वाराणसी पुल हादसा : हर स्तर पर लापरवाही, पुल की डिजाइन की मंजूरी भी नहीं ली गई
By: Priyanka Maheshwari Fri, 18 May 2018 2:21:07
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कैंट स्टेशन के पास पुल गिरने से हुए हादसे की जांच के लिए गठित राज प्रताप सिंह कमेटी ने सीएम योगी आदित्यनाथ को रिपोर्ट सौंपी है। इस रिपोर्ट में वाराणसी पुल हादसे में हुई लापरवाही का कारण सामने आया है। रिपोर्ट में राज्य सेतु निगम के निवर्तमान प्रबंध निदेशक राजन मित्तल समेत सात अधिकारियों के खिलाफ कठोर दंडात्मक कार्रवाई की संस्तुति की गई है। जांच की रिपोर्ट मिलने के बाद सीएम योगी ने सभी के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री द्वारा तीन सदस्यीय टीम बनाई गयी, जो कि वाराणसी पुल हादसे की जांच करे। इस कमेटी के लीड कर रहे हैं एसपी राज प्रताप सिंह। वाराणसी पुल हादसे में तकनीकि टीम ने जांच कर लापरवाही के कारण का पता लगाकर रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी, जिसमें पुल के निर्माण में कई खामियों का पता लगा।
इन अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश
जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में बृहस्पतिवार को सेतु निगम के एमडी पद से हटाए गए राजन मित्तल, मुख्य परियोजना प्रबंधक एस.सी. तिवारी, पूर्व परियोजना प्रबंधक गेंदालाल, पूर्व परियोजना प्रबंधक के.आर, सूद, सहायक परियोजना प्रबंधक राजेंद्र सिंह, अवर परियोजना प्रबंधक लाल चंद्र व अवर परियोजना प्रबंधक राजेश पाल को हादसे के लिए उत्तरदायी ठहराते हुए लोक निर्माण विभाग द्वारा इनके खिलाफ कठोर दंडात्मक कार्रवाई की सिफारिश की है।
हर स्तर पर लापरवाही, पुल की डिजाइन की मंजूरी भी नहीं ली गई
समिति ने अपनी रिपोर्ट में इस हादसे के लिए उन सभी को जिम्मेदार ठहराया है जिन्होंने पिछले ढाई-तीन महीने के दौरान निरीक्षण किया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि परियोजना में हर स्तर पर निरीक्षण में लापरवाही बरती गई। पुल के स्ट्रक्चर व क्वालिटी में तो कोई कमी नहीं पाई गई लेकिन डिजाइन पर जरूर सवाल खड़ा किया गया है। जांच में यह भी सामने आया कि डिजाइन की ड्राइंग का सक्षम अधिकारी से अनुमोदन नहीं कराया गया। जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में पूर्व मुख्य परियोजना प्रबंधक गेंदा लाल को भी लापरवाही का दोषी माना है।
रिपोर्ट में पता लगा इन खामियों का
कॉलम के बीच में ढाली गयी इन बीमों को क्रॉस बीम से टाई नहीं किया गया था। बीम्स की गुणवत्ता का रिकॉर्ड भी उपलब्ध नहीं था। उनकी जांच अधिकारियों द्वारा नहीं की गयी थी। निर्माण की ड्राइंग का अनुमोदन नहीं था। कॉलम के बीच में टाईबीम भी नहीं था। फ्लाीओवर निर्माण के दौरान कार्यस्थल की बैरिकेडिंग नहीं की गयी। फ्लाईओवर के नीचे वाले ट्रैफिक के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गयी थी। रिपोर्ट में दोषी पाए गए अफसरों में से सेतु निगम के एमडी राजन मित्ल को उनके पद से बर्खास्त कर दिया गया और उनकी जगह जेके श्रीवास्तव को सेतु निगम का प्रबंधक बनाया गया है।
दिसंबर तक था काम पूरा करने का दबाव
इसके साथ ही ये बात भी सामने आई कि प्रधानमंत्री का संस्दीय क्षेत्र होने की वजह से जिला प्रशासन और अन्य विभागों की ओर से सेतु निगम पर काम पूरा करने का दबाव डाला गया था। फ्लाईओवर का काम दिसंबर 2018 तक किसी भी हाल में कार्य पूरा किए जाने का दबाव था।
वाराणसी पुल हादसा मंगलवार यानि कि 15 मई को करीब शाम 5:30 बजे हुआ था। हादसे से सहमे कई लोगों ने अपनी जान गंवा दी और कई इसमें घायल तक हुए थे। इसके बाद हादसे की जांच की गयी, जिसमें कई खामियों का पता लगा। साथ ही ये बात भी सामने आई कि मृतकों की डेड बॉडी देने के लिए अस्पताल का स्टाफ 200 रुपये लेने की मांग कर रहा था, जो कि गलत है।