सवर्ण आरक्षण: बीजेपी ने कहा- राहुल सिर्फ राफेल पर बात करते हैं, आर्थिक आरक्षण बिल पर बोलने की हिम्‍मत दिखाएं

By: Priyanka Maheshwari Wed, 09 Jan 2019 3:06:50

सवर्ण आरक्षण: बीजेपी ने कहा- राहुल सिर्फ राफेल पर बात करते हैं, आर्थिक आरक्षण बिल पर बोलने की हिम्‍मत दिखाएं

सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रावधान वाले ऐतिहासिक संविधान संशोधन विधेयक को मंगलवार को 3 के मुकाबले 323 मतों से लोकसभा की मंजूरी मिल गयी। अब बुधवार को इसके राज्यसभा में पेश होने की संभावना है जहां सदन की बैठक एक दिन और बढ़ा दी गयी है।

सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रावधान वाले ऐतिहासिक संविधान संशोधन विधेयक को मंगलवार को लोकसभा में मंजूरी मिलने के बाद आज राज्यसभा में पेश किया जा रहा है। इस बिल पर बोलते हुए कहा कि बीजेपी के प्रभात झा ने कहा आज भारत में देश का पहला पीएम है जिसने न सिर्फ अपने बल्कि आप सभी के मैनीफेस्टो का सम्मान करते हुए गरीबों के आरक्षण की बात की है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी आर्थिक आरक्षण बिल पर बोलने की हिम्‍मत दिखाएं। इस पर कांग्रेस नेता आनंद नेता ने आपत्ति जताते हुए कहा कि किसी भी सदस्‍य को ऐसे किसी दूसरे सदस्‍य पर टिप्‍पणी नहीं करनी चाहिए जोकि इस सदन का सदस्‍य नहीं हैं। राहुल गांधी लोकसभा सांसद हैं। कांग्रेस के आनंद शर्मा ने बीजेपी पर निशाना साधा कहा कि लोकसभा चुनाव होने वाले हैं इसलिए यह बिल लाया जा रहा है।

राज्‍यसभा में आर्थिक आरक्षण बिल पर चर्चा की शुरुआत करते हुए बीजेपी सांसद प्रभात झा ने कहा कि लंबे समय से आर्थिक आधार पर आरक्षण बिल का इंतजार था। पीएम मोदी ने अगड़े समाज की चिंता की। मोदी सरकार सारे काम गरीबों के हित में कर रही है। मोदी सरकार ने राष्‍ट्रहित में फैसला लिया।

हालांकि आज राज्‍यसभा में सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने हंगामा किया। राज्यसभा की कार्रवाई शुरू होने के साथ ही टीएमसी के सांसद ने विरोध करना शुरू कर दिया। उनका कहना था कि बिना किसी नोटिस के राज्यसभा का कार्यकाल कैसे बढाया जा सकता है। कांग्रेस पार्टी सांसद आनंद शर्मा ने यह राज्यसभा सत्र का कार्यकाल बढ़ाए जाने पर सवाल उठाया। विपक्ष नागरिकता मामले पर नार्थ ईस्ट में हो रहे बवाल पर सरकार से जवाब मांग रहा था। इस कारण सदन की कार्यवाही पहले 12 बजे तक स्‍थगित करनी पड़ी और उसके बाद दोपहर दो बजे तक स्‍थगित कर दी गई।

आज सदन की कार्यवाही में ट्रिपल तलाक़ बिल को भी सूचीबद्ध किया गया है। इस कारण सरकार आज राज्यसभा में ट्रिपल तलाक़ बिल को भी पास कराने की कोशिश करेगी। वैसे इसके पास होने के आसार नहीं हैं, क्योंकि विपक्ष इसको संयुक्‍त सेलेक्‍ट कमेटी में भेजने पर अड़ा हुआ है। यानी ये बिल राज्‍यसभा में दूसरी बार अटक सकता है। संभवतया इसलिए ही संसदीय कार्यमंत्री विजय गोयल ने कहा कि कई अहम बिल सदन में पास होने के लिए लंबित हैं। इसलिए सदन की कार्यवाही एक दिन के लिए और बढ़ाई जा सकती है। इस बीच अन्‍नाद्रमुक ने कहा है कि वह आरक्षण बिल पर वाकआउट करेगी। AIADMK के राज्‍यसभा में 13 सांसद हैं।

आर्थिक आरक्षण बिल (124वां संविधान संशोधन विधेयक)

राज्यसभा में विपक्ष की तरफ से कांग्रेस, सपा और बसपा ने आरक्षण बिल को समर्थन देने का ऐलान किया है। कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक में इस बिल को समर्थन देने का फैसला किया गया है। राज्यसभा में कांग्रेस के 50 सांसद हैं। इस लिहाज से देखा जाए तो बीजेपी के नेतृत्‍व वाले NDA और कांग्रेस के सांसदों को मिलाकर देखें तो ये बिल दो तिहाई बहुमत से आसानी से पास हो जाएगा। मंगलवार को लोकसभा में पेश किए गए आरक्षण विधेयक का लगभग सभी पार्टियों ने समर्थन किया और उसे पारित भी करा लिया। बिल के समर्थन में जहां 323 वोट पड़े वहीं, विरोध में महज 3 वोट। लेकिन राज्यसभा में इस बिल को लेकर सरकार की अग्निपरीक्षा होगी। सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि विपक्षी पार्टियों ने अपने सभी सदस्यों से बुधवार को राज्यसभा में मौजूद रहने के लिए कहा है। राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है। राज्यसभा में भाजपा के पास सबसे अधिक 73 सदस्य हैं, जबकि मुख्य विपक्षी कांग्रेस के 50 सदस्य हैं। राज्यसभा में अभी सदस्यों की कुल संख्या 244 है।

आर्थिक आधार पर आरक्षण विधेयक को लेकर लोकसभा में मंगलवार को करीब 5 घंटे तक चली बहस में लगभग सभी दलों ने इसका पक्ष लिया, लेकिन किसी ने भी इसका खुलकर विरोध नहीं किया। हालांकि कई सांसदों ने इस विधेयक को लेकर सरकार की नीयत पर सवाल भी खड़े किए। कांग्रेस ने कहा कि वह आर्थिक रूप से पिछड़े तबकों को शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए लाए गए विधेयक के समर्थन में है, लेकिन उसे सरकार की मंशा पर शक है। पार्टी ने कहा कि सरकार का यह कदम महज एक 'चुनावी जुमला' है और इसका मकसद आगामी चुनावों में फायदा हासिल करना है। वहीं, बसपा, सपा, तेदेपा और द्रमुक सहित विभिन्न पार्टियों ने इसे भाजपा का चुनावी स्टंट करार दिया।

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