कोरोना संकट / शवों के अंतिम संस्कार के तरीकों को लेकर उठे सवाल, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अगर लाशें कचरे के ढेर में मिल रही हैं तो...
By: Pinki Fri, 12 June 2020 1:55:53
कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज और इससे हो रही मौतों में शवों के अंतिम संस्कार के तरीकों को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। तीन जजों की बेंच ने सवालियां अंदाज में फटकार लगाते हुए कहा कि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में शवों की किसी को परवाह नहीं है। न तो मरने वालों के परिजनों को इस बात की जानकारी दी जा रही है और न ही उन्हें अंतिम संस्कार में शामिल किया जा रहा है। आखिर ये क्या हो रहा है?
जस्टिस एमआर शाह ने सख्त लहजे में कहा कि अगर लाशें कचरे के ढेर में मिल रही हैं तो इसका मतलब है कि इंसान के साथ जानवरों से भी बदतर सलूक किया जा रहा है। कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों, दिल्ली सरकार और राजधानी के लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल को मामले में जवाब देने को कहा है। शीर्ष कोर्ट ने राज्यों के मुख्य सचिव को भी मरीजों के लिए बनाई गई प्रबंधन व्यवस्था की स्थिति देखने और इस पर रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है।
दरअसल, कुछ मीडिया रिपोर्ट और पूर्व कानून मंत्री और वकील अश्विनी कुमार के एक पत्र में आरोप लगाया गया था कि कोरोना संक्रमितों का ठीक से इलाज नहीं किया जा रहा। इसके अलावा इस महामारी से जान गंवाने वालों के शवों का गरिमापूर्ण तरीके से अंतिम संस्कार भी नहीं किया जा रहा। अश्विनी कुमार ने चीफ जस्टिस एसए बोबडे को पत्र भेजकर नोटिस लेने का आग्रह किया था। उन्होंने पत्र में मध्यप्रदेश में एक मरीज के शव को जंजीरों से बांधकर रखने और कुछ जगहों पर अस्पतालों में मरीजों के शव एक-दूसरे पर रखने की घटना का हवाला दिया। पत्र में सम्मान पूर्वक अंतिम संस्कार के नागरिक अधिकार का भी जिक्र किया। चीफ जस्टिस ने यह केस जस्टिस अशोक भूषण की अगुआई वाली बेंच को भेजा। इसमें जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमआर शाह भी शामिल हैं।
बंगाल से शवों के साथ अमानवीय घटना का मामला आया सामने
उधर, कोलकाता के एक शवदाह गृह का वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में देखा जा सकता है कि कुछ लोग शवों को घसीटते हुए एक गाड़ी में डाल रहे हैं। इस वीडियो में जिस तरह से शवों के साथ गलत और अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है उसे देखने के बाद लोगों में गुस्सा बढ़ गया है। सोशल मीडिया पर इस वीडियो को शेयर कर लोग अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। खुद बंगाल के राज्यपाल जयदीप धनकड़ ने भी इस मामले पर नाराजगी जाहिर की है। इस वीडियो को शेयर करते हुए स्थानीय लोगों और बंगाल बीजेपी ने दावा किया है कि ये शव कोरोना वायरस से मरे हुए मरीजों के हैं।
मामला बढ़ता देख अथॉरिटी ने अब इस पर सफाई दी है। अथॉरिटी का कहना है कि ये शव कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के नहीं हैं बल्कि ऐसे शव हैं जिनकी कोई पहचान नहीं हो पाई थी या फिर इन पर कोई दावा करने नहीं आया था।
बताया जाता है कि लोगों के गुस्से को देखते हुए निगम के कुछ अधिकारी वहां पहुंचते हैं और शवों को दोबारा गाड़ी में डालकर वहां से हटाने आदेश देते हैं। इस पूरे मामले पर अब कोलकाता नगर निगम के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के प्रमुख फरहद हाकिम ने सफाई दी है। फरहद हाकिम ने बताया है कि लावारिस शवों का दाह संस्कार धापा शवदाह गृह में किया जाता था लेकिन 29 मई से इसे केवल कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए आरक्षित कर दिया गया है। यही कारण है कि लावारिस शवों को लेकर निगम के कर्मचारी गरिया शवदाह गृह गए थे।