आखिरी रास्ता, जिससे बच सकती येदुरप्पा की कुर्सी वरना...
By: Priyanka Maheshwari Fri, 18 May 2018 08:32:02
बीएस येदियुरप्पा ने सिर पर लटकती राजनीतिक अनिश्चितता की तलवार के साथ बृहस्पतिवार को तीसरी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की कुर्सी संभाल ली। उन्हें गुरुवार सुबह नौ बजे राज्यपाल वजुभाई वाला ने पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। बहुमत के जादुई आंकड़े से दूर रहने के बावजूद राज्यपाल ने बुधवार देर शाम को येदियुरप्पा को विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी के नेता के तौर पर सरकार बनाने का न्योता दिया था। शपथ तो हो गई, येदुरप्पा सीएम भी बन गए, लेकिन बहुमत कैसे साबित करेंगे? सबसे बड़ा सवाल यही है।
नतीजों पर नजर डालें तो
- कर्नाटक चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो कर्नाटक के पास 104, कांग्रेस के पास 78, जेडी-एस के पास 38 और अन्य के पास दो सीटें हैं।
- कांग्रेस पहले ही जेडी-एस को समर्थन का ऐलान कर चुकी है।
- ऐसे में 78-38 मतलब 116 बहुमत का आंकड़ा पार हो जाता है।
- लेकिन राज्यपाल वजुभाई वाला ने सरकार बनाने का पहला दिया है बीजेपी को। तो बीजेपी के पास हैं- 104 विधायक और अब बचते हैं 2 अन्य। इनमें से भी एक ही विधायक ने बीजेपी को सपोर्ट करने की बात कही है। तो नंबर बनता है 105 बहुमत के लिए चाहिए 112, मतलब बीजेपी को 7 और विधायक चाहिए।
पूरा कैल्कुलेशन
- एंटी डिफेक्शन लॉ के चलते विधायक तो तोड़ नहीं सकते हैं। टूट-फूट होगी भी तो कानून के हिसाब से दो तिहाई विधायक होने चाहिए। विधायक पार्टी की सदस्यता भी नहीं त्याग सकते हैं।
- विधायक पार्टी के खिलाफ वोट देते हैं या अनुपस्थित रहते हैं तो भी कानूनन मामला अटक जाएगा।
-2008 में बीजेपी को 110 सीटें मिली थीं। तब उसके पास 3 सीटें बहुमत से कम रह गई थीं। उस वक्त जेडी-एस और कांग्रेस के 6 नेताओं ने विधायकी से ही इस्तीफा दे दिया था। इस प्रकार बीजेपी ने विधानसभा में बहुमत साबित कर दिया और इस्तीफा देने वाले विधायकों ने बाद में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा।
- अगर येदुरप्पा के रणनीतिकार इस बार उसी रास्ते को चुनेंगे तो उन्हें कम से कम 15 विधायकों के इस्तीफ कराने पड़ेंगे। यही वो एकमात्र रास्ता जिसके जरिए येदुरप्पा की सरकार सदन में बहुमत साबित कर सकती है और अगर ऐसा न हो सका येदुरप्पा के लिए सरकार बचा पाना बेहद मुश्किल साबित हो सकता है।