2 अक्टूबर विशेष : गांधी जी ने चौरीचौरा काण्ड को माना हिंसक, असहयोग आंदोलन करना पड़ा था स्थगित

By: Ankur Tue, 02 Oct 2018 09:28:24

2 अक्टूबर विशेष : गांधी जी ने चौरीचौरा काण्ड को माना हिंसक, असहयोग आंदोलन करना पड़ा था स्थगित

भारत की आजादी के इतिहास में कई ऐसे चहरे उभरे, जिन्होंने देश को आजादी दिलाने के लिए अपना पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। ऐसे में ही एक रत्न थे महात्मा गांधी जिन्होनें देश की आजादी के लिए अहिंसा का रास्ता अपनाते हुए कई आन्दोलन किए और अपना योगदान दिया। ऐसा ही आन्दोलन था असहयोग आंदोलन जो गांधीजी ने शुरू किया था, लेकिन चौरीचौरा काण्ड की हिंसक घटना को देखते हुए गांधी जी असहयोग आंदोलन को स्थगित करना पड़ा था। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।

गोरखपुर का चौरीचौरा काण्ड जिसमें 260 व्यक्तियों की मौत हो गई। इस आन्दोलन में शांति मार्च निकाल रहे सत्याग्रहियों पर पुलिस ने चलाई थी गोलियां। आज हम आपको इस आन्दोलन के बारे में बताने जा रहे हैं। फरवरी 1922 को चौरीचौरा कांड भारत के इतिहास के पन्नों में कभी ना भूलने वाला काला दिन है।

चौरीचौरा थाने के दारोगा गुप्तेश्वर सिंह ने आजादी की लड़ाई लड़ रहे वालंटियरों की खुलेआम पिटाई शुरू कर दी। सत्याग्रहियों जिसके बाद भीड़ पुलिसवालों पर पथराव करने लगी। जवाबी कार्यवाही में पुलिस ने गोलियां चलाई। जिसमें 260 व्यक्तियों की मौत हो गई। पुलिस की गोलियां तब रुकीं जब उनके सभी कारतूस समाप्त हो गए। इसके बाद सत्याग्रहियों का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होनें थाने में बंद 23 पुलिसवालों को जिंदा जला दिया।

महात्मा गांधी ने विदेशी कपड़ों के बहिष्कार, अंग्रेजी पढ़ाई छोड़ने और चरखा चलाकर कपड़े बनाने का अह्वान किया था। उनका यह सत्याग्रह आंदोलन पूरे देश में रंग ला रहा था। 4 फरवरी 1922 दिन शनिवार को चौरीचौरा के भोपा बाजार में सत्याग्रही इकट्ठा हुए और थाने के सामने से जुलूस की शक्ल में गुजर रहे थे। तत्कालीन थानेदार ने जुलूस को अवैध मजमा घोषित कर दिया। एक सिपाही ने वालंटियर की गांधी टोपी को पांव से रौंद दिया। गांधी टोपी को रौंदता देख सत्याग्रही आक्रोशित हो गए।

chauri chaura kand,mahatma gandhi,gandhi jayanti ,चौरी चौरा काण्ड, महात्मा गांधी, असहयोग आंदोलन,2 अक्टूबर विशेष

उन्होंने इसका विरोध किया तो पुलिस ने जुलूस पर फायरिंग शुरू कर दी। जिसमें 11 सत्याग्रही मौके पर ही शहीद हो गए जबकि 50 से ज्यादा घायल हो गए। गोली खत्म होने पर पुलिसकर्मी थाने की तरफ भागे। फायरिंग से भड़की भीड़ ने उन्हें दौड़ा लिया। थाने के पास स्थित एक दुकान से एक टीन केरोसीन तेल उठा लिया। मूंज और सरपत का बोझा थाना परिसर में बिछाकर उस पर केरोसीन उड़ेलकर आग लगा दी। थानेदार ने भागने की कोशिश की तो भीड़ ने उसे पकड़कर आग में फेंक दिया। इस काण्ड में एक सिपाही मुहम्मद सिद्दिकी भाग निकला और झंगहा पहुंच कर गोरखपुर के तत्कालीन कलेक्टर को उसने घटना की सूचना दी।

गोरखपुर जिला कांग्रेस कमेटी के उपसभापति पंडित दशरथ प्रसाद द्विवेदी ने घटना की सूचना गांधी जी को चिट्ठी लिखकर दी थी। इस घटना को हिंसक मानते हुए गांधी जी ने अपना असहयोग आंदोलन स्थगित कर दिया था।

हम WhatsApp पर हैं। नवीनतम समाचार अपडेट पाने के लिए हमारे चैनल से जुड़ें... https://whatsapp.com/channel/0029Va4Cm0aEquiJSIeUiN2i
पढ़ें Hindi News ऑनलाइन lifeberrys हिंदी की वेबसाइट पर। जानिए देश-विदेश और अपने प्रदेश से जुड़ीNews in Hindi

Home | About | Contact | Disclaimer| Privacy Policy

| | |

Copyright © 2024 lifeberrys.com