चला गया। बाद में वह अपने घर लौट आया, लेकिन वो दोनों लड़कियां गायब हो गईं।
जब लड़कियों के घरवालों ने उन्हें ढूंढना शुरू किया, तो पता चला कि वो आखिरी बार जॉर्ज के साथ देखी गई थीं। ऐसे में लड़कियों के घरवालों ने जॉर्ज के पिता के साथ लड़कियों को आसपास के इलाकों में ढूंढने लगे, लेकिन वो मिली नहीं। इसके बाद अगले दिन सुबह दोनों लड़कियों की लाश रेलवे ट्रैक के पास कीचड़ में मिली। दोनों के सिर पर गहरी चोट लगी थी, जिससे उनकी मौत हो गई थी।
लाश मिलने के बाद पुलिस ने शक के आधार पर जॉर्ज को हिरासत में ले लिया और उससे पूछताछ की। बाद में पुलिस की ओर से बताया गया कि जॉर्ज ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है, उसी ने दोनों लड़कियों का कत्ल किया है। पुलिस द्वारा दिए बयान में कहा गया कि जॉर्ज 11 वर्षीय बैटी के साथ संबंध बनाना चाहता था, लेकिन उसे लगा कि मेरी के रहते ये नहीं हो सकता, तो उसने मेरी को मारने की कोशिश की। इसी बीच दोनों लड़कियां उससे भिड़ गईं, जिसके बाद जॉर्ज ने लोहे के रॉड से उनके सिर पर मारा, जिससे दोनों की मौत हो गई। पुलिस के मुताबिक, चोट इतना भयंकर था कि उनके सिर के 4-5 टुकड़े हो गए थे।
दोनों लड़कियों की हत्या के लिए जॉर्ज और उसके भाई जॉन को गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि, बाद में जॉन को छोड़ दिया गया। इसके बाद जॉर्ज को गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी ने एक लिखित बयान दिया, जिसमें कहा गया कि जॉर्ज ने अपनी गलती मान ली है। लेकिन इसमें सबसे हैरान करने वाली बात ये थी कि उस लिखित बयान पर जॉर्ज के हस्ताक्षर ही नहीं थे। लेकिन इसपर किसी ने ध्यान नहीं दिया। बाद में जॉर्ज को कोलंबिया की जेल में लगभग तीन महीने तक रखा गया। इस दौरान उसके परिवार को उससे मिलने तक नहीं दिया गया।
जॉर्ज के मामले की सुनवाई के लिए एक ज्यूरी का गठन किया गया और वो भी महज एक दिन में। अदालत की ओर से जॉर्ज के बचाव में वकील चार्ल्स प्लोडन को रखा गया था। कहा जाता है कि चार्ल्स राजनीति में आना चाहते थे और चूंकि उस समय श्वेत लोगों का राजनीति में बोलबाला था, इसलिए उन्होंने जॉर्ज के बचाव में सिर्फ एक ही दलील दी कि उससे किसी वयस्क की तरह पेश न आया जाए। लेकिन उस समय अमेरिका में 14 साल के बच्चे को वयस्क ही माना जाता था, इसलिए चार्ल्स की दलील खारिज हो गई।
इस केस की सबसे हैरान करने वाली बात ये भी थी कि जो जज मामले की सुनवाई कर रहे थे, वो सभी श्वेत थे। इसके अलावा कोर्टरूम के अंदर उस समय एक हजार से भी ज्यादा लोग थे, लेकिन किसी भी अश्वेत को अंदर घुसने नहीं दिया गया था। इस मामले में जॉर्ज के खिलाफ तीन गवाहों को पेश किया गया था, जिसमें एक वो था जिसने लड़कियों की लाश ढूंढी थी और दूसरा वो दो डॉक्टर जिन्होंने दोनों लड़कियों का पोस्टमॉर्टम किया था। पोस्टमॉर्टम में ये साबित हो चुका था कि दोनों लड़कियों के साथ दुष्कर्म नहीं हुआ था। वहीं जॉर्ज के वकील अदालत में एक भी गवाह पेश नहीं कर सके थे।
इस केस में सबसे खास बात ये थी कि जॉर्ज के सवालों को क्रॉस चेक भी नहीं किया गया था और ना ही उसे अपने बचाव में कुछ बोलने का मौका ही दिया गया था। करीब ढाई घंटे तक मामले की सुनवाई चली थी और महज 10 मिनट में ही अदालत ने उसे दोषी मानते हुए मौत की सजा सुना दी थी। हालांकि, जॉर्ज अपने आप को बेकसूर बता रहा था, लेकिन उसे यह साबित करने का मौका ही नहीं दिया गया।
चूंकि उस दौर में लोगों को मौत की सजा इलेक्ट्रिक चेयर से दी जाती थी। ऐसे में जॉर्ज को भी इलेक्ट्रिक चेयर से बांधा गया। कहा जाता है कि जॉर्ज की लंबाई (पांच फीट) कम थी और वो कुर्सी पर फिट नहीं हो रहा था, इसलिए उसे किताबों के ऊपर बिठाया गया। कुछ लोग कहते हैं कि वो किताब बाइबिल थी। इसके बाद जॉर्ज को 2400 वोल्ट का बिजली का तेज झटका दिया गया, जिससे उसकी दर्दनाक मौत हो गई।
जॉर्ज अभी भी अमेरिका में सबसे कम उम्र में मौत की सजा पाने वाला इंसान है। उसकी मौत के 70 साल बाद यानी साल 2014 में उसके केस को दोबारा खोला गया था, जिसमें ये माना गया कि उसके साथ अन्याय हुआ था। जॉर्ज के बयान स्पष्ट नहीं थे कि उसी ने दोनों लड़कियों का खून किया था। यानी उसे बेगुनाह करार दिया गया। यह मामला अमेरिका के कानूनी इतिहास में एक काला अध्याय माना जाता है, जिसमें एक बेगुनाह को दर्दनाक तरीके से सजा-ए-मौत दे दी गई थी।
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