अब 1000 ग्राम का नहीं रहा एक किलो!, बदल गई एक किलोग्राम की परिभाषा, जानिए क्या होगा आप पर असर?
By: Priyanka Maheshwari Sun, 18 Nov 2018 08:34:13
हम सब जिस किलोग्राम के आधार पर आप सब्ज़ियां, फल और अनाज खरीदते हैं। उस किलोग्राम को अब रिटायर कर दिया गया है। फ्रांस में दुनिया के 60 वैज्ञानिकों ने वोटिंग करके किलोग्राम के सबसे बड़े पैमाने या मानक को रिटायर कर दिया है। यानी एक किलोग्राम का वजन अब बदल गया है। अगर सरल भाषा में बात करे तो इस बदलाव का वैसे तो आम लोगों पर कोई असर नहीं होगा। इसको इस तरह समझिए कि एक किलो चीनी खरीदते समय आपको चीनी का एक दाना कम मिले या ज्यादा, क्या फर्क पड़ता है। लेकिन विज्ञान के प्रयोगों में इसका काफी असर होगा, क्योंकि वहां सटीक माप की जरूरत होती है। फ्रांस के वर्साइल्स में आयोजित वैज्ञानिकों के एक सम्मेलन में ज्यादातर वैज्ञानिकों का कहना था कि किलोग्राम को यांत्रिक और विद्युत चुंबकीय ऊर्जा के आधार पर परिभाषित किया जाना चाहिए और फिर वोटिंग के जरिए इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई। वैज्ञानिकों ने सर्व-सम्मति से वोट देकर ये फैसला किया है कि किलोग्राम को परिभाषित करने का तरीका बदला जाए। वज़न और मापने की प्रक्रिया पर हुए एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में मौजूद वैज्ञानिकों ने ये फैसला किया है कि अब तौल की इकाई को परिभाषित करने के लिए विद्युत धाराओं से पैदा की गई ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाएगा। इसका मतलब है कि बिजली द्वारा पैदा की गई ऊर्जा से तौल के मानक की परिभाषा तय होगी।
किलोग्राम को मापने वाली वस्तु फ्रांस की राजधानी पेरिस में एक तिजोरी के अंदर रखी है। ये प्लेटिनम से बनी एक सिल है, जिसे 'ली ग्रैंड के' कहा जाता है। एक सिलेंडर है और इसे ही इंटरनेशनल प्रोटोकॉल किलोग्राम माना जाता है। अब तक इसे एक किलो के सबसे सटीक बाट के रूप में जाना जाता था।
क्यों बदली गई परिभाषा
'ली ग्रैंड के' 129 वर्ष पुराना बाट है। वैज्ञानिकों ने एक किलोग्राम के इस सबसे बड़े मानक को बदलने का फैसला कर लिया, क्योंकि इस बाट का क्षरण हो रहा था । कुछ साल पहले इस एक किलो के बाट में 30 माइक्रोग्राम का फर्क आया था। ये फर्क चीनी के सिर्फ एक चीनी के दाने जितना है, लेकिन विज्ञान की दुनिया के लिए ये फर्क बहुत बड़ा है।
मीटर और सेकेंड भी बदलेंगे - किलोग्राम के बाद कुछ और इकाइयों को मापने के लिए भी प्राकृतिक वस्तुओं का आधार लिया जाएगा। मई 2019 के बाद मीटर और सेकेंड के साथ-साथ कुछ और इकाइयों के मानकों की परिभाषा में भी बदलाव होगा। वैज्ञानिकों ने ये फैसला किया है कि अब माप के लिए प्राकृतिक वस्तुओँ का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।