बच्चों की मौत के सवाल पर बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी का बेतुका जवाब, कहा- अलग से प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलेंगे
By: Pinki Wed, 19 June 2019 6:14:27
बिहार में फैले जानलेवा चमकी बुखार का कहर लगातार बढ़ता ही जा रहा है। मुजफ्फरपुर में बच्चों की मौत का सिलसिला अब भी थमता नहीं दिख रहा है। मुजफ्फरपुर में इस बुखार से बच्चों की मौत का आंकड़ा 115 तक पहुंच गया है। वहीं पूरे बिहार में ये आंकड़ा 135 हो गया है। उधर, बिहार के डिप्टी सीएम से जब प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुजफ्फरपुर में हो रही मौत के बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने इसका जवाब देने से इनकार कर दिया। दरअसल, बिहार के उपमुख्यमंत्री बैंकिंग कमिटी को लेकर हो रहे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे सुशील मोदी (Sushil Modi) ने कहा कि अभी वह सिर्फ बैंकिंग से जुड़े सवालों का ही जवाब देंगे। बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी (Sushil Modi) ने कहा कि मैंने पहले ही आपको बता दिया था कि यह बैंकर समिति की बैठक है और ये प्रेस कॉन्फ्रेंस केवल इसी विषय के लिए आयोजित की गई है। अगर आपके पास इसके अलावा कोई विषय होगा तो अलग से जब प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी तो वहां जवाब दिया जाएगा। आपको अगर इस मामले में कुछ पूछना है तो पूछिये नहीं तो इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को खत्म कीजिए।
#WATCH Bihar Deputy Chief Minister Sushil Modi during a press conference refuses to answer journalists' questions on deaths of children due to Acute Encephalitis Syndrome (AES) in Muzaffarpur; says, "I already told you this press conference is about banking committees" pic.twitter.com/dn4moNfJSC
— ANI (@ANI) June 19, 2019
बता दें कि बिहार में ‘चमकी’ बुखार से मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़कर 135 हो गई है। केवल मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच अस्पताल और केजरीवाल अस्पताल में मरने वाले बच्चों की संख्या देखें तो यह 115 तक पहुंच चुकी है। एसकेएमसीएच में 94 और केजरीवाल अस्पताल में 19 बच्चों की मौत हुई है। श्रीकृष्ण सिंह मेडिकल कॉलेज के सुप्रीटेंडेंट सुनील कुमार शाही ने आज बताया कि 68 बच्चें भी आईसीयू में और 65 बच्चे वार्ड में हैं। आज पांच बच्चों की मौत हुई है। हालात में सुधार की दर बढ़ रही है क्योंकि परिजन बच्चों को जल्दी असप्ताल ला रहे हैं।
केंद्र सरकार भेजेगी डॉक्टरों की 5 टीम
वहीं मुजफ्फरपुर में हालात से निटने को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन (Harsh Vardhan) ने डॉक्टरों की 5 टीम भेजने के निर्देश दिये हैं। इसमें बच्चों के 10 डॉक्टर और 5 सहायक होंगे। बच्चों के डॉक्टर्स में 5 सीनियर कंसलटेंट भी शामिल हैं। वहीं सहायक के तौर पर राम मनोहर लोहिया, सफदरजंग और लेडी हार्डिंग हॉस्पिटल के लोग मुजफ्फरपुर जाएंगे।
बता दें कि चमकी बुखार से हो रही मौतों का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। दो वकीलों ने जनहित याचिका दायर कर मांग की है कि बीमारी से प्रभावित इलाकों में केंद्र और बिहार सरकार को 500 आईसीयू बनाने का आदेश दिया जाए, प्रभावित इलाकों में मेडिकल एक्सपर्ट टीम भेजने के निर्देश दिए जाएं और 100 मोबाइल ICU मुजफ्फरपुर भेजे जाएं। इसके साथ ही मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाए। याचिका में यह भी कहा गया है कि बिहार सरकार स्थिति को संभालने में नाकाम रही है जिसकी वजह से 100 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई है। इसलिए अब कोर्ट का दखल जरूरी है। यह याचिका मनोहर प्रताप और संप्रीत सिंह अजमानी ने दाखिल की है।
उधर कल नीतीश कुमार मुजफ्फरपुर स्थित श्रीकृष्ण सिंह मेडिकल कॉलेज पहुंचे थे। जहां उन्होंने नाराज लोगों का विरोध भी झेलना पड़ा था। नीतीश कुमार ने निर्देश देते हुए कहा कि इस अस्पताल की क्षमता बढ़ाएं और यहां 2500 बिस्तर की व्यवस्था सुनिश्चित करें और तत्काल 1500 बेड का प्रबंध किया जाए। उन्होंने कहा कि यहां एक धर्मशाला का भी निर्माण कराया जाए ताकि मरीजों के साथ आने वाले परिजनों को रहने की दिक्कत न हो। इससे अस्पताल के अंदर अनावश्यक आवाजाही पर भी रोक लगेगी।
सरकार खर्च वहन करेगी
यहां पत्रकारों को संबोधित करते हुए मुख्य सचिव दीपक कुमार ने कहा कि बीमार बच्चों को अस्पताल लाने के लिए 400 रुपए का भुगतान किया जाएगा और सभी बीमार बच्चों के इलाज का खर्चा सरकार वहन करेगी। मुख्य सचिव ने कहा कि रात में खाली पेट नहीं सोएं और बीमार होने की स्थिति में मरीजों को तुरंत अस्पताल पहुंचाया जाए। इसे लेकर गांव-गांव लोगों के बीच जागरूकता पैदा की जाए और आशा, एएनएम कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी सेविका के माध्यम से वहां ओआरएस पहुंचाया जाए जहां यह नहीं पहुंचा है।
उन्होंने कहा कि बीमारी के कारण के प्रति अलग-अलग राय को लेकर चिकित्सकों से बातचीत करने पर इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं इससे प्रभावित हुए करीब 400 बच्चों के घरों पर वातावरणीय अध्ययन एवं सामाजिक-आर्थिक स्थिति जानने के लिए एक टीम कल से जाएगी। दीपक ने कहा कि हम लोग एसकेएमसीएच में बच्चों के इलाज के लिए किए जा रहे प्रयास से संतुष्ट हैं और किसी भी बीमार बच्चे के अभिभावक ने कोई शिकायत नहीं की है। वहां केंद्रीय टीम के साथ साथ आईसीएमआर का दल शोध के लिए पहुंचा है।