नागरिकता संशोधन विधेयक पर ये हैं अमित शाह के भाषण की कुछ प्रमुख बिंदु...

By: Pinki Tue, 10 Dec 2019 08:31:30

नागरिकता संशोधन विधेयक पर ये हैं अमित शाह के भाषण की कुछ प्रमुख बिंदु...

सोमवार को तकरीबन 7 घंटे चली तीखी बहस के बाद देर रात लोकसभा में विपक्ष के हंगामे के बीच नागरिकता संशोधन बिल पास हो गया। जिसे मोदी सरकार की बड़ी कामयाबी माना जा रहा है। हालांकि, विपक्ष इसे भारत के लिए काला दिन बता रहा है। बिल के पक्ष में 311, जबकि विरोध में 80 वोट पड़े। शिवसेना ने बिल के पक्ष में मतदान किया। नागरिकता संशोधन विधेयक पर लोकसभा में विपक्ष के सवालों का गृह मंत्री अमित शाह ने जवाब भी दिया।

- गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने कहा मैंने पहले ही कहा था कि ये बिल लाखों- करोड़ों शरणार्थियों को यातनापूर्ण जीवन से मुक्ति दिलाने का जरिया बनने जा रहा है। इस बिल के माध्यम से उन शरणार्थियों को नागरिकता देने का काम होगा। उन्होंने कहा कि सदस्यों ने आर्टिकल-14 का हवाला देते हुए इसे असंवैधानिक करार दिया। मैं कहना चाहता हूं कि किसी भी तरह से ये बिल गैर संवैधानिक नहीं है न ही ये आर्टिकल-14 का उल्लंघन करता है।

- अमित शाह ने पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों का जिक्र करते हुए कहा कि 1947 में पाकिस्तान में 23% अल्पसंख्यक थे लेकिन वहीं साल 2011 में ये आकंड़ा 3.4% रह गया। पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों को देखते हुए भारत मूकदर्शक नहीं बन सकता। वहीं भारत में अल्पसंख्यकों की आबादी बढ़ी है। अमित शाह ने कहा बांग्लादेश में 1947 में अल्पसंख्यकों की आबादी 22% थी जो 2011 में कम होकर 7.8% हो गई। ये अल्पसंख्यक कहां गए। ये लोग मार दिए गए, धर्म परिवर्तन हुआ, भगा दिए गए? जो लोग बिल का विरोध कर रहे हैं, वे बताएं कि इन अल्पसंख्यकों का क्या दोष है? हम चाहते हैं कि उनका अस्तित्व बना रहे। वे सम्मान के साथ दुनिया के सामने खड़े हों। पड़ोसी देशों में अगर अल्पसंख्यकों को धर्म के नाम पर प्रताड़ना दी जाती है तो हम मूकदर्शक नहीं बने रहेंगे। भारत उन्हें बचाएगा। शाह ने कहा कि भारत में 1951 में 84% हिंदू थे जो 2011 में कम होकर 79% रह गये, वहीं मुसलमान 1951 में 9.8% थे जो 2011 में 14.8% हो गए हैं।

- अमित शाह ने कहा पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों पर भारत चुप नहीं रहेगा। अमित शाह ने कहा कि हमारी अल्पसंख्यकों की व्याख्या गलत नहीं है। यह पूरा विधेयक उन तीन देशों के अल्पसंख्यकों के लिए है। बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में जब इस्लाम राज का धर्म है, तो वहां मुस्लिम लोग अल्पसंख्यक नहीं होता है। लाल बहादुर शास्त्री और भंडारनायके के बीच 1964 में जो समझौता हुआ, श्रीलंका के लोगों को नागरिकता दी गई। तब भारत ने बांग्लादेश और पाकिस्तान और अफगानिस्तान वालों को नहीं दी थी। जब भी नागरिकता के बारे में कोई कदम उठाया गया, तब तयशुदा समस्या को सुलझाने के लिए उठाया गया।

- अमित शाह ने कहा कि इन देशों में ढेर सारे मंदिर तोड़े गए। अफगानिस्तान में 1992 तक करीब 2 लाख हिंदू और सिख थे और 2018 तक वो सिर्फ 500 रह गए। पूरे देश ने देखा था कि धार्मिक स्थलों को तोड़ा गया। भगवान बुद्ध की भव्य प्रतिमा को तोप के गोले दागकर तोड़ा गया। ऐसे में अल्पसंख्यक कहां जाते?

