राफेल डील: PAC के पेच में फंसी Modi सरकार, SC से गलती सुधारने की गुहार, कुछ खास बातें
By: Priyanka Maheshwari Sun, 16 Dec 2018 09:43:07
फ्रांस से हुए राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर छिड़ी जंग खत्म होने का नाम नहीं ले रही। SC के फैसले के बाद राहत की सांस लेने वाली मोदी सरकार को कांग्रेस ने एक बार सुप्रीम कोर्ट जाने पर मजबूर कर दिया है।
- दरअसल, केंद्र ने शनिवार को उच्चतम न्यायालय का रुख कर राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर शीर्ष न्यायालय के फैसले में उस पैराग्राफ में संशोधन की मांग की है जिसमें नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) रिपोर्ट और संसद की लोक लेखा समिति (PAC) के बारे में संदर्भ है। सरकार ने कहा है कि उसके नोट की अलग-अलग व्याख्या के कारण विवाद पैदा हो गया है। आपको बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को अपने फैसले में कहा था कि कैग के साथ कीमत के ब्यौरे को साझा किया गया और कैग की रिपोर्ट पर पीएसी ने गौर किया।
- गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पैरा 25 में इस बात का जिक्र किया गया था कि फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीदारी में किसी तरह की अनियमितता नहीं हुई। राफेल की कीमत संबंधी जानकारी कैग को साझा की गई है, जिसकी रिपोर्ट संसद की लोक लेखा समिति के पास है। इस बारे में कहा गया कि रिपोर्ट का संपादित हिस्सा संसद के सामने रखा गया और यह सार्वजनिक है। बस कोर्ट के निर्णय के इसी हिस्से को हथियार बनाते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने PAC मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ प्रेस कांफ्रेंस में हमला बोलते हुए कहा कि समिति के चेयरमैन खड़गे खुद कह रहे हैं कि ऐसी कोई रिपोर्ट उनके समक्ष नहीं रखी गई, तो क्या कोई समानांतर PAC चल रही है?
- राफेल पर केंद्र सरकार ने आनन-फानन में शनिवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख कर राफेल करार से जुड़े शीर्ष अदालत के फैसले के उस हिस्से में सुधार की गुहार लगाई जिसमें नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) और लोक लेखा समिति (पीएसी) का जिक्र है। सरकार को लगा कि यदि फैसले में सुधार कराने में देरी हुई तो विपक्ष को उस पर हमलावर होने का बड़ा मौका मिल जाएगा।
- केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसके आदेश में जहां सीएजी रिपोर्ट और पीएसी का जिक्र है, वहां उसके नोट की ‘गलत व्याख्या' की गई और ‘नतीजतन, सार्वजनिक तौर पर विवाद पैदा हो गया।' सूत्रों ने बताया कि रक्षा एवं कानून मंत्रालयों के आला अधिकारियों और अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल के बीच शनिवार को एक मैराथन बैठक हुई, जिसमें तय किया गया कि उच्चतम न्यायालय में आज ही एक अर्जी दायर कर फैसले में सुधार की गुजारिश की जाए। उन्होंने बताया कि शीर्ष अदालत का रुख करने में जरा भी देरी से भ्रम बढ़ेगा और विपक्ष को संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार पर हमलावर होने का बड़ा मौका मिल जाएगा।
- शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि करार में विमानों की कीमत का ब्योरा सीएजी से साझा किया जा रहा है और सीएजी ने अपनी रिपोर्ट संसद की पीएसी से साझा की है। अपनी अर्जी में केंद्र ने कहा कि फैसले के 25वें पैरा में दो वाक्य उसकी ओर से एक सीलबंद कवर में दिए गए कीमतों के ब्योरे के साथ सौंपे गए एक नोट पर आधारित लग रहे हैं। लेकिन सरकार ने संकेत दिए कि अदालत की ओर से इस्तेमाल किए गए शब्द इसे एक अलग अर्थ दे रहे हैं।
- केंद्र ने साफ किया कि उसने यह नहीं कहा कि पीएसी ने सीएजी की रिपोर्ट का परीक्षण किया या कोई संपादित हिस्सा संसद के समक्ष रखा गया है। सरकार ने साफ किया कि नोट में कहा गया था कि सरकार सीएजी के साथ कीमतों का ब्योरा ‘पहले ही साझा कर चुकी' है। यह नोट भूतकाल में लिखा गया था और ‘तथ्यात्मक तौर पर सही' है।
- याचिका के मुताबिक, वाक्य का दूसरा हिस्सा पीएसी के संबंध में है। इसमें कहा गया है कि कैग की रिपोर्ट का पीएसी परीक्षण कर रही है। फैसले में ‘इज' की जगह ‘हैज बीन' का इस्तेमाल हुआ है। केंद्र ने शीर्ष अदालत के आदेश में आवश्यक संशोधन की मांग करते हुए कहा कि इसी तरह फैसले में यह कथन है कि रिपोर्ट का संपादित हिस्सा संसद के सामने रखा गया। इस बारे में कहा गया कि रिपोर्ट का संपादित हिस्सा संसद के सामने रखा गया और यह सार्वजनिक है।
- कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि अब सरकार की तरफ से जो कहा जा रहा है वह सही मायने में न्यायालय पर उसके द्वारा से सील्ड कवर में दिए गए तथ्यों की गलत व्याख्या का दोष मढ़ना है। उन्हें कहना चाहिए था कि कीमत (राफेल की) से जुड़ी डिटेल कैग के साथ साझा की गई है, यह मामला अभी PAC के समक्ष नहीं आया है। सुप्रीम कोर्ट से जो कहा गया उसपर विश्वास करते हुए उसने आदेश दिया। अब वे (सरकार) शर्मिंदा हैं और कोर्ट को भी शर्मिंदा कर रहे हैं। कोर्ट के निर्णय का सिर्फ यही हिस्सा नहीं है जो तथ्यात्मक तौर पर गलत है।
- कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला का कहना है कि पार्टी ने शुरू से ही राफेल मामले की जांच के लिए सु्प्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 32 के तहत लगाई गई जनहित याचिका को खारिज किया है। क्योंकि इस मामले में जिन तथ्यों की जांच होनी है उसका अधिकार सुप्रीम कोर्ट को नहीं है। लिहाजा इसकी जांच सिर्फ संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ही कर सकती है।
- इस बीच कांग्रेस मामले के संबंध में महान्यायवादी और कैग को लोक लेखा समिति (PAC) के समक्ष तलब करने का दबाव बना रही है, वहीं केंद्र ने सर्वोच्च न्यायाल में याचिका दाखिल कर कहा है कि वह 'फैसले में गलतियों को सही करवाना चाहती है' और इसके साथ ही उसने दावा किया कि 'गलती शायद गलत व्याख्या की वजह से हुई है।'
- उधर कोर्ट के आदेश को क्लीन चिट मानते हुए बीजेपी ने भी राफेल पर कांग्रेस के तथाकथित झूठ को बेनकाब करने के लिए कमर कस ली है। जिसके तहत पार्टी 70 शहरों में प्रेस कांफ्रेंस करने की तैयारी में है। वहीं न्यायालय के आदेश के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा है कि कांग्रेस का रक्षा सौदों में घोटालों का इतिहास रहा है, फिर चाहे जीप घोटाला हो, बोफोर्स, अगस्ता वेस्टलैंड या सबमरीन घोटाला हो। कांग्रेस ने अपने कृत्य से सेना का मनोबल गिराया है।