नागरिकता संशोधन बिल पास होने पर असम में बवाल, 16 संगठनों ने 12 घंटे का बंद बुलाया
By: Pinki Tue, 10 Dec 2019 09:31:56
लोकसभा से नागरिकता संशोधन बिल पास हो गया। इस बिल के पास होते ही विरोध प्रदर्शन भी शुरू हो गया है। इस बिल को लेकर असम में विरोध जारी है। असम में कुछ संगठनों ने आज सुबह 5 बजे से शाम 5 बजे तक 12 घंटे बंद का आह्वान किया है। इनमें कुछ छात्र संगठन भी शामिल हैं। बंद को देखते हुए जगह-जगह सुरक्षा व्यवस्था सख्त की गई है। बता दें कि ये बंद नॉर्थ-ईस्ट स्टूडेंट यूनियन और ऑल इंडिया स्टूडेंट यूनियन ने बुलाया है। उत्तर पूर्व के लोगों को इस बात का डर है कि नागरिकता बिल के पारित हो जाने से जिन शरणार्थियों को नागरिकता मिलेगी उनसे उनकी पहचान, भाषा, आजीविका और संस्कृति ख़तरे में पड़ जाएगी। सबसे ज्यादा विरोध असम में हो रहा है। असम के डिब्रूगढ़, तिनसुकिया, धेमाजी, शिवसागर और जोरहाट ज़िले में विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों ने रोड जाम कर दी, रेल यातायात भी ठप कर दिया गया। इससे पहले स्टूडेंट यूनियन के कार्यकर्ताओं ने रविवार शाम को शिवसागर की सड़कों पर नग्न होकर प्रदर्शन किया। हालांकि पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे लोगों को हिरासत में ले लिया। वहीं नलबारी नगर में असम गण परिषद के तीन मंत्रियों के खिलाफ विभिन्न स्थानों पर पोस्टर चिपकाए गए।
Assam: Shops closed in Guwahati following a 12-hour bandhcall by North East Students Organisation (NESO) and All Assam Students Union (AASU) against #CitizenshipAmendmentBill which was passed in Lok Sabha, yesterday. pic.twitter.com/LMM3DGflnH
— ANI (@ANI) December 10, 2019
पूर्वोत्तर के लोगों की चिंता ये है कि नागरिकता संसोधन बिल की वजह से असम समझौता 1985 के प्रावधान निरस्त हो जाएंगे। इसमें बिना धार्मिक भेदभाव के अवैध शरणार्थियों को वापस भेजे जाने की अंतिम तिथि 24 मार्च 1971 तय है जबकि मौजूदा बिल के तहत उन शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिल जाएगी जो 2014 से पहले तक भारत में रह रहे हैं।
असम के अलावा त्रिपुरा में भी नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सहयोगी इंडीजीनस पीपल फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) सहित कई आदिवासी समूहों ने सोमवार को नागरिक संशोधन विधेयक के खिलाफ बंद का आयोजन किया, जिसके चलते त्रिपुरा ट्राइबल एरिया ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल (टीटीएएडीसी) के क्षेत्रों में जनजीवन प्रभावित रहा। इसकी वजह से त्रिपुरा में सड़क और रेल यातायात बुरी तरह प्रभावित हुए और हजारों यात्री बीच रास्ते में फंसे रहे, क्योंकि बंद समर्थक कार्यकर्ताओं ने त्रिपुरा और देश के बाकी हिस्सों के बीच चलने वाले वाहनों और ट्रेनों को आगे जाने से रोक दिया। पुलिस ने कहा कि टीटीएएडीसी क्षेत्रों में कहीं से कोई बड़ी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली है।
समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक 10,491 वर्ग किलोमीटर के दो-तिहाई क्षेत्र पर अधिकार वाले इस क्षेत्र में 12 लाख से अधिक लोग रहते हैं, जिसमें ज्यादातर आदिवासी हैं। किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए केंद्रीय अर्धसैनिक बलों और त्रिपुरा स्टेट राइफल्स (टीएसआर) सहित भारी संख्या में बलों की तैनात की गई है।
असम से होते हुए देश के शेष हिस्सों के साथ त्रिपुरा को जोड़ने वाली एकल रेल लाइन और हाईवे को अवरुद्ध करने को लेकर पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार किया है। बंद के चलते त्रिपुरा यूनिवर्सिटी (केंद्रीय विश्वविद्यालय) और महाराजा बीर बिक्रम विश्वविद्यालय (त्रिपुरा सरकार के तहत) दोनों ही विश्वविद्यालयों की परीक्षाओं को रद्द कर दिया गया।
बता दे, पूर्वोत्तर के लोगों की चिंता को गृहमंत्री ने कम करने की कोशिश की है। सोमवार को लोकसभा में उन्होंने कहा कि ट्राइबल इलाक़ों में नागरिकता बिल का कोई असर नहीं होगा। मेघालय, नागालैंड, मिज़ोरम और अरुणाचल जैसे राज्यों में क़ानून लागू ही नहीं होगा। जबकि असम में बोड़ो, कार्बी और डिमासा इलाक़े संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत आते हैं, लिहाज़ा नागरिकता संसोधन क़ानून लागू ही नहीं होगा।