सबरीमाला मंदिर : भारी विरोध के बाद मंदिर के रास्ते से वापस लौटीं दोनों महिलाएं
By: Priyanka Maheshwari Fri, 19 Oct 2018 3:05:27
केरल के सबरीमाला मंदिर Sabarimala Temple में 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश को लेकर घमासान जारी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी अभी तक 10 से 50 साल की महिलाओं को भगवान अयप्पा के दर्शन के लिए सबरीमला मंदिर में प्रवेश करने का मौका नहीं मिला है। कई महिलाएं सबरीमाला पहाड़ी Sabarimala Temple की चढ़ाई कने का प्रयास भी किया तो प्रदर्शनकारियों ने वापस लौटने पर मजबूर कर दिया। वही भारी विरोध की वजह से केरल पुलिस के सुरक्षा घेरे में जा रही दोनों महिलाओं को शुक्रवार को भगवान अयप्पा मंदिर की यात्रा से लौटने को मजबूर होना पड़ा। विरोध के बाद हैदराबाद की पत्रकार कविता ने अपने चार सहयोगियों और एक अन्य महिला भक्त रेहाना फातिमा के साथ सुबह करीब 10.50 बजे पंबा पहाड़ी से उतरना शुरू कर दिया।
रेहना फातिमा कोच्चि की रहने वाली हैं।
दोनों महिलाओं ने सुबह करीब 6.45 बजे लगभग 100 पुलिसकर्मियों के सुरक्षा घेरे के साथ दो घंटे की चढ़ाई शुरू की थी। पुलिसकर्मियों की अगुवाई पुलिस महानिदेशक एस.श्रीजीत ने की। इस बीच दो महिलाओं के मंदिर पहुंचने की खबर सुनने के बाद मंदिर के तंत्री के लगभग 30 कर्मचारी अपना अनुष्ठान छोड़कर विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गए और सीढ़ियों के सामने बैठ गए। ये सभी भगवान अयप्पा के मंत्र जपने लगे।
जब समूह मंदिर के पहले प्रवेश बिंदु पर पहुंचा तो हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी सड़क पर लेट गए। इसके बाद श्रीजीत के पास एक फोन आया, जिसके बाद उन्होंने प्रदर्शनकारियों को बताया कि सरकार ने बल का प्रयोग नहीं करने का फैसला किया है।
श्रीजीत ने कहा, "अब मुझे दोनों महिलाओं से बात करनी पड़ेगी, जिन्हें सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद मंदिर में जाने का अधिकार है। कृपया यहां व्यवधान उत्पन्न नहीं करें लेकिन आप मंत्रोच्चार करना जारी रख सकते हैं।"
इसके एक घंटे बाद श्रीजीत ने मीडिया से कहा कि उनकी मंदिर के तंत्री से बात हुई और उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा है कि अगर पंरपरा व विश्वास का कोई उल्लंघन किया गया तो वह मंदिर को बंद करने पर बाध्य हो जाएंगे।
श्रीजीत ने कहा, "इसलिए हमने दोनों महिलाओं को इस बारे में बताया और उन्होंने यात्रा छोड़कर लौटने का फैसला किया। उन्होंने घर पहुंचने तक सुरक्षा मुहैया कराने को भी कहा।"
हालांकि, केरल के देवासोम मंत्री कडाकम्पल्ली सुरेंद्रन ने मीडिया से कहा कि हमें पता चला है कि दोनों महिलाएं वास्तव में कार्यकर्ता थीं।
उन्होंने कहा, इस जानकारी के बाद यह हमारा कर्तव्य हो जाता है कि भक्तों के अधिकार की रक्षा करें न कि कार्यकर्ताओं की।
सुरेंद्रन ने कहा, हमारा महिला कार्यकर्ताओं से आग्रह है कि वह पवित्र स्थानों पर इस तरह का व्यवहार नहीं करें। पुलिस को ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए। उन्हें इन महिलाओं के बारे में ज्यादा जानकारी रखनी चाहिए। राज्य सरकार भक्तों के अधिकारों की रक्षा के कर्तव्य से बंधी हुई है।
इस बीच गुस्साए भक्तों ने फातिमा के कोच्चि स्थित घर में तोड़-फोड़ की।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, "हम यहां फातिमा के घर में तोड़-फोड़ की सूचने के बाद यहां आए हैं।"
फातिमा कोच्चि में बीएसएनएस के साथ काम करती हैं और अपने साथी के साथ रहती हैं। दोनों ने मंदिर के लिए प्रस्थान किया था।
फातिमा के साथी ने कहा, "कार्यकर्ताओं या अन्य के लिए अलग से कोई कानून नहीं है। सिर्फ एक नियम है। वह एक कार्यकर्ता नहीं है और उसे सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के अनुसार जाने व पूजा करने का अधिकार है।"
फातिमा के साथी न्यूज प्रोड्यूसर है। वह अपनी टीम के साथ विरोध प्रदर्शन स्थल पर मौजूद थे।
बीएसएनएल ने एक बयान जारी कर रेहाना फातिमा के इस कदम से अलग होने की बात कही हैं। फातिमा बीएसएनएल के एर्नाकुलम बिजनेस एरिया की कर्मचारी हैं।
सूत्रों के अनुसार, जब पुलिस के साथ दो महिलाओं की चढ़ाई की बात मंदिर के तंत्री परिवार व सदस्यों को पता चली तो उन्होंने महिलाओं को प्रवेश को रोकने के लिए मंदिर को बंद करने पर विचार किया।
केरल के राज्यपाल पी. सदाशिवम ने पुलिस प्रमुख लोकनाथ बेहरा को बुलाया और उनसे इस स्थिति पर बातचीत की।
भाजपा नेता के. सुरेंद्रन राज्य सरकार व श्रीजीत पर केरल पुलिस अधिनियम नियम 43 के उल्लंघन को लेकर जमकर बरसे।
उन्होंने कहा, "नियमों के अनुसार एक पुलिस अधिकारी के अलावा उसकी वर्दी या उनके उपकरण को कोई और इस्तेमाल नहीं कर सकता। हम जानना चाहते हैं कि श्रीजीत ने कैसे उन दोनों महिलाओं को पुलसि की वर्दी व हेलमेट इस्तेमाल करने की अनुमति दी।"
सुरेंद्रन ने कहा, "यह सबरीमाला मंदिर की शुचिता को भंग करता है। हम केरल सरकार को जबरदस्ती सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को लागू करने के लिए चाल नहीं चलने की चेतावनी देते हैं।"
सर्वोच्च न्यायालय के 28 सितंबर के फैसले के बाद पहली बार बुधवार को मंदिर का दरवाजा खोला गया। न्यायालय ने अपने फैसले में 10 से 50 आयु वर्ग वाली सभी महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की मंजूरी दी थी।