बिहार : चमकी बुखार का कहर जारी, अब तक 38 बच्चों की मौत

By: Pinki Tue, 11 June 2019 2:10:58

बिहार : चमकी बुखार का कहर जारी, अब तक 38 बच्चों की मौत

बिहार में एक बार फिर से चमकी बुखार यानि एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) कहर बनकर टूटा है। आधिकारिक तौर पर इस बीमारी से अब तक 38 बच्चों की मौत हो चुकी है। जबकि गैर सरकारी आंकड़ों की माने तो ये संख्या 50 के करीब है। सरकारी आंकड़ों के हिसाब से चमकी बुखार से अब तक 103 बच्चे प्रभावित हुए हैं। रविवार की रात से सोमवार देर रात तक 20 बच्चों की मौत हो गई है। इस दौरान 31 नए बच्चे बीमार हुए हैं जिनको SKMCH में भर्ती कराया गया है।

आज प्राप्त आंकड़ो के अनुसार, एसकेएमसीएच और केजरीवाल मेटरनिटी अस्पतालों में इलाजरत कुल 9 बच्चों की मौत हुई। इस जानलेवा चमकी बुखार का सबसे अधिक प्रभाव उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर, मोतिहारी, शिवहर, सीतामढ़ी जिलों में है। शहर के दो अस्पतालों में अब तक 38 बच्चों की मौत हो चुकी है। बच्चों की बीमारी को देखते हुए चार ICU चालू किए गए हैं, फिर भी बेड कम पड़ रहे हैं। एक बेड पर दो-दो बच्चों का इलाज किया जा रहा है। इस बीच SKMCH से अच्छी खबर भी आ रही है और इलाज के लिए भर्ती कुछ बीमार बच्चे ठीक हो रहे हैं। 6 बच्चों को इलाज के बाद PICU से सामान्य वार्ड में शिफ्ट किया गया है। वहीं सरकारी आंकड़ों में मौत की संख्या अभी भी 11 बताई जा रही है।

चिंता में नीतीश कुमार

बच्चों की मौत की दर को बढ़ते देख कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी चिंता जता चुके हैं और सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर नगर विकास और आवास मंत्री सुरेश शर्मा को एसकेएमसीएच और केजरीवाल अस्पताल में भर्ती बच्चों का हाल समाचार जानने के लिए भेजा है। स्वास्थ्य मंत्री ने इन मौतों का कारण कुछ और बताया। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय ने सोमवार को कहा था कि अभी तक 11 बच्चों के मौत की पुष्टि हुई है लेकिन इसमें एईएस यानि इनसेफेलाइटिस से अभी तक किसी बच्चे की मौत नहीं हुई है। उन्‍होंने कहा कि हाईपोगलेसिमिया से 10 बच्चों की मौत हुई है जबकि एक बच्चे की मौत जापानी इनसेफेलाइटिस से हुई है। जबकि बच्चों की मौत को लेकर विभाग गम्भीर है । प्रधान सचिव लगातार इसकी समीक्षा कर रहे हैं और कल यानि मंगलवार को डायरेक्टर इन चीफ़ के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग की एक टीम मुजफ्फरपुर जाएगी। मालूम हो कि बिहार में AES यानि (एक्यूट इन्सेफेलाइटिस) से 12 जिले और 222 प्रखंड प्रभावित हैं।

दरहसल, भारी गर्मी में और बरसात से पहले ये बीमारी हर साल बिहार में कहर बरपाती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसकी जांच की जा रही है। उन्होंने कहा, "लोगों को इस बीमारी को लेकर जागरूक कराना होगा। हर साल बच्चे काल की गाल में समा जा रहे हैं। ये चिंता का विषय है।"

एसकेएमसीएच अधीक्षक डॉ सुनील शाही ने बताया कि अधिकांश बच्चों में हाइपोग्लाइसीमिया यानी अचानक शुगर की कमी और कुछ बच्चों के शरीर में सोडियम (नमक) की मात्रा भी कम पाई जा रही है। उन्होंने कहा कि एईएस के संदिग्ध मरीजों का इलाज शुरू करने से पहले चिकित्सक उसकी जांच कराते हैं। ब्लड शुगर, सोडियम, पोटाशियम की जांच के बाद ही उसका इलाज शुरू किया जाता है।

अब तक इस बीमारी से मरे बच्चों की संख्या-

साल 2019 में 10 जून तक 103 बच्चे भर्ती हुए है जबकि 38 बच्चों की मौत हो चुकी है। वही साल 2018 में 45 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 10 बच्चों की मौत हो गई। साल 2017 में 42 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 19 बच्चों की मौत हो गई। साल 2016 में 42 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 21 बच्चों की मौत हो गई। साल 2015 में 75 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 11 बच्चों की मौत हो गई। साल 2014 में 342 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 86 बच्चों की मौत हो गई। साल 2013 में 124 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 39 बच्चों की मौत हो गई। साल 2012 में 336 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 120 बच्चों की मौत हो गई। साल 2011 में 121 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 45 बच्चों की मौत हो गई। साल 2010 में 59 बच्चे पीड़ित हुए, जिनमें 24 बच्चों की मौत हो गई।

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