रिजर्व बैंक बोर्ड की अहम बैठक आज, खत्म हो सकता है सरकार और RBI के बीच तनाव!, खास बातें
By: Priyanka Maheshwari Mon, 19 Nov 2018 09:40:42
रिजर्व बैंक ( Reserve Bank ) और सरकार के बीच जारी खींचतान पर सोमवार को होने वाली बैठक में विराम लग सकता है। यह बैठक ऐसे मौके पर हो रही है, जब ऐसी रिपोर्ट्स आ रही हैं कि सरकार ने देश के केंद्रीय बैंक की कड़ी निगरानी को सक्षम बनाने के लिए नियमों में बदलाव का प्रस्ताव दिया है। इस कदम से बोर्ड को पर्यवेक्षी भूमिका मिलेगी। जिसके बारे में आलोचकों का कहना है कि वहां सरकार के आदमी बैठे हैं। यह कदम यह दिखाता है कि सरकार और रिजर्व बैंक के बीच तनाव है और सूत्रों के मुताबिक बीच का रास्ता खोजा जा रहा है। वहीं पहले खबरें आ रही थीं कि आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल अपने पद से इस्तीफा दे देंगे, लेकिन सूत्रों की माने तो पटेल अपने पद से इस्तीफा नहीं दे रहे हैं। आइए हम आपको बताते हैं कि रिजर्व बैंक के बोर्ड मीटिंग में क्या रहेगा खास...
बैठक से जुड़ी खास बातें
- रिजर्व बैंक और सरकार के बीच जारी खींचतान पर सोमवार को होने वाली बैठक में विराम लग सकता है। सूत्रों का कहना है कि सोमवार को रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल की होने वाली बैठक में दोनों पक्ष कुछ मुद्दों पर आपसी सहमति पर पहुंचने के पक्ष में हैं।
- बैठक में वित्त मंत्रालय के नामित निदेशक और कुछ स्वतंत्र निदेशक गवर्नर उर्जित पटेल और उनकी टीम पर एमएसएमई को कर्ज से लेकर केन्द्रीय बैंक के पास उपलब्ध कोष को लेकर अपनी बात रख सकते हैं। रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल भी इस्तीफे का कुछ वर्गों के दबाव के बावजूद इस्तीफा देने के बजाय बैठक में केंद्रीय बैंक की नीतियों का मजबूती से पक्ष रख सकते हैं।
- उर्जित पटेल बैठक में एनपीए को लेकर केन्द्रीय बैंक की कड़ी नीतियों का बचाव कर सकते हैं। सूत्रों ने कहा कि गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) के प्रावधानों को लेकर गवर्नर पटेल के साथ में चार डिप्टी गवर्नर संयुक्त पक्ष रखेंगे और इन्हें कुछ स्वतंत्र निदेशकों का समर्थन मिलने का भी अनुमान है। वित्त मंत्रालय द्वारा नामित सदस्यों समेत कुछ स्वतंत्र निदेशक पटेल पर निशाना साध सकते हैं।
- सूत्रों के अनुसार, निदेशक मंडल की बैठक पूर्व निर्धारित होती है तथा बैठक का एजेंडा भी काफी पहले तय कर लिया जाता है। हालांकि, अध्यक्ष की अनुमति से निदेशक मंडल के सदस्य तय एजेंडे से इतर अन्य मुद्दे भी उठा सकते हैं।
- रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल में 18 सदस्य हैं। हालांकि, इसमें सदस्यों की संख्या 21 तक रखने का प्रावधान है। सदस्यों में रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल और चार अन्य डिप्टी गवर्नर पूर्णकालिक आधिकारिक निदेशक हैं। इनके अलावा अन्य शेष 13 सदस्य सरकार द्वारा नामित हैं। सरकार द्वारा नामित सदस्यों में वित्त मंत्रालय के दो अधिकारी आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग और वित्तीय सेवाओं के सचिव राजीव कुमार शामिल हैं।
- इस महीने के शुरुआत में मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसा कहा गया था कि सरकार ने दबाव बढ़ाया तो उर्जित पटेल इस्तीफा दे सकते हैं। आरएसएस की इकोनॉमिक विंग के प्रमुख अश्विनी महाजन ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उर्जित पटेल सरकार के साथ तालमेल नहीं रख सकते तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। हालांकि, पिछले दिनों आरबीआई और सरकार के बीच विवाद सुलझाने की कोशिशें हुईं। इसके बाद इस बात के आसार नहीं है कि उर्जित पटेल इस्तीफा देंगे।
- सूत्रों ने कहा कि सरकार और रिजर्व बैंक बैंकों में त्वरित सुधारात्मक उपायों (पीसीए) की रूपरेखा तथा एमएसएमई क्षेत्र को ऋण देने के प्रावधानों में ढील को लेकर आपसी सहमति से किसी समाधान पर पहुंचने के पक्ष में हैं।
- साथ ही सूत्रों का कहना है, यदि इस बैठक में सहमति नहीं भी बन पायी तो अगले कुछ सप्ताह में त्वरित सुधारात्मक कदम पर सहमति बन जाएगी। इसके तहत कुछ बैंक चालू वित्त वर्ष के अंत तक इस रूपरेखा ढांचे के दायरे से बाहर आ सकते हैं।
- फिलहाल 21 सार्वजनिक बैंकों में से 11 बैंक पीसीए के दायरे में हैं। जिससे उन पर नये कर्ज देने को लेकर कड़ी शर्तें लागू हैं। इन बैंकों में इलाहाबाद बैंक, यूनाइटेड बैंक आफ इंडिया, कारपोरेशन बैंक, आईडीबीआई बैंक, यूको बैंक, बैंक आफ इंडिया, सैंट्रल बैंक आफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, आरिएंटल बैंक आफ कामर्स, देना बैंक और बैंक आफ महाराष्ट्र शामिल हैं।
- रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने अक्टूबर में कहा था कि सरकार को केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता बढ़ानी चाहिए। जो सरकार इसका ध्यान नहीं रखती उसे नुकसान उठाना पड़ता है। उन्होंने कहा था कि बैंकों की बैलेंस शीट और ना बिगड़े इसलिए पीसीए के नियम सख्त किए गए। इसके बाद वित्त मंत्रालय ने कहा कि सरकार भी आरबीआई की स्वायत्तता का सम्मान करती है लेकिन उसे जनहित के मुद्दों का ध्यान रखना चाहिए।
- बैठक से पहले सूत्रों ने बताया कि सरकार भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के निर्णय लेने में वृहद भागीदारी चाहती है क्योंकि उसका मानना है कि मौजूदा चलन एक दिन की देरी के चलते रिण के एनपीए में तब्दील होने जैसे कई महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर उसे अलग रखता है। उन्होंने कहा कि सरकार का मानना है कि लोगों के प्रतिनिधि होने के नाते उसे आरबीआई के महत्वपूर्ण नीति निर्णयों में शामिल होना चाहिए।
- सूत्रों ने अपनी बात के समर्थन में कहा कि सरकार कहती है कि गवर्नर और चार डिप्टी गवर्नरों की उपस्थिति से कुछ उप-समितियों का कोरम पूरा हो जाता है और किसी भी अन्य निदेशक की उपस्थिति की आवश्यकता नहीं होती। हालांकि, गर्वनर की अध्यक्षता वाले आरबीआई के केन्द्रीय बोर्ड में दो सरकार नामित निदेशक और 11 स्वतंत्र निदेशक शामिल हैं। इस समय, केन्द्रीय बोर्ड में 18 सदस्य हैं और इसकी अधिकतम संख्या 21 तक हो सकती है।