- शाह ने कहा कि गोगोईजी बता रहे थे कि नॉर्थ ईस्ट में बिल को लेकर चिंता है। मैं बता दूं कि सभी राज्यों ने बिल का समर्थन किया है। नॉर्थ ईस्ट में भ्रांति फैलाई जा रही है। पूरा अरुणाचल, मिजोरम, नगालैंड इनर लाइन परमिट से सुरक्षित है। मणिपुर आज सुरक्षित नहीं है, हम बिल तभी नोटिफाई करेंगे जब यह इनर लाइन परमिट से सुरक्षित हो जाएगा। मेघालय करीब-करीब पूरा इसके बाहर है। असम समझौता 1985 में हुआ। असम के लोगों की कमेटी क्लॉज 6 के तहत कमेटी बनाई है, जो असम के लोगों की सामाजिक-सांस्कृतिक रचना की चिंता करेगी।

- अमित शाह ने यह भी कहा कि मैं सदन के माध्यम से पूरे देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि यह विधेयक कहीं से भी असंवैधानिक नहीं है। विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करता है। अगर इस देश का विभाजन धर्म के आधार पर नहीं होता तो मुझे विधेयक लाने की जरूरत ही नहीं पड़ती। शाह ने कहा, 'नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री रहते हुए देश में किसी भी धर्म के लोगों को डरने की जरूरत नहीं है। यह सरकार सभी को सम्मान और सुरक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध है। जब तक मोदी प्रधानमंत्री हैं, संविधान ही सरकार का धर्म है।' अमित शाह ने कहा कि बिल किसी भी धर्म के प्रति भेदभाव नहीं करता है। ये बिल एक सकारात्मक भाव लेकर आया है उन लोगों के लिए जो भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में प्रताड़ित हैं। प्रताड़ित शरणार्थी होता है, घुसपैठिया नहीं होता। बिल में संविधान के अनुच्छेद 14, 21, 25 का उल्लंघन नहीं है।

- अमित शाह ने कहा भारत के मूल नागरिकों को नागरिकता संशोधन विधेयक से कोई खतरा नहीं है। अमित शाह ने कहा कि जो भारत के मूल नागरिक हैं उन्हें कोई खतरा नहीं है। वहीं बिल से इस देश के किसी भी मुसलमान का कोई लेना देना नहीं है। यहां का मुसलमान सम्मान से जिएगा। मोदी के पीएम रहते हुए देश का संविधान ही हमारा धर्म है।

- गृह मंत्री अमित शाह ने बिल पर चर्चा के दौरान कहा कि देश को रिफ्यूजी पॉलिसी को लेकर कानून बनाने की जरूरत नहीं है। अमित शाह ने कहा कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर हमारा है, उसके नागरिक भी हमारे हैं, और हम अब भी 26 सीटें जम्मू-कश्मीर असेंबली में रिजर्व रखते हैं।

- अमित शाह ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को अपने परिवार की बहन-बेटी की इज्जत या अपना धर्म बचाने के लिए यहां आना पड़े और हम अपनाएं नहीं, ये गलती हम नहीं कर सकते हैं। हम उन्हें जरूर स्वीकारेंगे, नागरिकता देंगे और पूरे विश्व के सामने उन्हें सम्मान भी देंगे। अमित शाह ने कहा कि जब भी नागरिकता के बारे में कोई दखल दिया गया, वह किसी न किसी विशेष समस्या को निपटाने के लिए किया गया। यूगांडा से जब लोग आए थे तो केवल वहां से आए लोगों को ही नागरिकता दी गई, किसी देश से आए नागरिकों को नागरिकता नहीं दी गई।

- अमित शाह ने यह भी कहा कि जो वोट बैंक के लिए घुसपैठियों को शरण देना चाहता है, हम उन्हें सफल नहीं होने देंगे। वोट के लिए घुसपैठियों को शरण देने वाले चिंतित हैं। रोहिंग्या को कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा। रोहिंग्या बांग्लादेश के जरिए भारत आते हैं। अमित शाह ने कहा कि बंगाल के सभी सांसदों से कहना चाहता हूं कि लाखों लोगों को जो नागरिकता मिलने वाली है वो सारे बंगाली शरणार्थी हैं, क्या आप नहीं चाहते कि बंगाली हिन्दू, बौद्ध, सिख और ईसाई शरणार्थियों को नागरिकता मिले।

- अमित शाह ने पारसी समुदाय का जिक्र करते हुए कहा कि पारसी भी प्रताड़ित होकर भारत आए थे। गृह मंत्री ने कहा कि सावरकर का द्विराष्ट्र सिद्धांत था या नहीं, मैं इसमें नहीं जाना चाहता लेकिन जब जिन्ना ने दो राष्ट्र का सिद्धांत दिया तो इसे आपने (कांग्रेस) ने स्वीकार क्यों किया। अमित शाह ने एक सवाल के जवाब में कहा भारत ने समय-समय पर जरूरतमंद लोगों को नागरिकता दी गई है।

- अमित शाह ने कहा कि मैं जनता को कहना चाहता हूं कि कांग्रेस ऐसी बिन साम्प्रदायिक पार्टी है, जिसकी केरल में मुस्लिम लीग सहयोगी है और महाराष्ट्र में शिवसेना सहयोगी है। मैं इस सदन को फिर से आश्वस्त करना चाहता हूं कि जब हम एनआरसी लेकर आएंगे, एक भी घुसपैठिया इस देश के अंदर बच नहीं पायेगा।

