संचार उपग्रह GSAT-7A सफलतापूर्वक हुआ लांच, संचार व्यवस्था होगी मजबूत, भारतीय सेना की ऐसे करेगा मदद
By: Priyanka Maheshwari Wed, 19 Dec 2018 6:32:27
ISRO ने संचार उपग्रह GSAT-7A को बुधवार (19 दिसंबर) को निर्धारित समय शाम 4:10 बजे लांच कर दिया। करीब 2,250 किलोग्राम वजनी इस जीसैट-7ए उपग्रह का प्रक्षेपण चेन्नई से करीब 110 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा के स्पेसपोर्ट के दूसरे लांच पैड से किया गया। GSAT-7 और GSAT-6 के साथ मिलकर 'इंडियन एन्ग्री बर्ड' कहा जाने वाला यह नया उपग्रह संचार उपग्रहों का एक बैन्ड तैयार कर देगा, जो भारतीय सेना के काम आएगा। इसके जरिये वायुसेना को भूमि पर रडार स्टेशन, एयरबेस और एयरबॉर्न वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (AWACS) से इंटरलिंकिंग की सुविधा मिलेगी, जिससे उसकी नेटवर्क आधारित युद्ध संबंधी क्षमताओं में विस्तार होगा और ग्लोबल ऑपरेशंस में दक्षता बढ़ेगी। यह ISRO का इस साल के दौरान 17वां मिशन है, और अब तक कुल मिलाकर श्रीहरिकोटा से यह 69वां रॉकेट लॉन्च है। इसरो (ISRO) के अध्यक्ष डॉ के. सीवन ने बताया, "यह अत्याधुनिक सैटेलाइट है, जिसे ज़रूरतों के हिसाब से बनाया गया है, और यह सबसे दूरदराज के इलाकों में भी हाथ मे पकड़े जाने वाले उपकरणों तथा उड़ते उपकरणों से भी संपर्क कर सकता है..."
GSAT-7A से जुड़ी बातें...
- 2,250 किलोग्राम वज़न वाला सैन्य संचार उपग्रह GSAT-7A बुधवार को श्रीहरिकोटा से जियोसिन्क्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क III (GSLV Mk III) के ज़रिये लॉन्च किया गया।
- नई दिल्ली स्थित सेंटर फॉर एयर पॉवर स्टडीज़ के अतिरिक्त महानिदेशक एयर वाइस मार्शल (सेवानिवृत्त) एम। बहादुर ने कहा, "इससे भारतीय वायुसेना को वह ताकत मिलेगी, जिसकी उसे बहुत ज़रूरत है..."
#WATCH: Communication satellite GSAT-7A on-board GSLV-F11 launched at Satish Dhawan Space Centre in Sriharikota. pic.twitter.com/suR92wNBAL
— ANI (@ANI) December 19, 2018
- भारतीय नौसेना के पास सिर्फ उसके इस्तेमाल के लिए एक सैटेलाइट GSAT-7 पहले से है, जिसे 'रुक्मणि' भी कहा जाता है, और जिसे 2013 में लॉन्च किया गया था। भारतीय नौसेना के प्रवक्ता कैप्टन डीके शर्मा ने बताया, "GSAT-7 नौसेना को हिन्द महासागर क्षेत्र में 'रीयल-टाइम सिक्योर कम्युनिकेशन्स कैपेबिलिटी' उपलब्ध कराता है... इससे विदेशी ऑपरेटरों द्वारा संचालित उपग्रहों के भरोसे रहने की ज़रूरत खत्म हो जाती है, जिन पर नज़र रखा जाना आसान होता है..."
- एयर वाइस मार्शल (सेवानिवृत्त) एम. बहादुर ने कहा, "भारतीय वायुसेना इस क्षमता का इंतज़ार बहुत लम्बे समय से कर रही थी, क्योंकि इससे इन्टीग्रेटेड एयर कमांड तथा हवाई लड़ाकों के लिए कंट्रोल सिस्टम में संचार का एक ताकतवर पहलू जुड़ जाएगा..." अब तक IAF ट्रांसपॉन्डर किराये पर लिया करती थी, जिनकी जासूसी किया जाना आसान होता है।
- हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने विशेष 'डिफेंस स्पेस एजेंसी' के गठन की योजना को मंज़ूरी दी थी, जो तीनों सेनाओं की इन्टीग्रेटेड इकाई होगी, और अंतरिक्ष में मौजूद सभी भारतीय एसेट्स का इस्तेमाल सशस्त्र सेनाओं के लाभ के लिए करेगी।
- GSAT-7 और GSAT-6 के साथ मिलकर GSAT-7A संचार उपग्रहों का एक बैन्ड तैयार कर देगा, जो भारतीय सेना के काम आएगा।
- इसके अलावा देश के पास रीजनल सैटेलाइट नैविगेशन सिस्टम भी है, जो मिसाइलों को सटीक निशाने साधने में मदद करता है।
- स्वदेश-निर्मित क्रायोजेनिक इंजन से पॉवर किए जाने वाले GSLV-MkIII की यह 13वीं उड़ान होगी, और उसकी पिछली पांच उड़ानें कामयाब रही हैं। यह रॉकेट लगभग 50 मीटर ऊंचा है, जितना आमतौर पर कोई 17-मंज़िला इमारत होती है। इसका वज़न लगभग 4145 टन है, यानी 80 वयस्क हाथियों का कुल वज़न।