राम मंदिर पर पीएम मोदी का बयान सकारात्मक : RSS

By: Pinki Wed, 02 Jan 2019 09:14:52

राम मंदिर पर पीएम मोदी का बयान सकारात्मक : RSS

मंगलवार को नए साल के पहले दिन पीएम नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर निर्माण को लेकर बड़ा बयान दिया है। कहा कि राम मंदिर निर्माण के लिए कोई अध्यादेश तभी लाया जा सकता है, जब इस पर न्यायिक कार्यवाही पूरी हो जाए। हमने अपनी पार्टी के घोषणा पत्र में कहा है कि इस मुद्दे पर संविधान के दायरे में हल निकलने का प्रयास किया जाएगा। पीएम मोदी के इस बयान पर पक्ष और विपक्ष ने कई सवाल खड़े कर दिए है। बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने इस बयान पर कड़ी प्रातक्रिया व्यक्त की है. शिवसेना ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए ‘‘भगवान राम कानून से बड़े नहीं हैं’’ क्योंकि उन्होंने कहा है कि उनकी सरकार राम मंदिर निर्माण के लिए किसी अध्यादेश पर निर्णय न्यायिक प्रक्रिया समाप्त होने के बाद ही करेगी। वही दूसरी तरफ पीएम मोदी के इस बयान पर आरएसएस की तरफ से सधी प्रतिक्रिया आई है। संघ के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि पीएम मोदी का बयान 1989 में पालमपुर में बीजेपी के अधिवेशन के दौरान प्रस्ताव के मुताबिक है।

राम मंदिर के मुद्दे पर आरएसएस और शिवसेना की तरफ से अध्यादेश लाए जाने की मांग की जा रही है। इस मुद्दे पर चार जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने वाली है। बता दें कि पिछले साल अक्टूबर में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ये मामला अदालत की प्राथमिकता में नहीं है। इसे लेकर संत समाज की तरफ से गहरी नाराजगी जताई गई थी।

आरएसएस के द्विटर हैंडल से एक ट्वीट भी किया गया है। जिसमें लिखा गया है कि पीएम ने साक्षात्कार के दौरान राम मंदिर के विषय पर जो कुछ कहा उसमें उम्मीद नजर आती है। पीएम ने अपने इंटरव्यू में राम मंदिर निर्माण के लिए जो संकल्प व्यक्त किया है वो सकारात्मक है।

संघ के वरिष्ठ नेता भैय्या जी जोशी ने कहा कि हमने इस संबंध में सरकार से कानून बनाने की अपनी मांग रख दी है। इस देश का हर एक नागरिक राम मंदिर का निर्माण चाहता है। यहां तक कि जो लोग सत्ता में हैं वो भी कह चुके हैं कि राम मंदिर का निर्माण होना चाहिए।

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि ये मामला सुप्रीम कोर्ट में है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सभी पक्षों को आदर करने के साथ मानना चाहिए। इस विषय पर अध्यादेश की जरूरत नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस विवाद को सुलझाने के दो ही रास्ते हैं या तो बातचीत या तो अदालत के फैसले का इंतजार किया जाए।

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