TikTok को 50 अरब डॉलर में खरीदने की तैयारी में माइक्रोसॉफ्ट

By: Pinki Tue, 04 Aug 2020 09:08:29

TikTok को 50 अरब डॉलर में खरीदने की तैयारी में माइक्रोसॉफ्ट

चीनी ऐप TikTok भारत में बैन हो चुका है और अमेरिका में भी बैन होने की कगार पर है। अमेरिकी प्रेसिडेंट ट्रंप ने कहा है कि इस ऐप पर बैन लगाया जाएगा। वहीं, इस बीच बड़ी खबर आ रही है कि माइक्रोसॉफ़्ट इस ऐप को ख़रीद सकता है। कंपनी ने एक स्टेटमेंट जारी किया है जिसमें कहा गया है कि अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने इस बारे में माइक्रोसॉफ़्ट के सीईओ सत्य नडेला से बातचीत की है। माइक्रोसॉफ्ट के सत्या नडेला इसकी डील के करीब हैं। ऐसी चर्चा है कि टिक टॉक की कीमत 50 अरब डॉलर है, लेकिन सत्या नडेला इससे सहमत नहीं हैं। लिहाजा डील में अभी भी मोलभाव बाकी जरूर है, पर डील होना भी तय है। अगर यह हो जाती है तो पिछले दस सालों की यह सबसे बड़ी डील होगी। इस डील के जरिए माइक्रोसॉफ्ट के सत्या नडेला किंग मेकर बनेंगे।

माइक्रोसॉफ़्ट माइनॉरिटी बेसिस पर अमेरिकी निवेशकों को इसमें हिस्सा लेने के लिए इन्वाइट कर सकती है। इससे पहले भी ये बात चल रही थी कि अमेरिका में टिक टॉक बिक सकता है। माइक्रोसॉफ़्ट द्वारा जारी किए गए एक स्टेटमेंट में कहा गया है, ‘माइक्रोसॉफ़्ट के सीईओ सत्य नडेला और प्रेसिडेंट डोनल्ड ट्रंप के बीच हुई बातचीत के बाद माइक्रोसॉफ़्ट अमेरिका में टिक टॉक को ख़रीदने के लिए बातचीत करने को तैयार है।’

माइक्रोसॉफ़्ट के इस स्टेटमेंट में ये भी कहा गया है कि कंपनी अमेरिका के हित के लिए ही टिक टॉक ख़रीदने के बारे में सोच रही है। चूंकि प्रेसिडेंट ट्रंप इस ऐप की सिक्योरिटी को लेकर चिंतित हैं इसलिए अमेरिकी हितों के लिए कंपनी अमेरिका में टिक टॉक का अधिग्रहण कर सकती है। माइक्रोसॉफ़्ट ने ये भी साफ़ कर दिया है कि टिक टॉक की पेरेंट कंपनी बाइटडांस के साथ अधिग्रहण के लिए की जाने वाली बातचीत 15 सितंबर तक पूरी कर ली जाएगी।

बता दे, अमेरिका में टिक टॉक को लेकर काफी दिक्कतें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पैदा कर दी हैं। ऐसे में टिक टॉक के सामने यही विकल्प है कि वह इस डील को लेकर आगे बढ़े। टिक टॉक को सबसे ज्यादा आबादी वाले दूसरे नंबर के देश भारत ने बैन कर दिया है। विश्व में कुल 5-7 देशों ने इस तरह का कदम उठाया है। ये वे देश हैं जहां टिक टॉक का सबसे ज्यादा यूजर बेस है। इसलिए टिक टॉक के सामने दिक्कतें आ गई हैं।

माइक्रोसॉफ्ट पर भी डेटा सुरक्षा को लेकर रहेगा दबाव

अगर यह डील फाइनल होती है तो माइक्रोसॉफ्ट पर भी डेटा सुरक्षा को लेकर दबाब रहेगा। ऐसे में कंपनी ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करेगी कि टिक टॉक के अमेरिकी यूजर्स के सभी निजी डेटा को सुरक्षित ट्रांसफर किया जाए और सेफ रखा जाए। वर्तमान में संग्रहित इस तरह के किसी भी डेटा को विदेशों में रखे सर्वर से हटा दिया जाएगा। डील से पहले माइक्रोसॉफ्ट को अमेरिकी प्रशासन को समझाने की जरूरत होगी। अमेरिकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट और विदेशी निवेश पर समिति को दिए अपने बयान में बाइटडांस का उल्लेख करने से पहले कंपनी ने संकेत दिया कि वह कौन से पहलू पर ज्यादा जोर दे रही है।

पूरा माइक्रोसॉफ़्ट का नहीं होगा टिक टॉक

ग़ौरतलब है कि अगर माइक्रोसॉफ़्ट टिक टॉक को ख़रीदती है तो ये ऐसा नहीं होगा कि टिक टॉक पूरी तरह माइक्रोसॉफ़्ट का हो जाएगा। बल्कि अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में यूज किया जाने वाला टिक टॉक ऐप माइक्रोसॉफ़्ट का हो जाएगा। फ़िलहाल अमेरिका में टिक टॉक की डेटा पॉलिसी और चीन के साथ अमेरिका के तल्ख़ रिश्तों की वजह से ये ऐप वहां कभी भी बैन किया जा सकता है।

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