इन 14 राज्‍यों में पांच रुपये प्रति लीटर सस्ता हुआ पेट्रोल-डीजल, बाकी जगह ढाई रुपये की राहत

By: Priyanka Maheshwari Fri, 05 Oct 2018 09:20:27

इन 14 राज्‍यों में पांच रुपये प्रति लीटर सस्ता हुआ पेट्रोल-डीजल, बाकी जगह ढाई रुपये की राहत

पेट्रोल-डीजल की मार से आम जनता को सरकार ने बड़ी राहत दी है। लगातार बढ़ती कीमतों को देखते हुए केंद्र सरकार ने गुरुवार को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में एक व्यवस्था के तहत 2.50 रुपये प्रति लीटर कटौती की घोषणा की। इसमें 1.50 रुपये केंद्र सरकार और 1 रुपया तेल मार्केटिंग कंपनियां कटौती करेंगी। इस फैसले के बाद वित्त मंत्री जेटली ने राज्य सरकारों ने भी कीमत घटाने का अनुरोध किया उन्होंने कहा यदि राज्य भी इतनी ही कटौती करें, तो दामों में पांच रुपये प्रति लीटर की कमी आएगी। इस घोषणा के बाद बीजेपी शासित अधिकतर राज्यों ने पेट्रोलियम उत्पादों पर राज्य स्तरीय करों में भी कटौती की है। इससे इन राज्यों में पेट्रोल और डीजल की कीमतें पांच रुपये प्रति लीटर तक कम हो गई हैं। वहीं बाकी राज्‍यों में तेल की कीमतें ढाई रुपये प्रति लीटर कम हुई हैं। यह कटौती आधी रात से लागू हो गई। बता दे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने नवंबर 2014 से जनवरी 2016 के बीच नौ किस्तों में पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 11.77 रुपये और डीजल पर 13.47 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी की थी।

14 राज्‍यों में पांच रुपये प्रति लीटर सस्ता हुआ पेट्रोल-डीजल

भाजपा शासित राज्य सरकारों ने अपने यहां वैट/बिक्री कर में इसी के बराबर (2.50 रुपए प्रति लीटर) की कमी की है। केंद्र सरकार की इस घोषणा के बाद गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, असम, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, जम्‍मू कश्‍मीर, उत्‍तराखंड, गोवा, महाराष्‍ट्र और हरियाणा राज्यों ने वैट में 2.50 रुपये की कटौती की है। इससे इन राज्यों में पेट्रोल-डीजल की प्रभावी कीमत पांच रुपये प्रति लीटर कम हो गई है।

महाराष्ट्र ने सिर्फ पेट्रोल पर की वैट में कटौती

महाराष्ट्र ने सिर्फ पेट्रोल पर वैट में 2.50 रुपये की कटौती की है। इस प्रकार वहां डीजल की कीमत सिर्फ 2.50 रुपये और पेट्रोल की कीमत पांच रुपये प्रति लीटर कम हो गई हैं।

कीमतों में और कटौती करने से मना किया

वहीं कर्नाटक और केरल ने ईंधन की कीमतों में और कटौती करने से मना कर दिया है, क्योंकि इन राज्यों ने पिछले महीने ही ईंधन की कीमतों में उल्लेखनीय कटौती की थी। राजस्थान, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल राज्य भी ईंधन की कीमतों में पहले कटौती कर चुके हैं।

कांग्रेस शासित पंजाब राज्य इस संबंध में शुक्रवार को फैसला करेगा। वहीं बिहार, दिल्ली, ओडिशा, तमिलनाडु, मणिपुर, मिजोरम, सिक्किम और नगालैंड में अभी स्थिति साफ नहीं है।

पेट्रोल-डीजल पर फिर से सरकारी नियंत्रण

सरकारी पेट्रोलियम विपणन कंपनियों के एक रुपये प्रति लीटर का बोझ वहन करने के निर्देश को पेट्रोल-डीजल पर फिर से सरकारी नियंत्रण स्थापित करने के तौर पर देखा जा रहा है। अभी इनकी कीमतें बाजार के आधार पर तय होती हैं। इस घोषणा के बाद इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई है।

सरकारी कंपनियों की आय पर इस एक रुपये प्रति लीटर कीमत वहन करने का सालाना बोझ 10,700 करोड़ रुपये होगा। इसमें करीब आधा बोझ इंडियन ऑयल पर और बाकी का बोझ हिस्सेदारी हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम पर जा सकता है। ब्रेंट क्रूड बुधवार को चार साल के उच्चतम स्तर 86 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया जबकि अमेरिका में ब्याज दर सात साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई।

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1 डॉलर की कीमत 73.5 रुपये के पार

1 डॉलर की कीमत 73.5 रुपये के पार निकल गई है। गुरुवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 26 पैसे की कमजोरी के साथ 73.60 के स्तर पर खुला है, जो अब तक का सबसे निचला स्तर है। वहीं खुलने के बाद डॉलर के मुकाबले रुपया 73.70 तक टूट गया। डॉलर के मुकाबले रुपये के 70 के स्तर पार पहुंचने का असर कच्चे तेल के आयात पर हो सकता है। आयात महंगा होगा तो ऑयल मार्केटिंग कंपनियां पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ा सकती हैं। देश में खाने-पीने की चीजों और दूसरे जरूरी सामानों के ट्रांसपोर्टेशन के लिए डीजल का इस्तेमाल होता है।

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'आर्थिक संकट' का सामना कर रहा है भारत : गडकरी

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को उद्योग मंडल फिक्की द्वारा आयोजित इंडियाकेम-2018 सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि कच्चे तेल के आयात की वजह से देश को काफी ‘आर्थिक संकट’ का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि हमें कच्चे तेल का आयात घटाने तथा निर्यात बढ़ाने की जरूरत है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आयातक है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल महंगा होने से घरेलू परिवहन ईंधन महंगा हो रहा है। आधी दुनिया में ब्रेंट इंडेक्स को कच्चे तेल का मानक माना जाता है।

गडकरी ने कहा ‘‘अब समय आ गया है, जबकि देश को आयात के लिए वैकल्पिक उत्पादों की ओर रुख करना चाहिए। हमारे पास एथेनॉल, मेथेनॉल, सीएनजी और इलेक्ट्रिक परिवहन प्रणाली समाधाना का इस्तेमाल करने की काफी गुंजाइश है।’’ गडकरी ने कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का दोष ओपेक देशों को दिया। उन्होंने कहा एक दिन ऐसा समय आएगा जबकि कच्चे तेल के लिए कोई बाजार नहीं होगा। मंत्री ने कहा कि सरकार ने एथेनॉल का उत्पादन बढ़ाने का फैसला किया है जो देश के लिए काफी महत्वपूर्ण है। यह समय है जबकि भारत को आयात विकल्पों को ढूंढना होगा। रसायन उद्योग को कच्चे तेल का आयात घटाने के लिए समाधान ढूंढना होगा।

उन्होंने कहा कि भारत इस समय नवोन्मेषण, उद्यमिता, प्रौद्योगिकी, अनुसंधान एवं विकास में आगे है। भारत के पेट्रोरसायन क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं, लेकिन हमें आयात के विकल्पों की जरूरत है। प्रदूषण मुक्त, लागत दक्ष और घरेलू स्तर पर संभावनाओं को तलाश कर हम आगे बढ़ सकते हैं।

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