- अमित शाह ने कहा कि लोग बिल के खिलाफ माहौल बना रहे हैं लेकिन किसी को भी डरने की जरूरत नहीं है। शरणार्थियों के पास राशन कार्ड है या नहीं, ये बिल सबको नागरिकता देगा। आपको किसी के बहकावे में आने की जरूरत नहीं है।

- भाषण के दौरान अमित शाह ने कहा, जो वोट बैंक के लिए घुसपैठियों को शरण देना चाहता है, हम उन्हें सफल नहीं होने देंगे। वोट के लिए घुसपैठियों को शरण देने वाले चिंतित हैं। रोहिंग्या को कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा। रोहिंग्या बांग्लादेश के जरिए भारत आते हैं। उन्होंने कहा, किसी भी रिफ्यूजी पॉलिसी को भारत ने स्वीकार नहीं किया है। पारसी भी प्रताड़ित होकर ईरान से भारत आए थे। कांग्रेस ने जिन्ना की टू नेशन थ्योरी क्यों मानी? कांग्रेस ने विभाजन को क्यों नहीं रोका? पीओके हमारा है और वहां के लोग भी हमारे हैं। उसने धर्म के आधार पर देश का विभाजन स्वीकार किया था, यह ऐतिहासिक सत्य है। शाह ने कहा कि हमारी अल्पसंख्यकों को लेकर अवधारणा संकुचित नहीं है जैसा विपक्ष के सदस्य आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह यहां के अल्पसंख्यकों की बात ही नहीं कर रहे। यह उन तीन देशों के अल्पसंख्यकों की बात है। उन्होंने कहा कि इस देश में इतनी बड़ी आबादी मुस्लिमों की है। कोई भेदभाव नहीं हो रहा। तस्वीर ऐसी बनाई जा रही है कि अन्याय हो रहा है।

- अमित शाह ने कहा कि जो धार्मिक प्रताड़ना के आधार पर अपने परिवार की सुरक्षा के लिए, अपने धर्म की रक्षा के लिए यहां आता है, वो शरणार्थी है और जो बिना परमिशन के घुस कर आता है वो घुसपैठिया है। अमित शाह ने कहा कि मैं फिर से इस सदन के माध्यम से पूरे देश के सामने स्पष्ट करना चाहता हूं कि घुसपैठिये और शरणार्थी में मौलिक अंतर हैं।

- अमित शाह ने कहा कि बंगबंधु शेख मुजीब उर्र रहमान की हत्या के बाद बांलादेश में जो अत्याचार का दौर चालू हुआ, उसने वहां की धार्मिक लघुमतियों की रीड की हड्डी ही तोड़ दी, भोला में एक सुनियोजित हमले में 200 अल्पसंख्यक महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया।

- अमित शाह ने कहा कि 2014 की एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में 1 हजार लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया। UNHRC की रिपोर्ट के अनुसार अब दूसरे धर्मों के मात्र 20 धार्मिक स्थान ही पाकिस्तान में बचे हैं।

नागरिकता संशोधन विधेयक से जुड़े कुछ सवाल

सबसे बड़ा सवाल आखिर विपक्ष नागरिकता संशोधन बिल का विरोध क्यों कर रहा है?

जवाब: इसके 2 बड़े कारण हैं। पहला- इस बिल को संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताया जा रहा है क्योंकि पड़ोसी देशों से आए 6 धर्मों के लोगों को भारतीय नागरिकता देने में ढील दी जा रही है लेकिन मुस्लिमों को इसमें शामिल नहीं किया गया है।

दूसरा- पूर्वोत्तरी राज्यों का विरोध है कि यदि नागरिकता बिल संसद में पास होता है बांग्लादेश से बड़ी तादाद में आए हिंदुओं को नागरिकता देने से यहां के मूल निवासियों के अधिकार खत्म होंगे। इससे राज्यों की सांस्कृतिक, भाषाई और पारंपरिक विरासत पर संकट आ जाएगा।

दूसरा सवाल क्या इस कानून के तहत अवैध तरीके से दाखिल हुए लोगों को भी नागरिकता मिल सकती है?

जवाब: भारत में अवैध तरीके से दाखिल होने वाले लोगों को नागरिकता नहीं मिल सकती है। उन्हें वापस उनके देश भेजने या हिरासत में रखने के प्रावधान हैं।

तीसरा सवाल इस बिल के पक्ष में सरकार के क्या तर्क हैं?

जवाब: सरकार का कहना है कि पड़ोसी देशों में बड़ी संख्या में गैर-मुस्लिमों को धर्म के आधार पर उत्पीड़न झेलना पड़ा है और इस डर के कारण कई अल्पसंख्यकों ने भारत में शरण लेकर रखी है। इन्हें नागरिकता देकर जरूरी सुविधाएं दी जानी चाहिए। संशोधित विधेयक में पड़ोसी देशों अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यक शरणार्थियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को नागरिकता मिलने का समय घटाकर 11 साल से 6 साल किया गया है। मुस्लिमों और अन्य देशों के नागरिकों के लिए यह अवधि 11 साल ही रहेगी।

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