कलाम के ये 3 किस्से दिखाते हैं उनका बड़प्पन, देते हैं हमें ईमानदारी से जीवन जीने की प्रेरणा

By: Ankur Wed, 10 Oct 2018 1:37:51

कलाम के ये 3 किस्से दिखाते हैं उनका बड़प्पन, देते हैं हमें ईमानदारी से जीवन जीने की प्रेरणा

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को अपनी सादगी, इमानदारी, देशप्रेम जैसे कई गुणों के लिए जाना जाता हैं। उन्होंने अपने जीवन में कई सफलताओं को हासिल किया लेकिन कभी भी अहंकार नहीं आने दिया। उनका पूरा जीवन ही हम लोगों के लिए प्रेरणा बना हैं। लेकिन आज हम आपके लिए उनके जीवन से जुड़े तीन ऐसे किस्से लेकर आए हैं जो उनके बड़प्पन और सादगी को दर्शाते हैं और हमें ईमानदारी से जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं। तो आइये जानते हैं इन किस्सों के बारे में।

* पहला किस्सा

एक बार कलाम के कुछ रिश्तेदार उनसे मिलने राष्ट्रपति भवन आए। कुल 50-60 लोग थे। स्टेशन से सब को राष्ट्रपति भवन लाया गया जहां उनका कुछ दिन ठहरने का कार्यक्रम था। उनके आने-जाने और रहने-खाने का सारा खर्च कलाम ने अपनी जेब से दिया। संबंधित अधिकारियों को साफ निर्देश था कि इन मेहमानों के लिए राष्ट्रपति भवन की कारें इस्तेमाल नहीं की जाएंगी। यह भी कि रिश्तेदारों के राष्ट्रपति भवन में रहने और खाने-पीने के सारे खर्च का ब्यौरा अलग से रखा जाएगा और इसका भुगतान राष्ट्रपति के नहीं बल्कि कलाम के निजी खाते से होगा। एक हफ्ते में इन रिश्तेदारों पर हुआ तीन लाख चौवन हजार नौ सौ चौबीस रुपये का कुल खर्च देश के राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने अपनी जेब से भरा था।

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* दूसरा किस्सा

इसी तरह एक बार कलाम आईआईटी (बीएचयू) के दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि बनकर गए थे। वहां मंच पर जाकर उन्होंने देखा कि जो पांच कुर्सियां रखी गई हैं उनमें बीच वाली कुर्सी का आकार बाकी चार से बड़ा है। यह कुर्सी राष्ट्रपति के लिए ही थी और यही इसके बाकी से बड़ा होने का कारण भी था। कलाम ने इस कुर्सी पर बैठने से मना कर दिया। उन्होंने वाइस चांसलर (वीसी) से उस कुर्सी पर बैठने का अनुरोध किया। वीसी भला ऐसा कैसे कर सकते थे? आम आदमी के राष्ट्रपति के लिए तुरंत दूसरी कुर्सी मंगाई गई जो साइज में बाकी कुर्सियों जैसी ही थी।

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* तीसरा किस्सा

कलाम से जुड़ा तीसरा किस्सा तब का है जब राष्ट्रपति बनने के बाद वे पहली बार केरल गए थे। उनका ठहरना राजभवन में हुआ था। वहां उनके पास आने वाला सबसे पहला मेहमान कोई नेता या अधिकारी नहीं बल्कि सड़क पर बैठने वाला एक मोची और एक छोटे से होटल का मालिक था। एक वैज्ञानिक के तौर पर कलाम ने त्रिवेंद्रम में काफी समय बिताया था। इस मोची ने कई बार उनके जूते गांठे थे और उस छोटे से होटल में कलाम ने कई बार खाना खाया था।

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