1 लाख रूपये प्रति किलो मिलता हैं चीन में इस दुर्लभ जीव का मांस, हो रहा विलुप्त
By: Ankur Tue, 26 May 2020 6:13:01
कोरोना महामारी जो कि चीन से उठी हैं और पूरी दुनिया को परेशान कर रही हैं। चीन से ऐसी ही कई महामारियां पनपी हैं जिनका मुख्य कारण वहां जानवरों को खाने से जुड़ा माना जाता हैं। चीन के जीव-जंतुओं को खाने की आदत ने जहां मानव जाती को बीमारियां दी, वहीँ प्रकृति से जीवों के विलुप्त होने का भी कारण बनी हैं। चीन में एक ऐसा अनोखा जीव हैं जो विलुप्त श्रेणी में आ चुका हैं और इसका मांस वहां 1 लाख रूपये प्रति किलो में मिलता हैं।
इस जीव को चाइनीज जायंट सैलामैंडर के नाम से जाना जाता है। ये एक अनोखा और बेहद कम पाया जाने वाला दुर्लभ जीव है। ये चीन के अलावा उत्तरी अमेरिका और जापान में भी पाया जाता है। लेकिन इस प्रजाति का सबसे बड़ा सैलामैंडर चीन में होता है। इसका इतिहास 17 करोड़ साल पुराना है और ऐसा मानना है कि ये डायनासोर की प्रजाति का विकसित रूप हैं। बताया जाता है कि चीन में सबसे पहले 1970 में इस सैलामैंडर को खाना शुरू किया गया। यह चीनी लोगों को इतना पसंद आया कि ये तेजी से गायब खरीदी-बेचीं जाने लगी।
डिमांड के साथ ही इसकी खपत बढ़ने लगी और इसका दाम बढ़कर 1 लाख के करीब हो गया। हालात ऐसे भी हुए कि इस एक जायंट सैलामैंडर का दो किलो मांस 1500 डॉलर यानी 1.13 लाख रुपए का मिलने लगा। वहीँ, अब इसकी प्रजाति जब लगभग खत्म हो चुकी है तब चीन में इसके फार्म हाउस खोले गये हैं, जहां इसका उत्पादन किया जा रहा है। ये चीनी सैलामैंडर एकलौता ऐसा जीव है जो उभयचर होते हुए भी अपनी पूरी जिदंगी पानी के अंदर बिताता है। जबकि, इसके गिल्स नहीं होते।
इसकी विशेषताओं के बारे में बात करें तो चीनी जायंट सैलामैंडर करीब 5.90 फीट तक यानी एक इंसान के बराबर लंबा हो सकता है। जबकि अमेरिका में पाया जाने वाला सैलामैंडर 28 इंच का होता है और जापान का सैलामैंडर चीन से थोड़ा छोटा होता है। चीनी लोग इस सैलामैंडर को सिर्फ खाते ही नहीं है बल्कि वो इसे दवाओं में भी इस्तेमाल करते हैं। खास कर पहाड़ों की नदियों में पाए जाने वाले इन जीवों की पुरानी आयुर्वेदिक दवाएं बनाई जाती हैं। इसक तेल भी निकाला जाता है।