अहम दिन : चंद्रयान-2 से आज अलग होगा विक्रम लैंडर, 7 सितंबर को करेगा चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग
By: Pinki Mon, 02 Sept 2019 08:52:38
चंद्रमा (Moon) की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश करा चुका भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2) आज (2 सितंबर) को विक्रम लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा। दोपहर 12:45 से 13:45 के बीच इसरो वैज्ञानिक इस काम को अंजाम देंगे। आपको बता दें कि चंद्रयान-2 तीन हिस्सों से मिलकर बना है - पहला- ऑर्बिटर, दूसरा- विक्रम लैंडर और तीसरा- प्रज्ञान रोवर। विक्रम लैंडर के अंदर ही प्रज्ञान रोवर है। जो सॉफ्ट लैंडिंग के बाद बाहर निकलेगा। 2 सितंबर को लैंडर ‘विक्रम’ ऑर्बिटर से अलग होने के बाद यह 7 सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करेगा। ऐसा करके भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा। भारत से पहले रूस, अमेरिका और चीन चांद पर पहुंच चुके हैं लेकिन वे चंद्रमा दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में नहीं पहुंच पाए थे। लैंडर के चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद इसके भीतर से ‘प्रज्ञान’ नाम का रोवर (Pragyan Rover) बाहर निकलेगा और अपने 6 पहियों पर चलकर चांद की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग करेगा।
बता दे, ISRO ने 1 सितंबर की शाम 6:21 बजे चंद्रयान को चंद्रमा की पांचवीं कक्षा में डाला। अभी चंद्रयान-2 चांद के चारों तरफ 119 किमी की एपोजी (चांद से सबसे कम दूरी) और 127 किमी की पेरीजी (चांद से ज्यादा दूरी) में चक्कर लगा रहा है। चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से अलग होने के बाद भी करीब 20 घंटे तक विक्रम लैंडर ऑर्बिटर के पीछे-पीछे उसी कक्षा में चक्कर लगाता रहेगा। इसरो (ISRO) ने रविवार (1 सितंबर) को बताया था कि उसने चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) को चंद्रमा (Moon) की पांचवीं एवं अंतिम कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश करा दिया है और वह 2 सितंबर को लैंडर विक्रम (Lander Vikram) को ऑर्बिटर (Orbiter) से अलग करने की तैयारी कर रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने इस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद कहा कि अंतरिक्ष यान (Space Craft) की सभी क्रियाएं सामान्य रूप से चल रही हैं।
3 सितंबर को सुबह 9:00 से 10:00 बजे के बीच विक्रम लैंडर चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर का पीछ छोड़ नई कक्षा में जाएगा। इस ऑर्बिट में डालने के लिए इसरो वैज्ञानिक करीब 3 सेकंड के लिए उसका इंजन ऑन करेंगे। इसके बाद विक्रम लैंडर 109 किमी की एपोजी और 120 किमी की पेरीजी में चांद के चारों तरफ अंडाकार कक्षा में चक्कर लगाएगा।
इसरो वैज्ञानिक विक्रम लैंडर को 4 सितंबर को चांद के सबसे नजदीकी कक्षा में पहुंचाएंगे। इस कक्षा की एपोजी 36 किमी और पेरीजी 110 किमी होगी। अगले 3 दिनों तक विक्रम लैंडर इसी अंडाकार कक्षा में चांद का चक्कर लगाता रहेगा। इस दौरान इसरो वैज्ञानिक विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के सेहत की जांच करते रहेंगे।
1:30 बजे रात (6 और 7 सितंबर की दरम्यानी रात) - विक्रम लैंडर 35 किमी की ऊंचाई से चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना शुरू करेगा। यह इसरो वैज्ञानिकों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण काम होगा।
1:55 बजे रात - विक्रम लैंडर दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद दो क्रेटर मैंजिनस-सी और सिंपेलियस-एन के बीच मौजूद मैदान में उतरेगा। लैंडर 2 मीटर प्रति सेकंड की गति से चांद की सतह पर उतरेगा। ये 15 मिनट बेहद तनावपूर्ण होंगे।
3:55 बजे रात - लैंडिंग के करीब 2 घंटे के बाद विक्रम लैंडर का रैंप खुलेगा। इसी के जरिए 6 पहियों वाला प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर उतरेगा।
5:05 बजे सुबह - प्रज्ञान रोवर का सोलर पैनल खुलेगा। इसी सोलर पैनल के जरिए वह ऊर्जा हासिल करेगा।
5:10 बजे सुबह - प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर चलना शुरू करेगा। वह एक सेंटीमीटर प्रति सेकंड की गति से चांद की सतह पर 14 दिनों तक यात्रा करेगा। इस दौरान वह 500 मीटर की दूरी तय करेगा।
इसरो ने बताया था कि 7 सितंबर को चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग' कराने की प्रक्रिया शुरू करने से पहले लैंडर संबंधी दो कक्षीय प्रक्रियाओं को पूरा किया जाएगा। बेंगलूरु स्थित इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क (आईडीएसएन) के एंटीने की मदद से बेंगलूरू स्थित ‘इसरो, टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क' (आईएसटीआरएसी) के मिशन ऑपरेशन्स कांप्लेक्स (एमओएक्स) से यान की गतिशीलता पर लगातार नजर रखी जा रही है।
20 अगस्त को गति कम कर चांद की कक्षा में पहुंचाया था चंद्रयान-2 को
इसरो वैज्ञानिकों ने 20 अगस्त यानी मंगलवार को चंद्रयान-2 को चांद की पहली कक्षा में सफलतापूर्वक पहुंचाया था। इसरो वैज्ञानिकों ने मंगलवार को चंद्रयान की गति को 10.98 किमी प्रति सेकंड से घटाकर करीब 1.98 किमी प्रति सेकंड किया था। चंद्रयान-2 की गति में 90 फीसदी की कमी इसलिए की गई थी ताकि वह चांद की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के प्रभाव में आकर चांद से न टकरा जाए। 20 अगस्त यानी मंगलवार को चांद की कक्षा में चंद्रयान-2 का प्रवेश कराना इसरो वैज्ञानिकों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण था। लेकिन, हमारे वैज्ञानिकों ने इसे बेहद कुशलता और सटीकता के साथ पूरा किया।